Jamia Millia Islamia ने लॉन्च किए विदेशी भाषाओं के नए प्रोग्राम, बढ़ेगा ग्लोबल एक्सपोजर
जामिया मिल्लिया इस्लामिया का मानना है कि जर्मन और जापानी जैसी भाषाओं के कोर्स केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं हैं. इनसे भारत और जापान, जर्मनी जैसे देशों के बीच सांस्कृतिक और पेशेवर रिश्ते मजबूत होंगे. छात्र न सिर्फ भाषा सीखेंगे, बल्कि दूसरी संस्कृतियों को समझने और उनके साथ काम करने की क्षमता भी विकसित करेंगे, जो आज के ग्लोबल दौर में बेहद जरूरी है.
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जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए कई नए कोर्स लॉन्च किए हैं, जो छात्रों को बेहतर करियर विकल्प और अंतरराष्ट्रीय समझ के नए रास्ते देंगे. इस बार विश्वविद्यालय ने पहली बार दो विदेशी भाषाओं में बैचलर ऑफ आर्ट्स (BA) इन जर्मन स्टडीज और जापानी स्टडीज की शुरुआत की है. इसके साथ ही एडवांस डिप्लोमा इन चाइल्ड गाइडेंस एंड काउंसलिंग नाम का एक और नया कोर्स भी शुरू किया गया है.
नई शिक्षा नीति के तहत बनाए गए कोर्स
ये सभी कोर्स राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2025 के अंतर्गत शुरू किए गए हैं. जर्मन और जापानी स्टडीज के कोर्स सिर्फ भाषा सिखाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनमें छात्रों को संबंधित देश की संस्कृति, अनुवाद, इंटरप्रिटेशन (बोलकर अनुवाद करना), और विभिन्न इंडस्ट्रीज से जुड़े स्किल्स भी सिखाए जाएंगे. ये कोर्स उन छात्रों के लिए काफी फायदेमंद होंगे जो भविष्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करना चाहते हैं या विदेशी भाषा में करियर बनाना चाहते हैं.
काउंसलिंग डिप्लोमा से करियर के नए रास्ते
जामिया ने जो नया डिप्लोमा कोर्स शुरू किया है, एडवांस डिप्लोमा इन चाइल्ड गाइडेंस एंड काउंसलिंग, वह भी बहुत उपयोगी है. इस कोर्स को रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया (RCI) की मान्यता प्राप्त है. यानी इस कोर्स को करने के बाद छात्र एक मान्यताप्राप्त काउंसलर बन सकते हैं. इस डिप्लोमा के बाद रोजगार के कई अवसर खुलते हैं, जैसे स्कूलों, अस्पतालों, काउंसलिंग सेंटर्स, हेल्थकेयर संस्थानों, सरकारी दफ्तरों और समाजसेवी संगठनों (NGOs) में.
आवेदन करने की प्रक्रिया
जो छात्र इन कोर्सों में दाखिला लेना चाहते हैं, वे जामिया मिल्लिया इस्लामिया की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन है। सबसे पहले छात्रों को "New Registration" पर क्लिक करना होगा. उसके बाद जरूरी जानकारियाँ भरनी होंगी और फिर मनचाहा कोर्स चुनना होगा. जब रजिस्ट्रेशन पूरा हो जाएगा, उसके बाद आगे की दाखिला प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
भारत और दुनिया के बीच बढ़ेगा सांस्कृतिक जुड़ाव
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जामिया मिल्लिया इस्लामिया का मानना है कि जर्मन और जापानी जैसी भाषाओं के कोर्स केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं हैं. इनसे भारत और जापान, जर्मनी जैसे देशों के बीच सांस्कृतिक और पेशेवर रिश्ते मजबूत होंगे. छात्र न सिर्फ भाषा सीखेंगे, बल्कि दूसरी संस्कृतियों को समझने और उनके साथ काम करने की क्षमता भी विकसित करेंगे, जो आज के ग्लोबल दौर में बेहद जरूरी है.
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