Advertisement

Jagadhatri Puja 2025: 30 या 31 कब है जगद्धात्री पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन मनाई जाने वाली जगद्धात्री पूजा में मां दुर्गा जगत की पालनकर्ता रूप में पूजी जाती हैं. लेकिन इस वर्ष लोगों के मन में इस पूजा की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि क्या इस बार ये पूजा 30 अक्टूबर को की जाएगी या फिर 31 अक्टूबर को. तो ऐसे में इस आर्टिकल में आपको इससे जुड़ी हर जानकारी के बारे में पता चल जाएगा.

29 Oct, 2025
( Updated: 07 Dec, 2025
02:05 AM )
Jagadhatri Puja 2025: 30 या 31 कब है जगद्धात्री पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन आने वाली जगद्धात्री पूजा बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और त्रिपुरा में प्रसिद्ध है. इस पर्व को दुर्गा पूजा की तरह ही बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन भक्त मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं. ऐसे में इस बार ये त्यौहार कब मनाया जाएगा? पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? और आखिर इसकी शुरुआत सबसे पहले कब और कैसे हुई? चलिए विस्तार से जानते हैं… 

क्या है जगद्धात्री पूजा का शुभ मुहूर्त? 

इस बार कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 6 मिनट पर हो रही है. वहीं इसका समापन 31 अक्टूबर की सुबह 10 बजकर 3 मिनट पर होगा. ऐसे में जगद्धात्री पूजा शुक्रवार 31 अक्टूबर को की जाएगी. इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 06:00 बजे से लेकर शाम 06:00 बजे तक रहने वाला है. 

जगद्धात्री पूजा करने की विधि क्या है? 

जगद्धात्री पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह स्नान आदि से मुक्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहन लें. व्रत करने का संकल्प लें. कलश पूजन के लिए कलश में मिट्टी के कलश में जल, सुपारी, दुर्वा, पान का पत्ता और सिक्का डालकर स्वास्तिक बनाकर नारियल रखें. फिर मां जगद्धात्री को लाल चुनरी, सिंदूर और फूलों की माला चढ़ाएं. साथ ही आवाहन मंत्र "ॐ आगच्छ देवि जगद्धात्री, पूजां गृहाण सुरेश्वरी” का 108 बार जाप करें. दीया और धूप जलाकर मां की आरती करें. खीर, फल और मिठाई का भोग लगाकर अपनी गलतियों की माफी मांगें और अंत में "ॐ ह्रीं जगद्धात्र्यै नमः" मंत्र का जाप करना न भूलें. 

कैसे शुरू हुई मां जगद्धात्री की पूजा?  

मां जगद्धात्री की पूजा सबसे पहले 18वीं शताब्दी में हुई थी. इसे राजा कृष्णचंद्र राय ने पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में करवाया था. इसे करवाने के पीछे का कारण था कि राजा शारदीय नवरात्रि में माता की पूजा नहीं कर सके. जिसके बाद उन्होंने कार्तिक मास में देवी की पूजा मां जगद्धात्री के रूप में की. तभी से ये पूजा शुरू हुई.    

मां दुर्गा की विसर्जित प्रतिमा से होता है मां जगद्धात्री की मूर्ति का निर्माण

यह भी पढ़ें

मां जगद्धात्री की प्रतिमा बनाने का काम तब शुरू किया जाता, जब शारदीय नवरात्र के दौरान दुर्गा का विसर्जन होता है. मां दुर्गा की प्रतिमा के नदी में विसर्जित होने के बाद, उसकी मिट्टी लाकर जगद्धात्री की मूर्ति बनाने का काम शुरू किया जाता है. मान्यता है कि इस समय में मां दुर्गा संसार की धात्री के रूप में धरती पर आती हैं.

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
अधिक
Podcast video
‘ना Modi रूकेंगे,ना Yogi झुकेंगे, बंगाल से भागेंगीं ममता, 2026 पर सबसे बड़ी भविष्यवाणी Mayank Sharma
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें