जानें कौन हैं सुशीला कार्की? जो बनने जा रही हैं नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री! आखिर Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने उन्हें अपना नेता कैसे चुना? समझिए पूरी कहानी
नेपाल में 3 दिनों से हिंसात्मक आंदोलन चलाने वाले युवाओं ने देश की पहली महिला चीफ जस्टिस रहीं सुशीला कार्की को अपना नेता चुना है. वह नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बनेंगी. वह आज इस पद की जिम्मेदारी संभाल सकती हैं.
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नेपाल में Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने राजनीतिक उथल-पुथल से देश को बाहर निकालने के लिए एक बुज़ुर्ग और अनुभवी नेता की ओर रुख किया है. खबरों के मुताबिक, राष्ट्रपति और सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल के साथ बातचीत में प्रदर्शनकारियों द्वारा नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को देश का अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लग गई है. इसकी पुष्टि नेपाल के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव ने की है.
बता दें कि सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं. उनसे उम्मीद की जा रही है कि वह इस संकट के समय में देश का नेतृत्व करेंगी, जब तक चुनाव नहीं हो जाते. तो आइए जानते हैं कि कौन हैं सुशीला कार्की? जिन्हें Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने नेपाल का अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की है.
Zoom मीटिंग में तय हुआ एजेंडा
बताया जा रहा है कि जब प्रदर्शनकारी अपना एजेंडा तय करने के लिए Zoom मीटिंग कर रहे थे, तो कई लोगों ने अपनी डीपी (DP) पर एनिमेटेड अवतार लगाए या फिर प्रोफाइल फोटो खाली छोड़ी. यह ऑनलाइन युवा समुदायों की आम शैली है और आंदोलन की पहचान को भी दर्शाता है. इस वर्चुअल बैठक में प्रदर्शनकारियों ने देश का नेतृत्व करने के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को चुना.
सुशीला कार्की कौन हैं?
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को विराटनगर में हुआ था. उन्होंने राजनीति विज्ञान और कानून का अध्ययन किया और वकालत से अपने करियर की शुरुआत की. उन्होंने 1972 में महेंद्र मोरंग परिसर, विराटनगर से बीए की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद 1975 में वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया. 1978 में उन्होंने त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री ली. सुशीला कार्की का विवाह नेपाली कांग्रेस के नेता दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुआ है. उनकी मुलाकात बनारस में पढ़ाई के दौरान हुई थी.
वकील से चीफ जस्टिस बनीं सुशीला कार्की
कार्की ने 1979 में विराटनगर में वकालत शुरू की और 1985 में महेंद्र मल्टीपल कैंपस, धरान में असिस्टेंट टीचर के रूप में कार्य किया. वह 2007 में वरिष्ठ अधिवक्ता बनीं. 22 जनवरी 2009 को उन्हें नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में एड-हॉक न्यायाधीश नियुक्त किया गया. 18 नवंबर 2010 को वह सुप्रीम कोर्ट की स्थायी न्यायाधीश बनीं. 13 अप्रैल 2016 को वह कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनीं और 11 जुलाई 2016 को नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुईं. वह इस पद पर 7 जून 2017 तक रहीं.
भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत रुख
नेपाल की जनता सुशीला कार्की को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाली नेता के रूप में देखती है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कई ऐतिहासिक मामलों की सुनवाई की है. उनका एक ऐतिहासिक फैसला महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाने वाला था, जिसमें उन्होंने आदेश दिया कि नेपाली महिलाएं भी अपने बच्चों को नागरिकता दे सकती हैं, जो पहले सिर्फ पुरुषों को ही प्राप्त था.
हाई-प्रोफाइल मामलों में भी लिया कड़ा फैसला
> सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों में निष्पक्ष और साहसिक फैसले दिए हैं.
> नेपाल ट्रस्ट बनाम प्रेरणा राज्य लक्ष्मी राणा (पूर्व राजकुमारी की संपत्ति का मामला)
> काठमांडू जिला अदालत में पॉलिमर बैंक नोट से जुड़ा भ्रष्टाचार मामला
> काठमांडू–निजगढ़ द्रुतमार्ग (एक्सप्रेसवे) से जुड़ा मामला
"भ्रष्टाचार के लिए शून्य सहिष्णुता होनी चाहिए"
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सुशीला कार्की का मानना है कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के लिए शून्य सहिष्णुता होनी चाहिए. इसी रुख के चलते उन्हें जनता का व्यापक समर्थन मिला, हालांकि, इसके कारण उन्हें कुछ विवादों का सामना भी करना पड़ा. 2017 में माओवादी सेंटर और नेपाली कांग्रेस ने उन पर पूर्वाग्रह और कार्यपालिका में हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था. यह प्रस्ताव नेपाल की राजनीति में काफी विवादित रहा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश और जनता के समर्थन के बाद यह प्रस्ताव वापस ले लिया गया.
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