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नहीं खत्म हो रही अमेरिकी राष्ट्रपति की मुश्किलें...अब इस मामले में बुरे फंसे डोनाल्ड ट्रंप, जानिए क्या है पूरा मामला?

अमेरिकी जज चार्ल्स ब्रेयर ने मंगलवार को दक्षिणी कैलिफोर्निया में आव्रजन प्रवर्तन के विरोध-प्रदर्शनों में नेशनल गार्ड के इस्तेमाल पर फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रंप ने संघीय एजेंटों के साथ सैनिकों को भेजकर संघीय कानून का उल्लंघन किया है. हालांकि, वॉशिंगटन की अदालत में तैनात जज ने वहां से सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश नहीं दिया.

Image/MetaAI

अमेरिका की सत्ता संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रंप लगातार अपने फैसलों की वजह से घिरते जा रहे हैं. टैरिफ मसले पर उन्होंने पूरी दुनिया में युद्ध छेड़ रखा है. भारत के साथ संबंधों को बिगाड़कर उन्होंने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है. उनके फैसले का विरोध सिर्फ भारतवासी नहीं, बल्कि अमेरिका के लोग भी कर रहे हैं. इसके अलावा अमेरिका में भी कई ऐसे विवाद हैं, जिसके चलते उनकी मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. एक तरीके से कहा जाए, तो ट्रंप के बुरे दिन चल रहे हैं. इस बीच ट्रंप एक और विवाद में फंसते नजर आ रहे हैं. खबरों के मुताबिक, अमेरिका के एक संघीय जज ने ट्रंप प्रशासन द्वारा नेशनल गार्ड सैनिकों के इस्तेमाल को अवैध ठहराया है. इसको लेकर अमेरिकी जज चार्ल्स ब्रेयर ने दक्षिणी कैलिफोर्निया में आव्रजन प्रवर्तन के विरोध- प्रदर्शनों के दौरान नेशनल गार्ड सैनिकों के इस्तेमाल पर यह फैसला सुनाया है. 

क्या है पूरा मामला? 

अमेरिकी जज चार्ल्स ब्रेयर ने मंगलवार को दक्षिणी कैलिफोर्निया में आव्रजन प्रवर्तन के विरोध-प्रदर्शनों में नेशनल गार्ड के इस्तेमाल पर फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रंप ने संघीय एजेंटों के साथ सैनिकों को भेजकर संघीय कानून का उल्लंघन किया है, हालांकि, वॉशिंगटन की अदालत में तैनात जज ने वहां से सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश नहीं दिया. 

ट्रंप के वकील का बयान

इस मामले में दायर मुकदमे में कहा गया है कि गर्मियों के मौसम में लॉस एंजिल्स भेजे गए सैनिक उस कानून का उल्लंघन कर रहे हैं, जो सेना द्वारा घरेलू कानूनों को लागू किए जाने पर रोक लगाता है. इसको लेकर ट्रंप प्रशासन के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी है कि इस सिलसिले में पॉसे कॉमिटेटस अधिनियम लागू नहीं होता है, क्योंकि उस दौरान सैनिक संघीय अधिकारियों की रक्षा कर रहे थे. वकीलों का कहना है कि सैनिकों को एक ऐसे अधिकार के तहत तैनात किया गया था, जो राष्ट्रपति को उन्हें तैनात करने की अनुमति प्रदान करता है. 

सेना की तैनाती के दौरान आया कोर्ट का फैसला

बता दें कि यह फैसला ऐसे समय पर आया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप डेमोक्रेटिक शासन वाले शहरों, शिकागो, बाल्टीमोर और न्यूयॉर्क में सेना की तैनाती कर रहे हैं. इसके अलावा ट्रंप ने वॉशिंगटन डीसी के लिए भी ऐसा ही आदेश जारी किया है.

अधिकारियों ने संवैधानिक सीमाओं की जीत बताई

कैलिफोर्निया के अधिकारियों ने इस फैसले को संवैधानिक सीमाओं की जीत बताई है. अमेरिका के एक स्टेट अटॉर्नी ने फैसले के बाद कहा कि सेना राजनीति का टूल नहीं है. वहीं दूसरी तरफ डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को शिकागो को हत्या की वैश्विक राजधानी बता डाला. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर ट्रंप ने लिखा कि हत्याओं के मामले में शिकागो दुनिया का सबसे बड़ा आपराधिक शहर है. 

शिकागो दुनिया का सबसे आपराधिक शहर 

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ के एक अन्य पोस्ट में कहा कि सप्ताह के अंत में शिकागो शहर में कम से कम 54 लोगों पर गोलीबारी की गई है. इनमें 8 लोगों की मौत हुई है. शिकागो दुनिया का अब तक का सबसे खराब एवं खतरनाक शहर है. 

ट्रंप ने हर एक मदद का आश्वासन दिया

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इलिनॉयस के गवर्नर जेबी प्रित्जकर को मदद की सख्त जरूरत है, लेकिन उन्हें अभी तक इसका अंदाजा नहीं है. मैं अपराध की समस्या का जल्द से जल्द समाधान करूंगा, ठीक वैसा ही जैसा मैंने वॉशिंगटन डीसी में किया था. अमेरिका का आपराधिक शहर शिकागो फिर से सुरक्षित शहर बनेगा.

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