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ऑपरेशन सिंदूर का टॉप टार्गेट था भारत के दुश्मनों का अड्डा मरकज सुभान अल्लाह, संसद-पठानकोट हमले से है कनेक्शन

मरकज सुभान अल्लाह पाकिस्तानी पंजाब के बहावलपुर में स्थित है. यह पूरा क्षेत्र 15 एकड़ में फैला हुआ है. इस जगह को आतंकियों को ट्रेनिंग देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यही मस्जिद ऑपरेशन सिंदूर का टॉप टार्गेट में से एक था.

भारत की तीनों सेनाओं ने मिलकर पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए 26 निर्दोष मृतकों का बदला ले लिया है. पाकिस्तान और पाकिस्तान के  POK वाले हिस्से में सेना ने कुल 9 जगहों को निशाना बनाया है. इस मिशन का नाम "ऑपरेशन सिंदूर" दिया गया था. भारतीय सेना ने कई बड़े आतंकी ठिकानों के मुख्यालय और ट्रेनिंग सेंटर को पूरी तरीके से तबाह कर दिया. इसमें भारत के खिलाफ आतंकी साजिश रचने वाले सबसे बड़े आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा का भी ठिकाना शामिल रहा है. पूरे पाकिस्तान में मातम पसरा हुआ है. पाकिस्तान का सबसे बड़ा आतंकी मसूद अजहर भी मरते-मरते बचा है. लेकिन उसके परिवार के करीब 14 सदस्यों की मौत हुई है. इसमें परिवार के कई बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. लेकिन इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा मरकज सुभान अल्लाह की हो रही है. हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर इस जगह का पुलवामा, पठानकोट और 2001 में हुए संसद हमले से क्या कनेक्शन है ? 

जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख ने कबूला परिवार की मौत का सच
बता दें कि भारतीय सेना द्वारा किए गए हमले में आतंकी मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्यों की मौत हुई है, जबकि 4 बेहद करीबी भी मारा गया. इनमें कई उसके रिश्तेदार शामिल थे. आतंकी मसूद अजहर ने खुद 10 लोगों की मौत की सच्चाई कबूल की है. इसके परिवार पर जिन जगहों और हमला हुआ है. उनमें मरकज सुभान अल्लाह और बहावलपुर दो जगह शामिल हैं. मसूद अजहर ने खुद दावा किया है कि भारतीय हमले में उसकी मां, पत्नी, बड़ी बहन, जीजा, एक भतीजी और परिवार के 5 और बच्चों की मौत हुई है. इसके अलावा 2 अन्य सहयोगी भी मारे गए हैं. वह खुद इस हमले से इतना टूट गया कि कहने लगा कि मेरी मौत क्यों नहीं आई. मसूद अजहर साल 2001 भारतीय संसद, पुलवामा,पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड है. 

क्या है मरकज सुभान अल्लाह ?

आपको बता दें कि मरकज सुभान अल्लाह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर में बाहरी इलाके में नेशनल हाईवे-5 (कराची- तोरखम) पर स्थित है. यह पूरा क्षेत्र 15 एकड़ में फैला हुआ है. इस जगह को आतंकियों को ट्रेनिंग देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. साल 2019 में हुए पुलवामा अटैक, पठानकोट और 2001 में हुए संसद हमले में भी आतंकियों को यहीं पर प्रशिक्षण दिया गया था. इस जगह पर जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर के अलावा दूसरे प्रमुख मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर और आतंकी मौलाना अम्मार के अलावा कई आतंकियों का परिवार रहता है. 

आखिर कैसे बच निकला जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर 

भारतीय सेना की एयर स्ट्राइक में मसूद अजहर के परिवार के कई सदस्य मारे गए हैं. लेकिन आतंकवादी संगठन प्रमुख मसूद अजहर कैसे बच निकला ?  यह एक बहुत बड़ा सवाल है. दरअसल, पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान सरकार और सेना ने उसे कड़ी सुरक्षा निगरानी में इस्लामाबाद या रावलपिंडी में किसी अज्ञात स्थान पर छिपा  रखा है. क्योंकि उसे पता है कि आतंकी हमले के बाद भारत उसे ढूंढने की पूरी कोशिश करेगी और वह निशाने पर भी आ सकता है. यही वजह है कि "ऑपरेशन सिंदूर" में वह बच निकला. 

