जब बेनकाब हुआ BBC का 'प्रोपेगेंडा'! डॉक्यूमेंट्री बनवाई लेकिन छुपा लिया महत्वपूर्ण 'फैक्ट', खुलासा होने पर मांगनी पड़ी माफी
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री "गाज़ा: हाउ टू सर्वाइव अ वॉरज़ोन" में जिस व्यक्ति ने कथावाचक की भूमिका निभाई, वह हमास के एक शीर्ष नेता का बेटा है. हैरानी की बात यह है कि बीबीसी ने डॉक्यूमेंट्री में इस महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा नहीं किया, जिससे अब उसकी निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठे.

पिछले करीब डेढ़ साल से इज़राइल और हमास के बीच जारी संघर्ष को लेकर बीबीसी ने हाल ही में "गाज़ा: हाउ टू सर्वाइव अ वॉरज़ोन" शीर्षक से एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की. हालांकि, यह डॉक्यूमेंट्री विवादों में घिर गई. आरोप लगे कि बीबीसी ने अपनी ही संपादकीय गाइडलाइंस का उल्लंघन किया है.
डॉक्यूमेंट्री में नरेशन (कथावाचन) की भूमिका निभाने वाले व्यक्ति की पहचान सार्वजनिक नहीं की गई. बाद में खुलासा हुआ कि यह आवाज 13 वर्षीय अब्दुल्ला अल-याजूरी की है, जो गाजा में हमास सरकार के उप-कृषि मंत्री अयमान अल-याजूरी का बेटा है. बीबीसी ने इस संबंध में डॉक्यूमेंट्री में कोई जानकारी नहीं दी, जिससे उसकी निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए.
ब्रिटेन की मीडिया, खासकर स्काई न्यूज़ और द गार्जियन जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने बीबीसी की पारदर्शिता और पत्रकारिता के मापदंडों पर सवाल उठाए. यह डॉक्यूमेंट्री 17 फरवरी 2025 को प्रसारित की गई थी.
बीबीसी ने हटाई विवादित डॉक्यूमेंट्री, नरेटर की पहचान छिपाने पर मचा बवाल
बीबीसी को अपनी डॉक्यूमेंट्री "गाज़ा: हाउ टू सर्वाइव अ वॉरज़ोन" को लेकर भारी आलोचना का सामना करना पड़ा. डॉक्यूमेंट्री में नरेटर के रूप में जिस बच्चे की आवाज़ इस्तेमाल की गई, वह गाज़ा में हमास सरकार के उप-कृषि मंत्री अयमान अल-याजूरी का बेटा, 13 वर्षीय अब्दुल्ला अल-याजूरी है. लेकिन इस तथ्य को डॉक्यूमेंट्री में दर्शकों से छुपाया गया, जिससे बीबीसी की संपादकीय पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे.
यह डॉक्यूमेंट्री फरवरी 2025 में प्रसारित की गई थी और उसी महीने बीबीसी आईप्लेयर से हटा ली गई. जांच में सामने आया कि डॉक्यूमेंट्री का निर्माण करने वाली स्वतंत्र प्रोडक्शन कंपनी होयो फिल्म्स के तीन सदस्यों को अब्दुल्ला की पृष्ठभूमि की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने यह बात बीबीसी को नहीं बताई.
इस मामले की जांच बीबीसी के संपादकीय शिकायत निदेशक पीटर जॉन्सटन ने की. रिपोर्ट में पाया गया कि यह गंभीर चूक होयो फिल्म्स की ओर से हुई, और बीबीसी की प्रारंभिक संपादकीय समीक्षा में भी खामियां रहीं.
हालांकि जांच में यह स्पष्ट किया गया कि डॉक्यूमेंट्री की सामग्री में निष्पक्षता का उल्लंघन नहीं हुआ है, न ही अब्दुल्ला के परिवार या पिता ने इसमें किसी तरह का हस्तक्षेप किया. फिर भी, रिपोर्ट में यह कहा गया कि इतने संवेदनशील विषय पर एक राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले बच्चे को नरेटर बनाना "अनुचित" फैसला था.
बीबीसी ने मांगी माफी, लगाए नए दिशा-निर्देश
गाज़ा में हमास के खिलाफ इज़रायल की जंग 7 अक्टूबर 2023 को हमास के आतंकी हमले के बाद शुरू हुई थी. गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक 58,000 से ज़्यादा फिलिस्तीनी इस संघर्ष में मारे जा चुके हैं. इस बीच, बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री "गाज़ा: हाउ टू सर्वाइव अ वॉरज़ोन" को लेकर उपजे विवाद पर बीबीसी ने आधिकारिक रूप से माफी मांगी.
बीबीसी के महानिदेशक टिम डेवी ने इस गंभीर चूक के लिए खेद जताते हुए कहा कि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न हो, इसके लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं और एक स्वतंत्र निगरानी प्रणाली भी स्थापित की जा रही है. ब्रिटेन के मीडिया नियामक Ofcom ने भी इस मामले की जांच शुरू कर दी है.
डॉक्यूमेंट्री प्रोड्यूस करने वाली कंपनी होयो फिल्म्स ने अपनी गलती स्वीकार की है और बीबीसी के साथ मिलकर डॉक्यूमेंट्री की सामग्री को फिर से संपादित करने की योजना बनाई है, ताकि पारदर्शिता और संपादकीय मानकों का पालन सुनिश्चित किया जा सके.
यह पूरा घटनाक्रम गाज़ा युद्ध को लेकर बीबीसी की कवरेज पर उठते पुराने सवालों को और गहरा कर गया है. कुछ आलोचक बीबीसी पर इज़रायल-विरोधी रवैया अपनाने का आरोप लगा रहे हैं, तो वहीं कुछ का मानना है कि उसकी कवरेज फिलिस्तीन के प्रति असंवेदनशील रही है. यह विवाद अब बीबीसी की निष्पक्षता और पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर एक नई बहस छेड़ चुका है.