Advertisement

Kathmandu : नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र पर लगाया जुर्माना

सार्वजनिक संपत्ति को हुआ नुकसान, काठमांडू सिविक बॉडी ने नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र पर लगाया जुर्माना

Created By: NMF News
30 Mar, 2025
( Updated: 31 Mar, 2025
04:27 PM )
Kathmandu : नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र पर लगाया जुर्माना
नेपाल की राजधानी में राजशाही समर्थक विरोध प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति और पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए काठमांडू के नागरिक निकाय ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर जुर्माना लगाया है। 

यह विरोध प्रदर्शन ज्ञानेंद्र शाह के आह्वान पर आयोजित किया गया था, जिससे काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी (केएमसी) ने काठमांडू के बाहरी इलाके महाराजगंज में उनके आवास पर एक पत्र भेजा। इस पत्र में केएमसी ने उनसे 7,93,000 नेपाली रुपये का मुआवजा देने को कहा। साथ ही, सरकार ने उनका पासपोर्ट भी रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह जुर्माना सड़कों और फुटपाथों पर कचरे के अनुचित निपटान, साथ ही भौतिक संरचनाओं को हुए नुकसान के लिए लगाया गया।

केएमसी ने शनिवार को कचरा प्रबंधन अधिनियम, 2020 और काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी फाइनेंस एक्ट, 2021 के उल्लंघन का हवाला देते हुए जुर्माना नोटिस जारी किया।


रिपोर्ट के मुताबिक, काठमांडू के कई हिस्सों में शुक्रवार को तनावपूर्ण स्थिति देखी गई, जब राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया, एक राजनीतिक दल के कार्यालय पर हमला किया, वाहनों में आग लगा दी और काठमांडू के तिनकुनेबनेश्वर इलाके में दुकानों में लूटपाट की। इस हिंसक झड़प में एक टीवी कैमरामैन सहित दो लोगों की मौत हो गई और 110 अन्य घायल हो गए।

ज्ञानेंद्र शाह को भेजे गए पत्र में (जिसकी प्रतियां मीडिया को भी दी गईं) केएमसी ने कहा, "पूर्व सम्राट के आह्वान पर आयोजित विरोध प्रदर्शन ने महानगर की विभिन्न संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया और राजधानी शहर के पर्यावरण को प्रभावित किया।"

इस आंदोलन के आयोजक दुर्गा प्रसाद ने एक दिन पहले ज्ञानेंद्र शाह से मुलाकात की थी और उन्हें राजशाही और हिंदू राज्य की बहाली की मांग को लेकर आंदोलन करने के निर्देश मिले थे। यह घटनाक्रम तब हुआ, जब फरवरी में लोकतंत्र दिवस के बाद से राजशाही समर्थक सक्रिय हो गए थे, जब ज्ञानेंद्र शाह ने कहा था, "समय आ गया है कि हम देश की रक्षा करने और राष्ट्रीय एकता लाने की जिम्मेदारी लें।"

इसके बाद, राजशाही समर्थक काठमांडू और देश के अन्य हिस्सों में रैलियां आयोजित कर रहे थे, जिसमें 2008 में समाप्त की गई 240 साल पुरानी राजशाही को बहाल करने की मांग की गई थी।

इससे पहले, सोमवार, 24 मार्च को नेपाल में नागरिक समाज के नेताओं के एक समूह ने ज्ञानेंद्र शाह की "राजशाही को बहाल करने के उद्देश्य से राजनीतिक रूप से सक्रिय होने" के लिए आलोचना की थी। आठ नागरिक समाज नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा था, "ज्ञानेंद्र शाह का राजनीतिक सक्रियता में उतरना उनके पूर्वजों के राष्ट्र निर्माण के प्रयासों को विफल करता है और अपने पड़ोसियों और दुनिया के सामने देश को कमजोर करने का खतरा पैदा करता है।"

Input: IANS

यह भी पढ़ें

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
‘ना Modi रूकेंगे,ना Yogi झुकेंगे, बंगाल से भागेंगीं ममता, 2026 पर सबसे बड़ी भविष्यवाणी Mayank Sharma
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें