गूगल का बड़ा फैसला, अब एंड्रॉयड यूजर्स नहीं कर पाएंगे किसी भी ऐप को सीधे इंस्टॉल
गूगल का यह कदम एक तरफ जहां यूजर्स की डिजिटल सुरक्षा को बेहतर करेगा, वहीं दूसरी ओर यह गूगल के इकोसिस्टम को भी और नियंत्रित और प्रबंधित बनाएगा. इससे एंड्रॉयड का ओपन सिस्टम थोड़ा सीमित ज़रूर होगा, लेकिन गूगल का मानना है कि यह कदम यूजर ट्रस्ट और सेफ्टी के लिए जरूरी है.
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Google User: गूगल ने एंड्रॉयड यूजर्स की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए एक बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है. अब तक एंड्रॉयड की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि यूजर्स चाहें तो किसी भी स्रोत (source) से ऐप्स डाउनलोड और इंस्टॉल कर सकते थे. लेकिन अब गूगल इसमें बदलाव करने जा रहा है. 2026 से शुरू होकर 2027 तक पूरी दुनिया में लागू होने वाले इस बदलाव के बाद अनवेरिफाइड डेवलपर्स की ऐप्स को एंड्रॉयड डिवाइसेस पर इंस्टॉल करना मुमकिन नहीं होगा.
डेवलपर वेरिफिकेशन प्रोग्राम होगा जरूरी
गूगल अब एक नया डेवलपर वेरिफिकेशन प्रोग्राम लेकर आएगा. इसके तहत हर ऐप डेवलपर को गूगल से अपनी पहचान और जानकारी वेरिफाई करानी होगी. वेरिफिकेशन के बाद ही उन्हें यह अधिकार मिलेगा कि वे सर्टिफाइड एंड्रॉयड डिवाइसेस (यानी जिनमें गूगल की प्री-इंस्टॉल्ड सर्विसेस होती हैं) पर अपनी ऐप्स इंस्टॉल करने की परमिशन दें.अब तक यह वेरिफिकेशन केवल उन ऐप्स के लिए होता था जो गूगल प्ले स्टोर पर लिस्ट होती थीं, लेकिन नए बदलाव के बाद, गूगल थर्ड-पार्टी सोर्स से ऐप देने वाले डेवलपर्स को भी वेरिफाई करेगा. इसका मतलब ये है कि अगर कोई डेवलपर सिर्फ वेबसाइट या किसी अन्य माध्यम से ऐप देना चाहता है, तो उसे भी गूगल से मंजूरी लेनी होगी.
किन डिवाइसेस पर लागू होगा यह नियम?
गूगल का नया नियम सिर्फ उन स्मार्टफोन्स और डिवाइसेस पर लागू होगा जिनमें गूगल की सर्विसेस पहले से इंस्टॉल होती हैं, जैसे गूगल प्ले स्टोर, जीमेल, यूट्यूब आदि. चीन जैसे देशों में जो एंड्रॉयड फोन्स बिना गूगल सर्विसेस के आते हैं, वे इस नियम के बाहर रहेंगे.
कब से लागू होगा नया सिस्टम?
गूगल अक्टूबर 2025 से इस सिस्टम की टेस्टिंग शुरू कर देगा. इसके बाद मार्च 2026 से डेवलपर्स के लिए एक खास प्लेटफॉर्म यानी "एंड्रॉयड डेवलपर कंसोल" चालू किया जाएगा, जहां वे अपना वेरिफिकेशन करवा सकेंगे. गूगल की योजना है कि सबसे पहले यह बदलाव ब्राजील, इंडोनेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड जैसे देशों में लागू हो। इसके बाद 2027 तक इसे पूरी दुनिया में लागू कर दिया जाएगा.
यूजर्स के लिए क्या बदलेगा?
इस बदलाव के बाद, यूजर्स अब केवल उन्हीं ऐप्स को साइड-लोड (यानि बाहर से डाउनलोड) कर पाएंगे, जिनके डेवलपर्स ने गूगल से वेरिफिकेशन करवाया होगा। इससे यूजर्स को मालवेयर, फर्जी ऐप्स और डाटा चोरी जैसी समस्याओं से काफी हद तक सुरक्षा मिलेगी. हालांकि, डेवलपर्स को इस नई प्रक्रिया में शामिल होना अनिवार्य होगा, जिससे स्वतंत्र डेवलपर्स को थोड़ी परेशानी हो सकती है.
गूगल की सुरक्षा को लेकर सख्ती
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गूगल का यह कदम एक तरफ जहां यूजर्स की डिजिटल सुरक्षा को बेहतर करेगा, वहीं दूसरी ओर यह गूगल के इकोसिस्टम को भी और नियंत्रित और प्रबंधित बनाएगा. इससे एंड्रॉयड का ओपन सिस्टम थोड़ा सीमित ज़रूर होगा, लेकिन गूगल का मानना है कि यह कदम यूजर ट्रस्ट और सेफ्टी के लिए जरूरी है.
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