'भागते ओबामा' का पुलिस वैन में पीछा करते दिखे ट्रंप, अमेरिका में डीपफेक के बाद अब मीम वार से गरमाई राजनीति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा पर निशाना साधा है. इस बार उन्होंने एक मीम शेयर किया, जिसमें ओबामा को एक सफेद Ford Bronco में भागते दिखाया गया है और ट्रंप व उपराष्ट्रपति वेन्स पुलिस कार से उनका पीछा करते नजर आते हैं. यह मीम 1994 के OJ सिम्पसन केस पर आधारित है. इससे पहले ट्रंप ने एक AI-जेनरेटेड डीपफेक वीडियो भी शेयर किया था, जिसमें ओबामा को एफबीआई एजेंट गिरफ्तार करते दिखते हैं. सोशल मीडिया पर इन डिजिटल अटैक्स को लेकर विवाद और राजनीतिक गर्मी तेज हो गई है.

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी बराक ओबामा पर डिजिटल हमला करते नजर आए हैं. इस बार उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लेकर एक मीम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बनाए गए वीडियो के ज़रिए ओबामा पर निशाना साधा है. सबसे पहले इस मीम को ट्रंप के बेटे, डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने साझा किया, जिसमें 1994 की चर्चित OJ Simpson कार चेज़ की पैरोडी दिखाई गई थी. इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने खुद इस मीम को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट किया. इस मीम में ओबामा को एक सफेद रंग की Ford Bronco कार में भागते हुए दिखाया गया है, जबकि ट्रंप और तत्कालीन उपराष्ट्रपति माइक पेन्स को पुलिस कार में उनका पीछा करते हुए दर्शाया गया है.
मीम से शुरू हुआ विवाद
इस बार की शुरुआत हुई एक वायरल मीम से, जिसमें 1994 के कुख्यात OJ Simpson केस की याद दिलाई गई. मीम में ओबामा को एक सफेद Ford Bronco में पुलिस से भागते हुए दिखाया गया, जबकि पीछे-पीछे ट्रंप और माइक पेन्स पुलिस कार में उनका पीछा कर रहे हैं. यह मीम सबसे पहले ट्रंप जूनियर ने शेयर किया, जिसे बाद में खुद ट्रंप ने ट्रुथ सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर पोस्ट किया. इसके पीछे ट्रंप का इशारा इस ओर था कि ओबामा को कानून से बचते हुए दिखाया जाए. यह छवि सिर्फ एक मीम नहीं, बल्कि ट्रंप की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें वे ओबामा को जनता की नज़रों में अपराधी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं.
डीपफेक वीडियो से और गहराया मामला
मीम के बाद ट्रंप ने एक AI-जेनरेटेड डीपफेक वीडियो भी शेयर किया जिसमें ओबामा को FBI एजेंट्स द्वारा गिरफ्तार किया जाता दिखाया गया. इस वीडियो में ट्रंप और ओबामा ओवल ऑफिस में बैठे हैं, तभी तीन एजेंट आते हैं और ओबामा को हथकड़ी लगाकर ट्रंप के पैरों में गिरा देते हैं. वीडियो में ट्रंप मुस्कुराते हुए दिखाई देते हैं, जो उनके समर्थकों के लिए शक्ति का प्रतीक बन गया है. लेकिन दूसरी ओर, इस वीडियो को लेकर भारी आलोचना भी हो रही है. मीडिया विशेषज्ञों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के डीपफेक वीडियो न सिर्फ भ्रम फैलाते हैं बल्कि अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देश में राजनीतिक संवाद को भी दूषित करते हैं.
ट्रंप पर लगे एपस्टीन फाइल्स से ध्यान भटकाने के आरोप
ट्रंप के इन डिजिटल हमलों को एक और एंगल से भी देखा जा रहा है. सोशल मीडिया पर कई यूजर्स और पत्रकारों ने आरोप लगाए कि ट्रंप असल में “एपस्टीन फाइल्स” से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में जेफरी एपस्टीन से जुड़े कुछ दस्तावेज़ सामने आए हैं, जिनमें ट्रंप के नाम का उल्लेख होने की बात कही गई. ट्रंप पर आरोप हैं कि वे यौन अपराधी एपस्टीन के साथ गहरे संबंधों में थे. ऐसे में ओबामा पर डिजिटल हमला उनके लिए एक रणनीतिक मोड़ माना जा रहा है जिससे वे अपनी छवि को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.
तुलसी गैबार्ड के आरोप और 'देशद्रोह' की गूंज
इस पूरे विवाद में एक नया मोड़ तब आया जब पूर्व डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार और वर्तमान इंटेलिजेंस एक्सपर्ट तुलसी गैबार्ड ने सामने आकर एक बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा कि ओबामा सरकार के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने जानबूझकर ट्रंप के खिलाफ रूस से संबंधों की झूठी कहानी रची थी. उनके पास ऐसे 100 से अधिक दस्तावेज़ हैं जो ये साबित करते हैं कि 2016 के चुनाव के बाद ट्रंप को नुकसान पहुंचाने की साज़िश रची गई थी. गैबार्ड इन दस्तावेजों को DOJ और FBI को सौंपने की तैयारी में हैं. वहीं, ट्रंप ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ओबामा पर 'देशद्रोह' का आरोप तक लगा डाला. उन्होंने कहा कि “यह चुनाव को रिग करने की साज़िश थी और इसके गंभीर परिणाम होने चाहिए”.
BREAKING OBAMA ARRESTED AT THE WHITEHOUSE OFFERING TRUMP BILLIONS NOT TO TURN HIM INN, TRUMP REFUSED!! pic.twitter.com/4gqnQ2HtHZ
— Thomas Greenberg (@tommyrazorcuts) July 20, 2025
ओबामा कैंप की प्रतिक्रिया और अमेरिका की राजनीतिक संस्कृति पर सवाल
ओबामा की तरफ से इन आरोपों को “अजीब और बेबुनियाद” करार दिया गया है. उनके प्रवक्ता ने कहा कि यह ट्रंप की ओर से ध्यान भटकाने की एक और असफल कोशिश है. लेकिन यह पूरा घटनाक्रम अमेरिका की राजनीतिक संस्कृति को एक नए और खतरनाक मोड़ पर ले जाता दिख रहा है. जब देश के पूर्व राष्ट्रपति एक-दूसरे पर ऐसे सार्वजनिक और डिजिटल हमले करें, तो इससे जनता में भ्रम की स्थिति बनना स्वाभाविक है.
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गौरतलब है कि डिजिटल और AI टेक्नोलॉजी ने जहां एक ओर संवाद के नए द्वार खोले हैं, वहीं इसके खतरे भी साफ तौर पर सामने आने लगे हैं. ट्रंप बनाम ओबामा की यह डिजिटल जंग सिर्फ दो व्यक्तित्वों की लड़ाई नहीं, बल्कि यह इस बात का संकेत है कि भविष्य की राजनीति किस दिशा में जा रही है. अब जनता को सिर्फ नेताओं के भाषणों से नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही वीडियो और मीम से भी प्रभावित किया जा रहा है. ऐसे में सच और झूठ की पहचान करना और भी मुश्किल हो जाएगा. यही वजह है कि अमेरिका जैसे देश में अब डिजिटल जिम्मेदारी और AI रेगुलेशन पर भी गंभीरता से बात शुरू होनी चाहिए.
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