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राजनाथ सिंह का चीन को दो टूक संदेश, LAC पर फिर न हो गलवान जैसी झड़प... इन 4 सूत्रीय फॉर्मूले पर काम करें

SCO की बैठक में शामिल होने चीन पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष एडमिरल डोंग जुन के बीच एक अहम द्विपक्षीय वार्ता हुई. इस मुलाकात के दौरान राजनाथ सिंह ने चीन के सामने चार सूत्रीय फॉर्मूला पेश किया, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच गलवान जैसी स्थिति की पुनरावृत्ति रोकना और सीमा पर स्थायी शांति बहाल करना है.

27 Jun, 2025
( Updated: 28 Jun, 2025
11:09 AM )
राजनाथ सिंह का चीन को दो टूक संदेश, LAC पर फिर न हो गलवान जैसी झड़प... इन 4 सूत्रीय फॉर्मूले पर काम करें

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के दौरान भारत और चीन के बीच रिश्तों में सुधार की एक नई पहल देखने को मिली. बैठक के मौके पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष एडमिरल डोंग जुन के बीच एक अहम द्विपक्षीय वार्ता हुई, जिसमें सीमा विवाद और तनाव को लेकर गंभीर चर्चा हुई.

इस मुलाकात के दौरान राजनाथ सिंह ने चीन के सामने चार सूत्रीय फॉर्मूला पेश किया, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच गलवान जैसी स्थिति की पुनरावृत्ति रोकना और सीमा पर स्थायी शांति बहाल करना है. सूत्रों के मुताबिक, राजनाथ सिंह ने बैठक में 2024 में बनी उस पेट्रोलिंग व्यवस्था को लागू करने पर जोर दिया, जिस पर दोनों देश पहले ही सहमत हो चुके हैं. भारत का स्पष्ट संदेश था कि अब समय आ गया है कि दोनों देश भरोसे के साथ सीमा पर तनाव घटाएं और विवाद को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाएं.

राजनाथ सिंह ने द्विपक्षीय बैठक के दौरान चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जुन के समक्ष चार सूत्रीय फॉर्मूला रखा, जिसका मकसद सीमा पर शांति बनाए रखना और भविष्य में गलवान जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकना है. इस फॉर्मूले में शामिल प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं.

1- डिसएंगेजमेंट: भारत ने 2024 में बनी डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किए जाने पर जोर दिया, ताकि फील्ड में किसी भी प्रकार की टकराव की स्थिति न उत्पन्न हो.
2- तनाव में कमी: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य तनाव को कम करने और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए दोनों पक्षों को मिलकर कदम उठाने की आवश्यकता बताई गई.
3- सीमांकन और परिसीमन: सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सीमांकन और परिसीमन की प्रक्रिया में तेजी लाने की बात कही गई, ताकि निर्धारित लक्ष्यों को समय पर हासिल किया जा सके.
4- विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता: राजनाथ सिंह ने विशेष प्रतिनिधियों के मौजूदा तंत्र को और अधिक सक्रिय रूप से इस्तेमाल करने का सुझाव दिया, ताकि दोनों देश आपसी मतभेद सुलझाकर संबंधों को नई दिशा दे सकें.

जानिए क्या हैं डिसएंगेजमेंट प्लान 
भारत और चीन के बीच सीमा पर शांति बहाली की दिशा में 2024 का डिसएंगेजमेंट प्लान एक महत्वपूर्ण समझौता माना जा रहा है. इस योजना के तहत दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग व्यवस्था को लेकर आपसी सहमति बनाई थी, जिसका उद्देश्य सीमा पर टकराव की संभावनाओं को कम करना है. बताते चलें कि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच LAC पर गश्त (पेट्रोलिंग) को लेकर लगातार तनाव बना हुआ था. इसके बाद कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत के चलते अक्टूबर 2024 में भारत और चीन के बीच यह सहमति बनी, जिसमें पेट्रोलिंग के लिए एक निर्धारित प्रणाली लागू करने पर दोनों पक्ष राजी हुए. इस समझौते का मूल मकसद यह है कि दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के पेट्रोलिंग पॉइंट्स के अतिक्रमण से बचें और तनावग्रस्त क्षेत्रों में सैनिकों की मौजूदगी को क्रमिक रूप से घटाया जाए.  

