तीसरे विश्व युद्ध को लेकर नितिन गडकरी की डरावनी भविष्यवाणी!
अबकी बार युद्ध की भविष्यवाणी करने वाले कोई और नहीं, बल्कि भारत के 'एक्सप्रेसवे मैन' नितिन गडकरी हैं और न सिर्फ़ गडकरी, बल्कि पुरी पीठ के शंकराचार्य भी इस खामोशी के बाद आने वाले तूफ़ान को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. गडकरी की भविष्यवाणी से अमेरिका में दहशत और प्रधानमंत्री मोदी का अलर्ट हो जाना इसके पीछे की कहानी क्या कहती है.

ईरान और इजरायल के बीच युद्धविराम की रेखा खिंच चुकी है. भारत-पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चल रही टकराव की स्थिति पर भी फिलहाल विराम लगा हुआ है. उधर, रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को खत्म करने के लिए अमेरिका पूरी ताक़त झोंक रहा है. ऐसे में सवाल उठता है क्या विश्व अब तीसरे विश्व युद्ध की दहलीज़ पर खड़ा है? इस आशंका को हवा दी है केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने, जिन्हें देश का 'एक्सप्रेसवे मैन' कहा जाता है. गडकरी ने हाल ही में एक कार्यक्रम में युद्ध जैसे हालातों की संभावना जताते हुए गंभीर चिंता व्यक्त की. हैरानी की बात यह है कि पुरी पीठ के शंकराचार्य ने भी इसी दिशा में संकेत देते हुए “खामोशी के बाद तूफ़ान” की चेतावनी दी है.
गडकरी की टिप्पणी के बाद अमेरिकी खेमे में हलचल देखी जा रही है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस संकेत को हल्के में लेने के मूड में नहीं दिख रहे. ऐसे में सवाल उठता है कि गडकरी और शंकराचार्य की चेतावनियों के पीछे कौन-से संकेत छिपे हैं? क्या यह सिर्फ़ राजनीतिक बयान है या वाकई कोई बड़ी भूचाल आने वाला है? इस पूरी कहानी के पीछे की परतों को समझने के लिए देखिए हमारी खास रिपोर्ट.
दुनिया की छाती पर फिर मंडराने लगा है युद्ध का साया
हाल के दिनों में ईरान और इज़रायल के बीच हुए खूनी संघर्ष ने पूरी दुनिया को हिला दिया. युद्धविराम के ऐलान के बावजूद दोनों देशों की सैन्य तैयारियाँ बदस्तूर जारी हैं. एक ओर इज़रायल अमेरिका से लगातार बंकर बस्टर बम और घातक हथियारों की खरीद कर रहा है, तो दूसरी ओर ईरान गुपचुप परमाणु बम विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ता जा रहा है. दोनों देश शक्ति प्रदर्शन के जरिए शांति का दावा करते हुए भी युद्ध की ओर ही बढ़ते दिख रहे हैं. लेकिन खतरा सिर्फ ईरान-इज़रायल तक सीमित नहीं है. अब इस भू-राजनीतिक तनाव की लपटों में जर्मनी और चीन भी आ चुके हैं. लाल सागर को लेकर दोनों देशों के बीच तनातनी तेज़ हो गई है. जर्मनी ने आरोप लगाया है कि बिना किसी चेतावनी के चीनी युद्धपोत ने उसके निगरानी विमान पर लेज़र हमला किया है. यह घटना लाल सागर में हुई, जो पहले से ही संवेदनशील इलाका माना जाता है. इस हमले के बाद क्षेत्र में एक और युद्ध की आशंका गहरा गई है. उधर, रूस-यूक्रेन का युद्ध भी थमने का नाम नहीं ले रहा. चीन यहां दोहरी भूमिका निभा रहा है. एक ओर वह रूस का खुलकर समर्थन कर रहा है, तो दूसरी ओर यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका का प्रभाव कम करने के लिए गुप्त मीटिंग भी कर रहा है. साफ है कि चीन नहीं चाहता कि यह युद्ध जल्द खत्म हो. इसी वैश्विक उथल-पुथल के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की स्थिति बनी हुई है. लेकिन क्या यह स्थायी है? पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने चेतावनी दी है कि यह खामोशी एक बड़े तूफ़ान से पहले की शांति हो सकती है.
भारत और पाकिस्तान के बीच जब अचानक संघर्षविराम (सीज़फायर) की घोषणा हुई, तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय में यह सवाल उठा कि क्या भारत किसी दबाव में झुका? लेकिन पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय किसी देश या व्यक्ति के दबाव में नहीं, बल्कि मोदी सरकार की गहरी कूटनीति और भारतीय सेना की युद्ध रणनीति के तहत लिया गया था. शंकराचार्य ने कहा, "भारत की रणनीति शेर की तरह है। शेर जब पीछे हटता है, तो वह कमज़ोर नहीं होता, बल्कि अपने शिकार पर दोगुनी ताक़त से हमला करता है. इसी तरह, भारत भी सीज़फायर के बावजूद शिथिल नहीं पड़ा है, बल्कि अपनी तैयारियाँ दोगुनी गति से कर रहा है."
भारत के इस रुख़ के बीच अब केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का बयान भी सुर्खियों में है. गडकरी ने दुनिया के मौजूदा हालात पर चिंता जाहिर करते हुए स्पष्ट संकेत दिया है कि तीसरा विश्व युद्ध किसी भी वक्त छिड़ सकता है. उन्होंने कहा, "इजरायल और ईरान, रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्धों ने वैश्विक तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है. इन दो युद्धों की पृष्ठभूमि में हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि विश्व युद्ध की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता."
विश्व युद्ध की भविष्यवाणी जब किसी संत, लेखक या विशेषज्ञ की ओर से आती है, तो शायद लोग उस पर चर्चा करते हैं, लेकिन जब यही बात नितिन गडकरी जैसे कद्दावर मंत्री के मुँह से निकलती है, तो वह सिर्फ़ चौंकाती नहीं, बल्कि सोचने पर भी मजबूर कर देती है. नितिन गडकरी कोई सामान्य राजनेता नहीं हैं. उनका काम ही उनकी पहचान है, और यही वजह है कि उनकी बातों को नजरअंदाज करना आसान नहीं होता. गडकरी वर्ष 2009 में महज़ 52 साल की उम्र में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. नागपुर लोकसभा सीट से ऐतिहासिक जीत दर्ज की और पिछले 12 वर्षों से देश के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री के रूप में भारत को 'एक्सप्रेसवे युग' में ले जाने का श्रेय उन्हीं को जाता है. आज वह 'एक्सप्रेसवे मैन ऑफ इंडिया' के नाम से जाने जाते हैं. ऐसे में जब गडकरी अंतरराष्ट्रीय हालात को देखकर यह कहते हैं कि "दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है", तो उनकी बात को केवल एक बयान भर मानना भूल होगी. उनका राजनीतिक अनुभव, प्रशासनिक पकड़ और अंतरराष्ट्रीय रणनीति की समझ उन्हें और नेताओं से अलग बनाती है. यही वजह है कि गडकरी की यह चेतावनी सिर्फ़ भारत में नहीं, अमेरिका जैसे देशों में भी चिंता का विषय बन रही है और अगर गडकरी की इस आशंका को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंभीरता से लिया, तो आने वाले दिनों में भारत की विदेश नीति और सैन्य तैयारियों में अहम बदलाव देखे जा सकते हैं.