Global Trade War: चीन-जापान-साउथ कोरिया ने अमेरिका के खिलाफ छेड़ा नया मोर्चा!
डोनाल्ड ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के तहत नए टैरिफ नियमों ने वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। अमेरिका द्वारा ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स पर भारी-भरकम 25% टैरिफ लगाने के फैसले से चीन, जापान और साउथ कोरिया भड़क गए हैं।

वैश्विक व्यापार की दुनिया में इन दिनों जबरदस्त हलचल मची हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति ने कई देशों को असमंजस में डाल दिया है। लेकिन अब इसका असर केवल अमेरिका और चीन के बीच नहीं रह गया, बल्कि जापान और साउथ कोरिया जैसे अमेरिकी सहयोगी भी इस विवाद में शामिल हो गए हैं।
3 अप्रैल 2025 को लागू होने वाले नए टैरिफ नियमों ने वैश्विक व्यापार संतुलन को हिला कर रख दिया है। अमेरिकी सरकार ने चीन, जापान और साउथ कोरिया से आयातित उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। खासकर ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा, जबकि पहले से मौजूद 10% शुल्क को बढ़ाकर 20% कर दिया गया है।
टैरिफ नियमों पर ट्रंप का तर्क
डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि यह नीति अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देगी और व्यापार घाटे को कम करने में मदद करेगी। लेकिन यह कदम चीन, जापान और साउथ कोरिया जैसे देशों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
अमेरिका के इस फैसले के खिलाफ चीन, जापान और साउथ कोरिया एकजुट हो गए हैं। 29 मार्च को दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में तीनों देशों के व्यापार मंत्रियों की एक बैठक हुई, जिसमें इस मुद्दे पर संयुक्त रणनीति तैयार की गई। तीनों देशों ने क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग को बढ़ाने का निर्णय लिया और "चीन-जापान-साउथ कोरिया फ्री ट्रेड एग्रीमेंट" को आगे बढ़ाने का ऐलान किया।
दक्षिण कोरियाई व्यापार मंत्री आह्न डुक-ग्यून ने कहा, "हमें क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) को मजबूत करना होगा और FTA (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) के जरिए व्यापार सहयोग का विस्तार करना होगा।"
कैसे देंगे जवाब?
टैरिफ वार से निपटने के लिए तीनों देश मिलकर कई कदम उठा रहे हैं, आपसी व्यापार बढ़ाकर अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम की जाएगी। चीन-जापान-साउथ कोरिया के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को मजबूत किया जाएगा। अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाया जाएगा। चीन पहले ही 10-15% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा कर चुका है और अब जापान और साउथ कोरिया भी इस राह पर आगे बढ़ सकते हैं।
अमेरिका की चीन-विरोधी नीति को झटका: जापान और साउथ कोरिया को अमेरिका के करीबी सहयोगी माना जाता रहा है। ऐसे में इन देशों का चीन के साथ आना वाशिंगटन के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
वैश्विक व्यापार संतुलन प्रभावित: टैरिफ वॉर का असर केवल इन तीन देशों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (Global Supply Chain) प्रभावित होगी। ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
अमेरिका को भी नुकसान: अमेरिकी कंपनियां भी इस टैरिफ के असर से बच नहीं पाएंगी। कई अमेरिकी कंपनियों के लिए जापान और साउथ कोरिया महत्वपूर्ण बाजार हैं। अगर इन देशों ने भी जवाबी टैरिफ लगाया, तो अमेरिकी कंपनियों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
क्या यह ट्रेड वॉर वैश्विक मंदी ला सकता है?
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर यह टैरिफ युद्ध लंबा चला, तो यह वैश्विक आर्थिक मंदी को जन्म दे सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) पहले ही आगाह कर चुका है कि व्यापारिक तनाव बढ़ने से वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर में गिरावट आ सकती है। अब सभी की नजरें 3 अप्रैल 2025 पर टिकी हैं, जब ट्रंप के नए टैरिफ लागू होंगे। सवाल यह है कि क्या अमेरिका इस दबाव के आगे झुकेगा या फिर यह टैरिफ युद्ध और गहराएगा?
ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति ने वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल मचा दी है। चीन, जापान और साउथ कोरिया जैसे बड़े एशियाई देश अब मिलकर अमेरिका को जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं। यह टैरिफ युद्ध आगे चलकर वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को किस दिशा में ले जाएगा, यह देखने वाली बात होगी। क्या यह व्यापारिक तनाव वैश्विक मंदी को जन्म देगा? या फिर कोई कूटनीतिक समाधान निकलेगा? इस सवाल का जवाब आने वाले दिनों में ही मिलेगा।