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Indian Air Force Day 2025 : आसमान की शान, धरती का अभिमान – जानिए क्यों भारतीय वायुसेना दुनिया की टॉप एयर फोर्स में शामिल है

भारतीय वायुसेना न सिर्फ संख्या, बल्कि तकनीक, साहस और रणनीति में भी मजबूत है. सुखोई, राफेल, तेजस और एस-400 जैसे हथियार इसे दुश्मनों के लिए अजेय बनाते हैं. स्वदेशीकरण और भविष्य की योजनाओं के साथ यह 2047 तक और ताकतवर होगी. इस वायुसेना दिवस पर हमें अपने वीर जवानों पर गर्व है.

08 Oct, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
05:16 PM )
Indian Air Force Day 2025 : आसमान की शान, धरती का अभिमान – जानिए क्यों भारतीय वायुसेना दुनिया की टॉप एयर फोर्स में शामिल है

हमारी वायुसेना की ताकत, 10 पॉइंट्स में जानें पूरी कहानी, 8 अक्टूबर 2025 को भारतीय वायुसेना (आईएएफ) अपना 93वां स्थापना दिवस मना रही है. 1932 में स्थापित यह सेना आज भारत की सबसे मजबूत रक्षा शक्तियों में से एक है. इसका ध्येय वाक्य 'नभः स्पृशं दीप्तम्' यानी 'आकाश को छूकर चमकना' इसके साहस और समर्पण को दर्शाता है. दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर वायुसेना होने के बावजूद चुनौतियां कम नहीं हैं. लेकिन आधुनिक विमान, मिसाइलें और रणनीतियों के साथ यह हर खतरे का जवाब देने को तैयार है.

आइए, 10 पॉइंट्स में जानते हैं कि भारतीय वायुसेना कितनी ताकतवर है, इसका बेड़ा, हथियार और भविष्य की योजनाएं क्या हैं.

  • दुनिया की चौथी सबसे मजबूत वायुसेना

भारतीय वायुसेना को ग्लोबल फायरपावर 2025 की रैंकिंग में दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर वायुसेना का दर्जा मिला है. अमेरिका (13,000+ विमान), रूस और चीन के बाद भारत का नंबर आता है. इसके पास कुल 2,229 विमान हैं, जिनमें लड़ाकू, परिवहन, हेलीकॉप्टर और ट्रेनिंग विमान शामिल हैं. यह संख्या पाकिस्तान (1,434 विमान) और चीन (3,300+ विमान) से कम है, लेकिन भारत की ताकत इसकी उन्नत तकनीक और प्रशिक्षित पायलटों में है.

  • विमानों की कुल संख्या और बेड़ा

2025 तक भारतीय वायुसेना के पास 1,716 सक्रिय विमान हैं. वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट (डब्ल्यूडीएमएमए) के मुताबिक, इनमें 600 से ज्यादा लड़ाकू विमान, 250 हेलीकॉप्टर, 350 परिवहन विमान और 400 ट्रेनर विमान शामिल हैं. यह बेड़ा भारत को न सिर्फ हवाई युद्ध में, बल्कि आपदा राहत और रणनीतिक मिशनों में भी सक्षम बनाता है.

  • स्क्वाड्रन की स्थिति

वायुसेना की ताकत स्क्वाड्रनों से मापी जाती है. एक स्क्वाड्रन में 18-20 विमान होते हैं. 2025 में मिग-21 जैसे पुराने विमानों के रिटायर होने से स्क्वाड्रनों की संख्या 29 रह गई है, जबकि जरूरत 42 की है. तुलना करें तो पाकिस्तान के पास 25 और चीन के पास 66 स्क्वाड्रन हैं. इस कमी को पूरा करने के लिए तेजस, राफेल और नए विमानों की खरीद तेजी से हो रही है.

  • सुखोई-30एमकेआई

केआई भारतीय वायुसेना का सबसे ताकतवर हथियार है रूस निर्मित सुखोई-30एमकेआई. इसके 13 स्क्वाड्रन (लगभग 260 विमान) हैं. यह मल्टीरोल फाइटर है, जो 57,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है और 2,000 किमी की रेंज रखता है. यह हवा-से-हवा और हवा-से-जमीन दोनों तरह के हमले कर सकता है. ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल से लैस सुखोई दुश्मन के लिए खौफ का नाम है

  • स्वदेशी तेजस

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) का तेजस मार्क-1ए स्वदेशी लड़ाकू विमान है. 2025 में सरकार ने 97 नए तेजस मार्क-1ए विमानों की खरीद को मंजूरी दी है. ये विमान मिग-21 की जगह लेंगे. अभी 38 तेजस विमान सेवा में हैं, जो आधुनिक एईएसए रडार और स्वदेशी आस्त्रा मिसाइल (110 किमी रेंज) से लैस हैं. तेजस का हल्का वजन और उन्नत तकनीक इसे बेहद फुर्तीला बनाती है.

