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पितृ पक्ष का अंतिम दिन: सर्वपितृ अमावस्या पर जरूर करें ये उपाय, जाने से पहले पितर देकर जाएंगे अपार धन और शांति का आशीर्वाद

Sarv Pitra Amavasya: सर्वपितृ अमावस्या, पितृ पक्ष का अंतिम दिन, पितरों की शांति और मोक्ष के लिए विशेष अवसर है, आज किये गये तर्पण, श्राद्ध, और दान से उनकी आत्मा को तृप्ति मिलेगी. साथ ही इन उपायों से न केवल पितृ दोष दूर होंगे, बल्कि परिवार में सुख, धन, और समृद्धि का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा. श्रद्धा के साथ इन उपायों को भी जरुर करें.

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7 सितंबर से शुरू हुए पितृ पक्ष 21 सितंबर को अब अपनी समाप्ति की ओर है. 21 सितंबर का दिन ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद ही खास है. क्योंकि माना जाता है कि 15 दिनों के लिए पितृ पितृलोक से अपने परिजनों से मिलने के लिए धरती पर आते हैं. ऐसे में कौन नहीं चाहता है कि पितृ जाते-जाते अपनी कृपा हम पर बरसाते हुए जाएं. ऐसे में कई बार लोगों के मन में कई सारे सवाल उठते हैं कि पितरों की कृपा पाने के लिए किन उपायों को करना चाहिए? किन मंत्रों का जाप करना चाहिए? लेकिन सबसे पहले जान लेते हैं कि सर्व पितृ अमावस्या होती है क्या और इसका हिंदू धर्म में कितना महत्व होता है.

क्या होती है सर्व पितृ अमावस्या?
सर्व पितृ अमावस्या जिसे पितृ विसर्जन या फिर पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में ये दिन पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है. इसलिए सभी परिजन इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए, उनके मोक्ष के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान करते हैं. साथ ही इस दिन आप कुछ उपाय भी कर सकते हैं ताकि आपके पितर जाते हुए आपको आशीर्वाद देकर जाएं. इतना ही नहीं, अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष है तो वो भी समाप्त हो सकता है.

सर्व पितृ अमावस्या पर किन उपायों से मिलेगी पितरों को मुक्ति?
अगर आप किसी परिजन की मृत्यु की तिथि भूल चुके हैं या फिर किसी कारणवश उनका श्राद्ध या पिंडदान रह गया है तो आप इस दिन उनकी आत्मा की शांति के लिए ये कर्मकांड कर सकते हैं. ऐसा करने से उनकी आत्मा को मोक्ष की भी प्राप्ति हो सकती है. इस दिन आप "ॐ पितृ देवतायै नम:" का जाप भी कर सकते हैं. गरीबों में पितरों के नाम से वस्त्र, चप्पल और भोजन भी दान कर सकते हैं. इस दिन आप हनुमान चालीसा का पाठ भी जरूर करें. इसके अलावा आप कौवे, गायों और अन्य जीव-जंतुओं को भी पितरों के नाम से भोजन करा सकते हैं. पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए आप ब्राह्मणों को भोजन जरूर करवाएं. सात्विक भोजन ग्रहण करें. अगर संभव हो तो हरिद्वार, गया जी या फिर वाराणसी जाकर भी आप पिंडदान कर सकते हैं. 

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