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रूस ने क्यों दी सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति और उनके परिवार को शरण? क्रेमलिन ने बताई वजह

Syria: रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी तास ने एक क्रेमलिन के सूत्र के हवाले से जानकारी दी कि असद और उनका परिवार मॉस्को पहुंच चुका है और मानवीय कारणों से रूस ने उन्हें शरण दी है।

09 Dec, 2024
( Updated: 10 Dec, 2024
10:41 AM )
रूस ने क्यों दी सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति और उनके परिवार को शरण? क्रेमलिन ने बताई वजह
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Syria: सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद और उनका परिवार देश से भागने के बाद मॉस्को पहुंच गए हैं। रूसी मीडिया ने शीर्ष अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है। बता दें रूस ने सीरियाई गृह युद्ध में असद का साथ दिया था। रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी तास ने एक क्रेमलिन के सूत्र के हवाले से जानकारी दी कि असद और उनका परिवार मॉस्को पहुंच चुका है और मानवीय कारणों से रूस ने उन्हें शरण दी है।आइए जानते है इस खबर को विस्तार से ...

गुटों ने रविवार को सीरियाई राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया था

सूत्र ने कहा, "रूस ने हमेशा सीरियाई संकट के राजनीतिक समाधान के पक्ष में बात की है। हम जोर देते हैं कि संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाली वार्ता फिर से शुरू की जाए।" क्रेमलिन सूत्र ने कहा, "रूसी अधिकारी सशस्त्र सीरियाई विपक्ष के प्रतिनिधियों के संपर्क में हैं, जिनके नेताओं ने सीरियाई क्षेत्र में रूसी सैन्य ठिकानों और राजनयिक मिशनों की सुरक्षा की गारंटी दी है।" बता दें विद्रोही गुटों ने रविवार को सीरियाई राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया था जिसके बाद राष्ट्रपति असद के देश छोड़ कर भाग गए। 59 वर्षीय बशर अल-असद ने 2000 में अपने पिता हाफिज अल-असद की मृत्यु के बाद सत्ता संभाली थी। उनके पिता 1971 से देश पर शासन कर रहे थे। 2011 उनके शासन काल के लिए सबसे अहम साल रहा जब लोकतंत्र की मांग को लेकर हजारों सीरियाई नागरिक सड़कों पर उतर आए, लेकिन उन्हें भारी सरकारी दमन का सामना करना पड़ा।

असद की सत्ता का पतन रूस और ईरान के लिए बड़ा झटका है

हालांकि सरकार के विरोध में विभिन्न सशस्त्र विद्रोही समूहों का गठन हो गया और सरकार का विरोध 2012 के मध्य तक, विद्रोह एक पूर्ण गृह युद्ध में बदल गया। असद रूस, ईरान और लेबनान के हिजबुल्लाह की मदद से वर्षों तक विद्रोही गुटों का सफलतापूर्व मुकाबला करते रहे। लेकिन पिछले दिनों अचानक सक्रिय हुए विद्रोही गुटों ने सीरियाई राष्ट्रपति के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी क्योंकि असद के तीन सहयोगी- रूस, हिजबुल्लाह और ईरान इजरायल खुद के संघर्षों में उलझे हुए थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक असद की सेना वर्षों के युद्ध से नष्ट हो चुकी थी और कई सैनिक तो उनके पक्ष में लड़ना भी नहीं चाहते थे। असद की सत्ता का पतन रूस और ईरान के लिए बड़ा झटका है, जिन्होंने इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सहयोगी खो दिया है। 

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