'ईशनिंदा का आरोप लगाया, भीड़ जुटाई और हमला कर दिया...', बांग्लादेश में थम नहीं रही हिंदुओं पर हिंसा, आपस में भी लड़कर मर रहे हैं कट्टरपंथी
बांग्लादेश में कई हिंदू परिवार डर के मारे अपने-अपने घर छोड़कर कहीं और जा रहे हैं. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. कहा जा रहा है कि पाकिस्तान की तरह ईशनिंदा के आरोप लगाकर हिंदुओं पर हमले बढ़ते जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ कट्टरपंथी सत्ता की लड़ाई और आपसी नफरत में लड़कर, कटकर मर रहे हैं.

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बांग्लादेश में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. बांग्लादेश के रंगपुर जिले में हिंदुओं के बाला पाड़ा गांव पर कट्टरपंथी भीड़ ने हमला किया है. इस हमले में 22 हिंदू घरों में तोड़फोड़ और लूटपाट हुई है. बताया जा रहा है कि एक युवक द्वारा फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के बाद यह हिंसा हुई. हालांकि युवक को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन भीड़ ने हिंदुओं के घरों को निशाना बनाकर बुरी तरह नुकसान पहुंचाया है.
बांग्लादेश में इधर-उधर भाग रहे हिंदू अल्पसंख्यक
कई हिंदू परिवार डर के मारे अपने घर छोड़कर जा रहे हैं. पुलिस ने तीन दिन बाद मामला दर्ज किया है और दोषियों की तलाश जारी है. प्रशासन ने घरों की मरम्मत का आश्वासन दिया है, लेकिन इस घटना से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं. बताया जा रहा है कि एक युवक द्वारा फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के बाद यह हिंसा हुई.
बांग्लादेश में शेख हसीना की आवामी लीग सरकार के सत्ता से बेदखल किए जाने और मोहम्मद यूनुस के कार्यकारी प्रधानमंत्री बनने के बाद से शुरू हुआ सत्ता संघर्ष, विरोध-प्रदर्शन और झड़प थमने का नाम नहीं ले रहा है. यूनुस से न देश चल रहा है न सरकार चल रही है. देश में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. जमात-ए-इस्लामी, पाकिस्तानी फौज, ISI की घुसपैठ के बीच रंगपुर जिले में हिंदुओं के बाला पाड़ा गांव पर कट्टरपंथी भीड़ ने हमला कर दिया है. कहा जा रहा है कि इस हमले में 22 हिंदू घरों में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई है. हमले का मोडस ओपरंडीम वही है. झूठा ईशनिंदा का आरोप लगाकर भीड़ को भड़का देना.
हालांकि युवक को तो गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन इसके बावजूद भीड़ ने हिंदुओं के घरों को सीधे निशाना बनाकर बहुत ही बुरा नुकसान पहुंचाया है. इस वजह से कई हिंदू परिवार डर के मारे अपने-अपने घर छोड़कर कहीं और जा रहे हैं. पुलिस ने इस पूरे मामले में तीन दिन बाद जाकर ही मुकदमा दर्ज किया है और अब दोषियों की तलाश में लगी हुई है. प्रशासन ने पीड़ित परिवारों के घरों की मरम्मत कराने का भरोसा तो दिया है, लेकिन इस घटना ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि इस हिंसा की शुरुआत एक युवक द्वारा फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के बाद हुई थी.
कुमिल्ला जिले में भिड़े बीएनपी और एनसीपी के कार्यकर्ता
इसके अलावा लगातार हो रहे प्रदर्शनों के बीच बांग्लादेश के कुमिल्ला जिले के मुरादनगर में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और नेशनल सिटिजन्स पार्टी (एनसीपी) के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प हो गई. इसमें कम से कम 35 लोग घायल हो गए, जिनमें पांच पत्रकार भी शामिल हैं.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह झड़प बुधवार शाम उस समय हुई जब एनसीपी समर्थकों ने अंतरिम सरकार के स्थानीय सरकारी सलाहकार आसिफ महमूद शोजीब भुइयां के खिलाफ कथित साजिश और दुष्प्रचार के विरोध में 'मुरादनगर उपजिला के सभी तबकों के लोग' नामक बैनर तले एक विरोध रैली निकाली. रैली के दौरान जब आसिफ के समर्थकों ने “उगाही करने वालों के खिलाफ सीधी कार्रवाई”, “उगाही करने वालों को पकड़ो, जेल में डालो”, और “मुरादनगर की मिट्टी, आसिफ का गढ़” जैसे नारे लगाए, तभी दूसरी ओर से पत्थरबाजी शुरू हो गई. इसके बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर ईंट-पत्थर फेंकने शुरू कर दिए, जिससे इलाके में अफरातफरी मच गई. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जैसे-जैसे झड़प बढ़ती गई, व्यवसायियों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं और लोग इधर-उधर भागने लगे. इस हिंसा में पांच पत्रकारों के घायल होने की भी पुष्टि हुई है.
आपसी लड़ाई में मर रहे बांग्लादेशी कट्टरपंथी
'नागरिक समाज' के संयोजक मिनाजुल हक ने आरोप लगाया कि यह हमला बीएनपी नेता और पूर्व सांसद काजी शाह मोफज्जल हुसैन कैकोबाद के समर्थकों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से किया गया था. उन्होंने कहा, "जैसे ही हमने रैली निकाली, बीएनपी के लोगों ने हम पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए और हमें दौड़ा-दौड़ाकर मारा. हमारे लगभग 50 समर्थक घायल हो गए." मुरादनगर सदर यूनियन परिषद के सदस्य शेखर ने कहा, "हमारी रैली शुरू होते ही बीएनपी के लोगों ने हम पर हमला कर दिया. मेरे सिर में चोट लगी है."
हालांकि, बीएनपी के मुरादनगर इकाई के संयोजक माहीउद्दीन अंजन ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा, "हमारा विरोध तो आसिफ महमूद द्वारा दर्ज कराए गए झूठे मामलों के खिलाफ था. उनके समर्थकों ने पुलिस सुरक्षा में हम पर हमला किया." गौरतलब है कि इससे एक दिन पहले मंगलवार को भी बीएनपी नेता कैकोबाद के समर्थकों ने मुरादनगर में सलाहकार आसिफ महमूद के इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था.
कुमिल्ला जिले में हिंदू महिला के साथ हुआ था बलात्कार
आपको बता दें कि बांग्लादेश के कुमिल्ला जिले में पिछले महीने अल्पसंख्यक समुदाय की एक महिला से कथित तौर पर हुए बलात्कार की घटना का वीडियो वायरल होने के बाद रविवार को पूरे देश में आक्रोश उत्पन्न हो गया था.
अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे एवं अपनी मां के सलाहकार के रूप में काम कर चुके साजिब अहमद वाजिद ने इस घटना पर अपना आक्रोश व्यक्त करने के लिए ‘एक्स’ का सहारा लिया.
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उन्होंने पिछले 11 महीनों में भीड़ द्वारा किये गए हमलों, आतंकवाद और बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि के लिए यूनुस प्रशासन को दोषी करार दिया था.
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