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अमेरिकी रिपोर्ट पर भड़का ड्रैगन... चीन ने कहा- भारत के साथ हमारे रणनीतिक रिश्ते, पेंटागन की सब बातें गलत

अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) की 2025 की रिपोर्ट में कहा गया कि चीन एलएसी पर तनाव कम होने के बाद भारत के साथ रिश्तों को स्थिर कर अमेरिका-भारत सहयोग को सीमित कर सकता है. चीन ने इसे भ्रामक बताया और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने स्पष्ट किया कि चीन भारत के साथ अपने संबंधों को रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखता है.

Narendra Modi/ Xi Jinping (File Photo)

अमेरिकी रक्षा विभाग यानी पेंटागन की हालिया वार्षिक रिपोर्ट ने एक बार फिर एशिया की कूटनीति में हलचल पैदा कर दी है. इस रिपोर्ट में चीन और भारत के संबंधों को लेकर किए गए विश्लेषण पर अब चीन ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. चीन का कहना है कि अमेरिका उसकी रक्षा नीति और कूटनीतिक सोच को गलत तरीके से पेश कर रहा है.

पेंटागन की रिपोर्ट में क्या कहा गया था?

पेंटागन की 2025 की रिपोर्ट “मिलिट्री एंड सिक्योरिटी डेवलपमेंट्स इन्वॉल्विंग द पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना” में दावा किया गया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर तनाव कम होने के बाद चीन भारत के साथ रिश्तों को स्थिर करने की कोशिश कर रहा है. रिपोर्ट के अनुसार इसका उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रणनीतिक सहयोग को सीमित करना हो सकता है.

चीनी विदेश मंत्रालय की तीखी प्रतिक्रिया

अमेरिकी रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने गुरुवार को सख्त बयान दिया. बीजिंग में आयोजित एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि पेंटागन द्वारा चीन की राष्ट्रीय रक्षा नीति पर की गई टिप्पणियां पूरी तरह भ्रामक हैं. चीन ऐसे आकलनों का पुरजोर विरोध करता है. प्रवक्ता लिन जियान से सवाल पूछा गया कि क्या चीन एलएसी पर तनाव में आई कमी का फायदा उठाकर भारत और अमेरिका के रिश्तों को रोकने की कोशिश कर रहा है. इस पर उन्होंने साफ कहा कि चीन भारत के साथ अपने संबंधों को रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखता है. सीमा विवाद भारत और चीन के बीच का मामला है और किसी तीसरे देश को इस पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए.

दीर्घकालिक संबंधों पर चीन का जोर

चीनी विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत के साथ संबंध चीन के लिए तात्कालिक लाभ से कहीं ज्यादा अहम हैं. लिन जियान ने कहा कि चीन संवाद को मजबूत करने, आपसी विश्वास बढ़ाने और द्विपक्षीय रिश्तों को स्थिर, स्वस्थ और टिकाऊ विकास की दिशा में आगे ले जाना चाहता है. अमेरिकी रिपोर्ट में अक्टूबर 2024 में हुए भारत चीन डिसएंगेजमेंट समझौते का भी जिक्र है. इस समझौते को सीमा पर तनाव कम करने की दिशा में बड़ा कदम माना गया. हालांकि पेंटागन का कहना है कि चीन इस शांति को रणनीतिक रूप से इस्तेमाल कर रहा है, न कि स्थायी समाधान के तौर पर.

अरुणाचल और पाकिस्तान का उठाया मुद्दा

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना कोर इंटरेस्ट मानता है. इसे ताइवान और दक्षिण चीन सागर जैसे संवेदनशील मुद्दों के बराबर रखा गया है. इसके अलावा चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग पर भी चिंता जताई गई है. रिपोर्ट के अनुसार चीन ने पाकिस्तान को जे 10सी फाइटर जेट्स और अन्य हथियार दिए हैं, जिससे भारत पर दो तरफा दबाव बढ़ सकता है. पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत चीन के इरादों को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है. दोनों देशों के बीच अविश्वास अभी भी बना हुआ है, जो द्विपक्षीय संबंधों को सीमित करता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मौजूदा शांति सामरिक है, न कि किसी बड़े बदलाव का संकेत.

चीन ने अमेरिकी आरोपों को किया खारिज

चीन ने अमेरिकी रिपोर्ट को तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करने वाला बताया है. विदेश मंत्रालय का कहना है कि यह रिपोर्ट अनावश्यक अटकलों पर आधारित है. चीन ने दोहराया कि उसकी रक्षा नीति रक्षात्मक है और वह शांतिपूर्ण विकास के सिद्धांत पर चलता है.

हाल के महीनों में भारत चीन संबंध

हाल के महीनों में भारत और चीन के बीच रिश्तों में कुछ नरमी देखने को मिली है. अक्टूबर 2024 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद सीमा प्रबंधन पर उच्चस्तरीय बातचीत शुरू हुई. इसके साथ ही डायरेक्ट फ्लाइट्स, वीजा सुविधा और कैलाश मानसरोवर यात्रा जैसे कदम भी उठाए गए हैं.

बता दें कि चीन की इस प्रतिक्रिया के बाद अब सवाल यह है कि यह सुधार स्थायी होगा या सिर्फ रणनीतिक जरूरत. अमेरिका इसे सामरिक शांति मान रहा है, जबकि चीन इसे दीर्घकालिक रिश्तों की दिशा में उठाया गया कदम बता रहा है. आने वाले समय में भारत, चीन और अमेरिका के रिश्ते किस दिशा में जाते हैं, इस पर पूरी दुनिया की नजर बनी रहेगी.

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