  • राफेल और मिराज

फ्रांस से खरीदे गए 36 राफेल विमान 2019 से वायुसेना का हिस्सा हैं. ये मल्टीरोल फाइटर मेटियोर मिसाइल (150+ किमी रेंज) और स्कैल्प क्रूज मिसाइल से लैस हैं. राफेल का रडार और स्टेल्थ फीचर इसे खास बनाते हैं. इसके अलावा, 50 मिराज-2000 विमान भी हैं, जिन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध और 2019 के बालाकोट हमले में अपनी ताकत दिखाई. ये दोनों विमान दुश्मन के रडार को चकमा देने में माहिर हैं.

  • हवाई रक्षा 

भारत ने रूस से पांच एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदे हैं, जो 2025 तक पूरी तरह तैनात हैं. इनकी रेंज 400 किमी है, जो दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को आसानी से नष्ट कर सकती है. इसके अलावा, डीआरडीओ का प्रोजेक्ट कुषा स्वदेशी मल्टी-लेयर डिफेंस सिस्टम बना रहा है. 18 एमआरएसएएम (मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल) स्क्वाड्रन भी तैनात हैं, जो 70 किमी तक हवाई खतरों को खत्म करते हैं.

  • मिसाइलों का जखीरा

भारतीय वायुसेना का मिसाइल आर्सेनल भी कमाल का है. स्वदेशी आस्त्रा एमकेआई मिसाइल (110 किमी रेंज) सुखोई और तेजस पर लगी है और इसका उत्पादन 2025 में तेज हुआ है. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (290 किमी रेंज) सुखोई से लॉन्च होती है और जमीन-समुद्र दोनों ठिकानों को निशाना बनाती है. इसके अलावा, अग्नि-पी बैलिस्टिक मिसाइल और लेजर-गाइडेड बम भी बेड़े में शामिल हैं. 

  • हेलीकॉप्टर और परिवहन विमान

वायुसेना के पास 22 अपाचे एएच-64 अटैक हेलीकॉप्टर हैं, जो एंटी-टैंक मिशनों और जमीनी समर्थन में माहिर हैं. 15 चिनूक हेलीकॉप्टर भारी सामान ढोने में इस्तेमाल होते हैं. 11 सी-17 ग्लोबमास्टर विमान 77 टन तक कार्गो ले जा सकते हैं, जो सीमा पर तैनाती और आपदा राहत में अहम हैं. मिग-29 और अन्य विमानों के लिए हवा में ईंधन भरने वाले 6 इल्यूशिन-78 टैंकर भी हैं.

  • भविष्य की योजनाएं

2047 तक 60 स्क्वाड्रनवायुसेना का लक्ष्य 2035 तक 42 स्क्वाड्रन और 2047 तक 60 स्क्वाड्रन हासिल करना है. इसके लिए कई बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं:

यह भी पढ़ें

  • एमआरएफए : 114 मल्टीरोल फाइटर विमानों की खरीद की योजना, जिसमें बोइंग, लॉकहीड मार्टिन और डसॉल्ट जैसे विकल्प हैं.
  • एएमसीए : 5वीं पीढ़ी का स्वदेशी स्टेल्थ फाइटर, जिसका प्रोटोटाइप 2028 तक तैयार होगा.
  • ड्रोन और यूएवी : घाटक यूसीएवी जैसे ड्रोन युद्ध में गेम-चेंजर होंगे.
  • सुदर्शन चक्र मिशन : हाइपरसोनिक हथियार और नियर-स्पेस टेक्नोलॉजी पर काम, जो भविष्य के खतरों से निपटेगा.

हालांकि वायुसेना ताकतवर है, लेकिन मिग-21 जैसे पुराने विमानों का रिटायरमेंट और स्क्वाड्रन की कमी चुनौती है. चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर बढ़ते खतरे को देखते हुए तेजी से आधुनिकीकरण जरूरी है. सरकार ने 2025 में रक्षा बजट में 1.72 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें से बड़ा हिस्सा वायुसेना के लिए है. स्वदेशीकरण पर जोर देते हुए तेजस, आस्त्रा और कुषा जैसे प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा दिया जा रहा है.

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