गलवान घटना के चलते दोनों देशों में आया तनाव 
भारत और चीन के रिश्तों में 2020 वह साल था, जब दशकों बाद दोनों देशों की सेनाएं खूनी संघर्ष में उलझ गईं. अप्रैल-मई 2020 में चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर आक्रामक गतिविधियां शुरू कर दी थीं. इसके चलते मई की शुरुआत में पैंगोंग झील के पास भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई, जिसमें दोनों तरफ के जवान घायल हुए. हालांकि सबसे गंभीर टकराव 15 जून 2020 की रात गलवान घाटी में हुआ, जहां हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए। यह झड़प लोहे की रॉड, कंटीले डंडों और पत्थरों से लड़ी गई थी, जिसमें गोलियों का इस्तेमाल नहीं हुआ, फिर भी यह बेहद घातक साबित हुई. चीन ने शुरू में अपने हताहतों की संख्या जाहिर नहीं की, लेकिन बाद में आई कई रिपोर्टों में दावा किया गया कि चीन को भारत से कहीं ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा, और उसके कई सैनिक मारे गए. इस घटना के बाद भारत-चीन संबंधों में भारी तनाव आ गया। दोनों देशों की सेनाएं भारी संख्या में LAC पर तैनात हो गईं, और एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चाबंदी शुरू हो गई. गलवान संघर्ष के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताएं हुईं. फरवरी 2021 में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात के बाद तनाव कम करने की प्रक्रिया शुरू हुई. आखिरकार, अक्टूबर 2024 में भारत और चीन पेट्रोलिंग व्यवस्था से जुड़े एक डिसएंगेजमेंट प्लान पर सहमत हुए. इस प्लान के तहत दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर विवादित इलाकों में पेट्रोलिंग की नई व्यवस्था अपनाने और फिजिकल टकराव से बचने पर राजी हुईं.

चीन के सामने भारत ने उठाया पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा
राजनाथ सिंह ने बैठक में साफ शब्दों में कहा कि सीमा पार से आतंकवाद को भारत अब किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा और अगर जरूरत पड़ी तो "ऑपरेशन सिंधूर" जैसे सख्त और निर्णायक जवाब दिए जाएंगे. रक्षा मंत्री ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में सभी देशों को एकजुट होना चाहिए, चाहे वह प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हों या अप्रत्यक्ष रूप से. 

राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पर दी जानकारी
राजनाथ सिंह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, "किंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जुन के साथ बातचीत की. हमने द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े मुद्दों पर रचनात्मक और दूरदर्शी बातचीत की. लगभग छह वर्षों के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर खुशी जताई." रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि दोनों देशों के लिए यह जरूरी है कि वे इस सकारात्मक राजनयिक गति को बनाए रखें और भविष्य में किसी भी नई मुश्किल को उत्पन्न होने से रोकें. बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने भारतीय लोककला की एक अद्वितीय पहचानमधुबनी पेंटिंग भी चीनी रक्षा मंत्री को भेंट की. यह बिहार की पारंपरिक कला भारत-चीन सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक बनकर सामने आई. 

भारत-चीन बैठक पर चीन ने जारी किया बयान
भारत-चीन रक्षा मंत्रियों की मुलाकात पर चीन ने बयान जारी कर दावा किया कि भारत टकराव नहीं चाहता और संवाद व आपसी विश्वास बढ़ा रहा है. हालांकि, भारत की ओर से बैठक को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. यह मुलाकात ऐसे वक्त में हुई जब भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने SCO शिखर सम्मेलन के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. दरअसल, एससीओ की अध्यक्षता कर रहे चीन ने पाकिस्तान का साथ देते हुए एससीओ के साझा बयान में पहलगाम आतंकी हमले का ज़िक्र नहीं किया था. इसके विपरीत, संयुक्त दस्तावेज़ में बलूचिस्तान का जिक्र कर भारत पर अप्रत्यक्ष कटाक्ष किया गया था कि वह वहां अशांति फैला रहा है. भारत ने इस पक्षपातपूर्ण रुख का विरोध करते हुए बयान से दूरी बना ली और चीन-पाक गठजोड़ को कड़ा जवाब दिया.

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