बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में है, जहां अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने अपने इस्तीफे की धमकी के बाद पद पर बने रहने का ऐलान किया है. देश में बढ़ते राजनीतिक तनाव, विदेशी दखल और चुनाव सुधारों को लेकर चिंताओं के बीच बुलाई गई एक आपात बैठक में यह निर्णय लिया गया.
बांग्लादेश में पिछले कुछ हफ्तों से चल रहे सियासी उठापटक के बीच अब एक राहतभरी खबर सामने आई है. देश के अंतरिम सरकार प्रमुख और सलाहकार परिषद के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस, जो कुछ दिनों पहले इस्तीफे की धमकी देकर सियासी हलकों में हलचल मचा चुके थे, अब अपने पद पर बने रहने के लिए तैयार हो गए हैं. शनिवार को राजधानी ढाका के शेर-ए-बांग्ला नगर स्थित योजना आयोग की इमारत में आयोजित एक आपात बैठक में यह अहम फैसला लिया गया. यह बैठक राष्ट्रीय आर्थिक परिषद की बैठक के तुरंत बाद बुलाई गई थी, जिसमें चुनाव, सुधार और न्याय व्यवस्था से जुड़ी गहन चर्चा हुई.
अस्थिरता के बीच आया यूनुस का बयान
बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि देश का सामान्य कामकाज राजनीतिक अस्थिरता और विभिन्न दलों की असंगत मांगों के कारण बाधित हो रहा है. प्रोफेसर यूनुस ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सरकार अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करती रहेगी और किसी भी प्रकार के भ्रामक प्रचार या असंवैधानिक गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यूनुस का यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में चुनावों की तैयारियों को लेकर कई तरह की अटकलें और विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं.
एकता की अपील और तानाशाही से सावधानी
सलाहकार परिषद ने इस बैठक में सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे देश की स्थिरता को प्राथमिकता दें और किसी भी प्रकार की तानाशाही प्रवृत्तियों को उभरने न दें. बैठक में यह भी चेतावनी दी गई कि अगर विदेशी साजिशों या हारे हुए दलों की साजिशों से सरकार की कार्यप्रणाली में बाधा डाली गई, तो जनता को पूरा सच बताकर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी.
प्रोफेसर यूनुस ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार का लक्ष्य निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना है. साथ ही न्यायिक सुधारों और शासन व्यवस्था में पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जाएगी. उन्होंने कहा कि किसी भी विरोधी गतिविधि को सख्ती से निपटा जाएगा और अगर जरूरत पड़ी, तो सरकार जनता के समर्थन से साहसिक निर्णय लेने से पीछे नहीं हटेगी.
बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार जुलाई में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद अस्तित्व में आई थी. तब से लेकर अब तक यह सरकार लगातार राजनीतिक स्थिरता बहाल करने, चुनावी प्रक्रिया को विश्वसनीय बनाने और प्रशासनिक सुधार लागू करने की दिशा में काम कर रही है. प्रोफेसर यूनुस का पद पर बने रहना इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है.
इस सियासी घटनाक्रम से साफ है कि बांग्लादेश फिलहाल अस्थिरता के दौर से धीरे-धीरे निकल रहा है. यूनुस की वापसी और उनकी निर्णायक भूमिका आने वाले चुनावों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती दे सकती है. अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि राजनीतिक दल आपसी टकराव से ऊपर उठकर देशहित में एकजुट हो पाते हैं या नहीं.
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