एक प्राइवेट लंच...और अमेरिका के खाए नमक की नमकहलाली करने लगा आसिम मुनीर, नोबल प्राइज के लिए ट्रंप को कर दिया 'नॉमिनेट'
पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल सैयद आसिम मुनीर अमेरिका दौरे पर हैं. यहां वो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ एक प्राइवेट लंच में शामिल हुए. इसके बाद रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं कि मुनीर ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए राष्ट्रपति ट्रंप को नॉमिनेट किया है.
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पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल सैयद आसिम मुनीर इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं. ऑपरेशन सिंदूर में भारत से मार खाने के बाद यूएस गए मुनीर काफी सुर्खियों में बने हुए हैं. अब मुनीर के और बयान ने हड़कंप मचा दिया है. इजरायल और ईरान के बीच जारी जंग और उसमें अमेरिका की भूमिका के मद्देनज़र मुनीर ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए नोबल शांति पुरस्कार की मांग की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुनीर ने बकायदा ट्रंप को नोबल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया है. हालांकि इस पर ट्रंप प्रशासन का आधिकारिक बयान नहीं आया है.
ये ख़बर उस वक्त आई है जब अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति पर आरोप लग रहे हैं कि वो बेवजह हर देश के आंतरिक और द्विपक्षीय तनाव में टांग अड़ा रहे हैं. मसलन रूस-यूक्रेन युद्ध, भारत-पाक सैन्य तनाव और ईरान-इजरायल जंग में मध्यस्थ्ता के दावे और बयान को उनकी नोबेल लेने की कोशिश के तौर पर देखा गया. अब जब मुनीर ने उन्हें नामांकित कर दिया है तो इन्हीं आरोपों को बल मिला है.
कहा जा रहा है कि मौलाना मुनीर ने भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवाने में ट्रंप की भूमिका को लेकर उन्हें नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की बात कही है. PAK आर्मी चीफ की ये एक और डेसपेरेट अटेंप्ट है अमेरिका की सहानुभूति और समर्थन लेने की. जब भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीजफायर का ऐलान हुआ था तो पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने बार-बार ट्रंप का धन्यवाद किया था.
मालूम हो कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष को रुकवाने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बड़ी भूमिका की बात कही जाती रही है. ट्रंप ने ही सबसे पहले भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर का ऐलान किया था. वो लगातार युद्धविराम के लिए क्रेडिट लेने की कोशिश करते रहे हैं, लेकिन भारत उनकी मध्यस्थता के दावे को हर बार खारिज करता आया है. पीएम मोदी ने बीते दिन ही अपनी 35 मिनट की टेलीफोनिक बातचीत में स्पष्ट कर दिया कि नई दिल्ली ने मध्यस्थ्ता की बात न कभी स्वीकारी थी और न ही कभी स्वीकारेगा. शिमला समझौते में भी इसी बात का जिक्र था कि दोनों देश, भारत-पाक, हर द्विपक्षीय मुद्दो को आपस में सुलझाएंगे और तीसरे देश की मुदखालत नहीं होगी.
पहले भी नोबेल के लिए नॉमिनेट हो चुके हैं ट्रंप
इससे पहले 2020 में भी डोनाल्ड ट्रंप का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए आगे किया गया था. नॉर्वे के एक सांसद ने उन्हें इजरायल और यूएई के बीच ऐतिहासिक शांति समझौता कराने में अहम भूमिका निभाने पर नामित किया था. हालांकि, उस वक्त ट्रंप को यह पुरस्कार नहीं मिला. ट्रंप खुद को अमेरिका के इतिहास में अमर रखना चाहते हैं, हाल के दशक में देखें तो बराक ओबामा को नोबल से सम्मानित किया गया था. कहा जाता है कि ट्रंप, बतौर राष्ट्रपति खुद को बराक ओबामा से बेहतर दिखाना चाहते हैं और ओबामा का ट्रंप प्रशासन पर लगातार प्रभाव रहा है, इसलिए उनकी ये कोशिश अहम हो जाती है.
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अब तक 4 अमेरिकी राष्ट्रपति और एक उपराष्ट्रपति को मिल चुका है नोबल
अब तक अमेरिका के चार राष्ट्रपतियों को नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है. सबसे पहले 1906 में थियोडोर रूज़वेल्ट को यह सम्मान मिला था. उनके बाद 1920 में वुड्रो विल्सन, फिर 2002 में जिमी कार्टर और 2009 में बराक ओबामा को यह पुरस्कार दिया गया. इसके अलावा, 2007 में अमेरिका के उपराष्ट्रपति रहे अल गोर को भी यह पुरस्कार मिल चुका है. अब देखना होगा कि क्या डोनाल्ड ट्रंप की हर जंग में मध्यस्थ्ता की कोशिश उन्हें नोबल दिला पाती है या नहीं.
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