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इजरायल ने शुरू किया नया सैन्य अभियान, नेतन्याहू बोले- गाजा के हर इंच पर होगा इजरायल का कब्जा

इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने गाजा पर पूरी तरह कब्जा करने की घोषणा की है. उनका कहना है कि यह लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है और इजरायल अब गाजा के हर क्षेत्र पर नियंत्रण करेगा. गाजा में मानवता संकट गहराता जा रहा है, जहां 22% आबादी भुखमरी की कगार पर है. नेतन्याहू ने कहा कि भुखमरी नहीं होने दी जाएगी और राहत सामग्री भेजी जाएगी.

इजरायल ने शुरू किया नया सैन्य अभियान, नेतन्याहू बोले- गाजा के हर इंच पर होगा इजरायल का कब्जा
इजरायल और गाजा के बीच लंबे समय से चल रही जंग अब एक निर्णायक मोड़ पर आ गई है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमवार को स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उनका देश गाजा पट्टी के हर हिस्से पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करेगा. यह बयान ऐसे समय आया है जब गाजा में सैन्य कार्रवाई और मानवीय संकट अपने चरम पर हैं. नेतन्याहू ने टेलीग्राम पर पोस्ट किए गए वीडियो संदेश में कहा कि "लड़ाई तेज़ है और हम आगे बढ़ रहे हैं. हम गाजा पट्टी के सभी क्षेत्रों पर नियंत्रण करेंगे." उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अब पीछे हटने का कोई विकल्प नहीं है. इस बयान के साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इजरायल भूख और अकाल को रोकने के लिए भी कदम उठा रहा है. यह रणनीति सैन्य और कूटनीतिक दोनों स्तरों पर बड़ी अहम मानी जा रही है.

गाजा में बढ़ता मानवीय संकट

गाजा में हालात बेहद भयावह होते जा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार गाजा की करीब 22 प्रतिशत आबादी भयंकर मानवीय संकट का सामना कर रही है. खाद्य संकट इतना गहरा गया है कि कुछ क्षेत्रों में अकाल जैसी स्थिति बन चुकी है. बच्चों और महिलाओं की स्थिति बेहद खराब है. संयुक्त राष्ट्र समर्थित रिपोर्टों में कहा गया है कि गाजा अब अकाल के "गंभीर खतरे" में है. ऐसे में नेतन्याहू का यह बयान कि "हम गाजा में भुखमरी नहीं होने देंगे", अपने आप में बड़ी बात है. हालांकि, आलोचकों का कहना है कि जिस देश ने गाजा की आपूर्ति लाइनों को महीनों से रोक रखा है, वहां अब राहत भेजने की बात करना एक राजनीतिक हथकंडा भी हो सकता है.

सैन्य कार्रवाई का नया चरण

इजरायल की सेना ने गाजा में नए सिरे से ज़मीनी अभियान शुरू कर दिया है. इसका उद्देश्य हमास के ठिकानों को पूरी तरह खत्म करना बताया गया है. सोमवार को गाजा के कई इलाकों में हवाई हमलों में कम से कम 22 लोगों की मौत हुई है. वहीं, गाजा के दूसरे सबसे बड़े शहर खान यूनिस और उसके आसपास के क्षेत्रों को खाली करने का आदेश दे दिया गया है. इजरायली सेना के प्रवक्ता अविचाय अद्राई ने कहा कि यह पूरा क्षेत्र अब "एक खतरनाक युद्ध क्षेत्र" घोषित किया जा रहा है. इन आदेशों से साफ है कि इजरायल अब निर्णायक कार्रवाई के मूड में है और गाजा को हर दिशा से घेरे में ले लिया गया है.

अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय दबाव

गाजा में लंबे समय से जारी नाकेबंदी को लेकर अब इजरायल पर अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बढ़ता जा रहा है. अमेरिका, जो इजरायल का सबसे बड़ा सहयोगी है, उसने भी मानवीय सहायता बहाल करने पर जोर दिया है. नेतन्याहू ने माना कि राजनयिक कारणों से गाजा में भोजन पहुंचाना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि "हमारे मित्र भी बड़े पैमाने पर भुखमरी की तस्वीरें नहीं देखना चाहेंगे." ऐसे में इजरायल की नई रणनीति सैन्य के साथ-साथ कूटनीतिक स्तर पर भी खुद को बचाने की कोशिश है.

हमास का क्या होगा?

इजरायल की कार्रवाई का एकमात्र लक्ष्य हमास को खत्म करना है. नेतन्याहू ने बार-बार यह कहा है कि जब तक हमास पूरी तरह खत्म नहीं होता, तब तक जंग जारी रहेगी. गाजा में हमास की जड़ें बहुत गहरी हैं. यह संगठन न केवल सैन्य रूप से सक्रिय है, बल्कि वहां की सामाजिक और राजनीतिक संरचना में भी उसकी पकड़ मजबूत है. इजरायली रणनीति अब यही है कि हमास को जड़ से खत्म करके गाजा को एक नया प्रशासनिक ढांचा दिया जाए, जो इजरायल के नियंत्रण में हो.

अब बड़ा सवाल यही है कि क्या इजरायल गाजा पर पूरी तरह कब्जा कर पाएगा? क्या इससे क्षेत्र में स्थायी शांति आएगी या यह कदम और ज्यादा तनाव को जन्म देगा? नेतन्याहू की नीति स्पष्ट है: "न तो पीछे हटेंगे और न ही हमास को बख्शेंगे." परंतु इस पूरी प्रक्रिया में सबसे ज्यादा कीमत गाजा के आम नागरिक चुका रहे हैं. युद्ध, भुखमरी, विस्थापन और भय ने इस क्षेत्र को मानवता के सबसे बड़े संकट स्थलों में बदल दिया है.

गाजा और इजरायल के बीच संघर्ष केवल सीमाओं का विवाद नहीं, बल्कि राजनीतिक व सामरिक प्रभुत्व की लड़ाई बन चुका है. नेतन्याहू का यह दावा कि गाजा पर पूरी तरह नियंत्रण हासिल किया जाएगा, एक नए युग की शुरुआत का संकेत दे रहा है. परंतु इस युग की शुरुआत तब तक अधूरी रहेगी जब तक वहां के नागरिकों को शांति, भोजन और स्वतंत्रता नहीं मिलती. इस पूरी जंग का हल केवल गोलियों से नहीं, बल्कि कूटनीति, मानवता और समझदारी से निकाला जा सकता है.

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