अगले हफ्ते जन्माष्टमी पर बनाइए Mathura-Vrindavan जाने का प्लान, देखें 6 पवित्र स्थल...
यह आर्टिकल जन्माष्टमी 2025 के मौके पर मथुरा-वृंदावन की 6 पवित्र जगहों के बारे में है, जहां तीन दिन की छुट्टी में घूमकर भगवान कृष्ण की भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है. इसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, इस्कॉन मंदिर और गोवर्धन पर्वत के महत्व और विशेष आकर्षण बताए गए हैं, साथ ही मथुरा-वृंदावन पहुंचने की जानकारी भी दी गई है.
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अगले हफ्ते जन्माष्टमी का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस बार त्योहार पर लगातार तीन दिन की छुट्टियां मिल रही हैं, जिससे लोग इसे एक मिनी वेकेशन में बदल सकते हैं। अगर आप भी श्रीकृष्ण की भक्ति में डूबना चाहते हैं, तो मथुरा-वृंदावन की यात्रा इस मौके के लिए सबसे खास हो सकती है। यहां के पवित्र स्थल न केवल आध्यात्मिक शांति देते हैं, बल्कि आपको श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ी अद्भुत कहानियों से भी रूबरू कराते हैं। आइए जानते हैं, जन्माष्टमी पर घूमने लायक मथुरा-वृंदावन की 6 पवित्र जगहें।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, मथुरा
मथुरा का यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित है। जन्माष्टमी पर यहां का नजारा अद्वितीय होता है — मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है और आधी रात को जन्म महोत्सव मनाया जाता है। यहां आने से भक्तों को गहरी आध्यात्मिक अनुभूति होती है।
द्वारकाधीश मंदिर
यमुना नदी के किनारे स्थित यह मंदिर मथुरा के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। जन्माष्टमी के दौरान यहां विशेष झांकी और भजन संध्या का आयोजन होता है। मंदिर की भव्य सजावट और भक्तों का उत्साह देखने लायक होता है।
बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर भगवान कृष्ण के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है। यहां कान्हा को विभिन्न श्रृंगारों में सजाया जाता है और पूरे दिन भक्तों की भीड़ लगी रहती है। जन्माष्टमी की रात यहां का माहौल भक्ति और उल्लास से भर जाता है।
प्रेम मंदिर
वृंदावन का प्रेम मंदिर अपनी खूबसूरत वास्तुकला और लाइट शो के लिए मशहूर है। सफेद संगमरमर से बना यह मंदिर रात के समय रंगीन रोशनी में जगमगाता है। जन्माष्टमी के अवसर पर यहां भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं।
इस्कॉन मंदिर, वृंदावन
इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (ISKCON) का यह मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां हर शाम होने वाली आरती और कीर्तन भक्तों को आनंद और शांति का अनुभव कराते हैं। जन्माष्टमी पर मंदिर में विशेष पूजा, नृत्य और भजन कार्यक्रम होते हैं।
गोवर्धन पर्वत
मथुरा से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित गोवर्धन पर्वत भगवान कृष्ण की गोवर्धन लीला से जुड़ा है। भक्त यहां परिक्रमा करते हैं और भगवान को अन्नकूट का भोग चढ़ाते हैं। जन्माष्टमी के मौके पर यहां विशेष पूजा और मेला लगता है।
कैसे पहुंचें मथुरा-वृंदावन?
मथुरा दिल्ली से करीब 180 किलोमीटर और आगरा से 60 किलोमीटर दूर है। यहां रेल, बस और टैक्सी के जरिए आसानी से पहुंचा जा सकता है। वृंदावन, मथुरा से लगभग 15 किलोमीटर दूर है, जहां ऑटो और टैक्सी से जाया जा सकता है।
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जन्माष्टमी का पर्व मथुरा-वृंदावन में मनाना एक अविस्मरणीय अनुभव है। यहां की भक्ति, मंदिरों की भव्यता और श्रीकृष्ण की लीला से जुड़े स्थान आपको सालभर के लिए सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद से भर देंगे। अगर इस जन्माष्टमी पर 3 दिन की छुट्टी मिल रही है, तो इस पावन यात्रा का आनंद जरूर लें।
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