भारत में हुए 3 बड़े हमलों का मास्टरमाइंड है मसूद अजहर 

जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मसूद अजहर भारत में हुए 3 बड़े आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड है. वह साल 2001 भारतीय संसद, 2016 में पठानकोट, 2019 में पुलवामा अटैक में भी शामिल था. साल 2019 में संयुक्त राष्ट्र ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया था. अमेरिकी सरकार ने जैश-ए-मोहम्मद को पहले ही विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है. भारत सरकार ने पाकिस्तान से मसूद अजहर और उसके भाई की प्रत्यर्पण की भी मांग की है. लेकिन चीन इसमें बार-बार टांग अड़ाता रहा. उसने वीटो पावर का इस्तेमाल कर कई बार प्रत्यर्पण पर रोक लगवा दी. पाकिस्तानी सरकार ने साल 2002 में इस आतंकवादी संगठन पर बैन लगा दिया था. लेकिन उसके बाद वह अलग-अलग नामों से सक्रिय रहा. मसूद अजहर कई बड़ी घटनाओं में शामिल रहा. उसने पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति प्रवेश मुशर्रफ पर भी हमला किया था. 

कई बड़ी सुविधाओं से लैस है मरकज सुभान अल्लाह 

खबरों के मुताबिक, मरकज सुभान अल्लाह जैश-ए-मोहम्मद का मुख्य ठिकाना है. इस आतंकवादी ग्रुप के सभी आतंकियों का परिवार इसी जगह पर रहता है. इस जगह से  आतंकियों को प्रशिक्षण,फंडिंग और ग्रुप में नए लड़कों को जोड़ने का काम होता है. यहां इस आतंकवादी संगठन से जुड़े कई बड़े पदाधिकारियों के आवास बने हुए हैं. यहां इस आतंकी ग्रुप से जुड़े 600 से अधिक कार्यकर्ता भी रहते हैं. जो हर एक तरह के आतंकवादी गतिविधि को देखते हैं. यह जगह आतंकवादियों का एक बड़ा अड्डा है. इस मरकज के अंदर अत्याधुनिक जिम और स्विमिंग पुल भी है. इसका निर्माण साल 2018 में हुआ था. आतंकियों को इस स्विमिंग पुल में प्रशिक्षण दिया जाता है. ताकि वह शारीरिक रूप से तैराकी कर गहरे पानी में भी गोताखोरी का प्रशिक्षण ले सके. 

जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को सिखाई जाती है तीरंदाजी 
इस मरकज सुभान अल्लाह वाले आतंकी सेंटर में जैश-ए-मोहम्मद के कार्यकर्ताओं और शूरा सदस्यों को 6 दिनों की तीरंदाजी ट्रेनिंग भी दी जाती है. साल 2019 में मरकज के अंदर एक नया "अल हिजामा केंद्र" बनाया गया था. जो प्रेशर कपिंग के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मई 2022 में घोड़ों के अस्तबल और राइडिंग ग्राउंड का भी निर्माण करवाया गया है. यहां पर आतंकी घुड़सवारी की ट्रेनिंग लेते हैं. यह क्षेत्र राजस्थान के खाजूवाला आईबी सेंटर से करीब 100 किलोमीटर की हवाई दूरी पर स्थित है.

इस आतंकी स्थान के लिए कौन करता है फंडिंग ?
आतंकी स्थल मरकज का निर्माण पाकिस्तान की प्रांतीय और संघीय सरकारों की मदद से कराया गया था. इसके अलावा ब्रिटेन, अफ्रीकी और कई खाड़ी जगहों से भी फंडिंग मिली थी. इस जगह का निर्माण साल 2015 में हुआ था. 30 नवंबर 2024 को करीब 2 साल बाद जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख ने मरकज सुभान अल्लाह में अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था. उसने कई भारत विरोधी बयान दिए थे. इनमें बाबरी मस्जिद की विध्वंस का बदला लेना भी शामिल था.

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