सिंधु जल संधि निलंबन से पाकिस्तान में हाहाकार... टेंशन में किसान, खाद्य की कीमतें बढ़ीं, सूखा पड़ने के आसार
पंजाब प्रांत के सिंचाई विभाग के उप- इंजीनियर का कहना है कि 'अगर पानी छोड़ने में जरा सी भी गड़बड़ी हुई, तो यह हमारे पूरे सिंचाई कार्यक्रम को बिगाड़ कर रख देगा. चावल की बुवाई का सीजन शुरू होने वाला है. जिसे पर्याप्त मात्रा में पानी की जरूरत है.अगर पानी नहीं मिला, तो पूरा कृषि सिस्टम खतरे में आ सकता है.
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पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ कई दशकों तक चल रहे सिंधु जल संधि समझौता पहलगाम आतंकी हमले के बाद रद्द हो चुका है. भारत सरकार के इस फैसले के बाद पाकिस्तान के किसान पानी बिना रो रहे हैं. वहां की फसलें सूख रही है, खाद्य की कीमतों में बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है. बता दें कि पाकिस्तान की 80% खेती इसी जल पर निर्भर है. चेनाब नदी का पानी दोनों देशों से होकर गुजरती है. बीते 6 दशकों से अधिक इस नदी का पानी पाकिस्तान में बहती रही है, जिसने दोनों देशों के बीच युद्धों और राजनीतिक टकराव को भी झेला है. लेकिन पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि समझौते के रद्द होने के बाद भारत के लिए यह किसी हथियार से कम नहीं है. पाकिस्तान सेना और सरकार की हरकतों का खामियाजा वहां के किसान और आम जनता भुगत रहे हैं. भारत ने पाकिस्तान को खुलेआम चेतावनी दी है कि यह निलंबन तब तक जारी रहेगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद को विश्वसनीय रूप से त्याग नहीं देता. पाकिस्तान की खेती और किसान दोनों पूरी तरीके से प्रभावित होते नजर आ रहे हैं.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में खाद्य कीमतों ने चिंता बढ़ाई
पंजाब प्रांत के सिंचाई विभाग के उप- इंजीनियर का कहना है कि 'अगर पानी छोड़ने में जरा सी भी गड़बड़ी हुई, तो यह हमारे पूरे सिंचाई कार्यक्रम को बिगाड़ कर रख देगा. चावल की बुवाई का सीजन शुरू होने वाला है. जिसे पर्याप्त मात्रा में पानी की जरूरत है.अगर पानी नहीं मिला, तो पूरा कृषि सिस्टम खतरे में आ सकता है. पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से पंजाब में पानी की स्थिरता पर निर्भर है. यहां उगाए गए गेहूं, चावल, गन्ने से लाखों लोगों को भोजन मिलता है. उनका पेट भरता है. चाहे कोई भी रुकावट क्यों ना हो. चाहे वह अस्थाई ही क्यों ना हो. वह पूरी तरीके से पैदावार को कम कर सकता है. महंगाई से टूट चुके देश में खाद्य कीमतों को बढ़ाया जा सकता है.'
'पाकिस्तान के किसान डर में जी रहे हैं'
पाकिस्तान की खेतों में काम करने वाली 50 वर्षीय किसान मोहम्मद यूनुस ने बताया कि 'हम खेतों में काम करने वाले साधारण किसान हैं. मेरे अलावा कई किसान डर में जी रहे हैं. अगर भारत पानी रोक देता है या देरी करता है. तो हम अपनी फसल बो नहीं सकते हैं. वहीं जब पानी आता है. तो यह बाढ़ बन जाती है. हमारे खेत डूब जाते हैं. हम जो उपज की उम्मीद रखते हैं. वह भी नष्ट हो जाती है. हम रोपाई करने और फसल काटने में असमर्थ हो जाते हैं.'
पाकिस्तान में भयंकर बाढ़ और सूखे की संभावना
बता दें कि वर्तमान में भारत में नदियों के प्रवाह को पूरी तरह से रोकने के लिए भंडारण की कमी है. विशेष तौर पर मानसून वाले समय में पानी को री-स्टोर करने की कोई व्यवस्था नही है. यहां पूर्वानुमानों की कमी है. पानी का समय, उसकी मात्रा या अचानक छोड़े जाने से अनिश्चितता से नीचे की ओर अचानक बाढ़ या सूखे की स्थिति पैदा हो सकती है. सिंधु जल संधि समझौता दुनिया के सबसे बड़े जल-साझाकरण समझौते में से एक है. फिलहाल दोनों ही पक्ष राजनीतिक रणनीति में उलझे हुए हैं. जहां भारत की तरफ से किसी भी तरह की मध्यस्थता के रास्ते अस्वीकार कर दिए गए हैं. पाकिस्तान ने इसको लेकर संघर्ष की बात कही है.
पानी का प्रवाह कम करने या रोकने से बिगड़ेंगे हालात
अगर सिंधु जल संधि का उल्लंघन किया जाता है, तो मौजूदा प्रवाह कम हो जाएगा. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि यह 15 से 20 प्रतिशत कम हो सकता है. पंजाब की मुख्य खेती चेनाब नदी पर निर्भर है. पानी का 80 प्रतिशत योगदान इसी नदी से आता है. अगर पानी कम हुआ या रोका गया, तो पाकिस्तान की कृषि पर गहरा प्रभाव पड़ेगा."वर्तमान में पानी का प्रवाह जारी है, लेकिन भविष्य को लेकर अभी कुछ भी स्पष्ट नही है. इस संधि के टूटने से पाकिस्तान को न सिर्फ पानी का डर है बल्कि पहले से ही अस्थिर क्षेत्र में अधिक अस्थिरता का भी डर सता रहा है. यह नदी दोनों देशों के बीच जीवन और सहयोग का हिस्सा रहा है. लेकिन आज यह गतिरोध के केंद्र में है. इससे दोनों ओर से विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं.