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अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा तुर्की... UNGA में एर्दोगन ने फिर उठाया कश्मीर का मुद्दा, भारत ने दिया मुंहतोड़ जवाब, जानें पूरा मामला

पाकिस्तान का करीबी तुर्की एक बार फिर कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ सुर छेड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा कि उनका देश भारत-पाक युद्धविराम से खुश है और कश्मीर विवाद का समाधान संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के आधार पर बातचीत से होना चाहिए. उन्होंने आतंकवाद पर भी पाकिस्तान को परोक्ष रूप से पाक-साफ दिखाने की कोशिश की.

Screengrab / X @ANI

आतंकवाद का पालन-पोषण करने वाले भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त तुर्की एक बार फिर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. ऑपरेशन सिंधु्र के दौरान पाकिस्तान को हथियारों की मदद देने के बाद अब तुर्की कश्मीर के मुद्दे पर टांग अड़ा रहा है. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कश्मीर का राग अलापते हुए कहा कि उनका देश भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्धविराम के फैसले से खुश है. उन्होंने आगे कहा कि कश्मीर का समाधान संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर बातचीत से होना चाहिए. एर्दोगन ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को इशारों-इशारों में पाक-साफ करार देने की कोशिश भी की.

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को संबोधित करते हुए कहा कि 'बीते अप्रैल में भारत और पाकिस्तान के बीच जो तनाव और सैन्य संघर्ष हुआ था, उसके बाद दोनों देशों के बीच जब युद्धविराम का फैसला हुआ तो उनका देश ख़ुश था.' इसके साथ ही एर्दोगन का कहना था कि कश्मीर विवाद का हल केवल बातचीत और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर निकाला जाना चाहिए, ताकि वहां रहने वाले भाइयों-बहनों का भला हो सके. 

पिछले साल क्यों साधी थी चुप्पी?

यह पहला मौका नहीं है जब एर्दोगन ने कश्मीर का ज़िक्र किया हो. सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि पिछले साल यानी 2024 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मंच पर जम्मू-कश्मीर का नाम तक नहीं लिया था. तब तुर्की की रणनीति अलग थी. दरअसल, उस समय एर्दोगन ब्रिक्स समूह में अपने देश की सदस्यता के लिए प्रयासरत थे. लेकिन भारत इस संगठन का अहम और मज़बूत साझेदार है, इसलिए एर्दोगन ने कश्मीर पर चुप्पी साध ली थी. हालांकि इस साल हालात बदलते ही तुर्की एक बार फिर अपने पुराने तेवर में लौट आया है. पाकिस्तान यात्रा के दौरान भी एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव और बातचीत के जरिए कश्मीर मसले को सुलझाने की बात दोहराई थी. उन्होंने उस समय यहां तक कहा था कि तुर्की का राज्य और राष्ट्र पहले की तरह आज भी कश्मीर के लोगों के साथ मजबूती से खड़ा है. एर्दोगन का यह बयान एक तरह से मुस्लिम कार्ड के तौर पर भी देखा जा रहा है. 

एर्दोगन के बयान को भारत ने किया खारिज 

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के लिए एकत्र हुए विश्व के नेताओं के सामने जैसे ही एर्दोगन ने इन बातों को रखा तो भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इस पर किसी बाहरी देश की टिप्पणी स्वीकार नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि तुर्की जैसे देशों को भारत के आंतरिक मामलों पर बोलने के बजाय पाकिस्तान की उस नीति पर सवाल उठाना चाहिए, जिसमें वह सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर कश्मीर के लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है.

गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के जवाब में भारत की सेना ने 7 मई को पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर के 9 आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए थे. इस कार्रवाई के कारण चार दिनों तक दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष हुआ, जिसमें पाकिस्तान को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा. आखिर में दोनों देश के बीच बातचीत के बाद 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर बनी सहमति बनी और युद्धविराम लागू हुआ. 

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