आपके फ्लैट पर कब दावा कर सकता है किरायेदार? जानिए अपने अधिकार
किरायेदार को घर देना आम बात है, लेकिन लापरवाही भारी पड़ सकती है. इसलिए हर कदम पर कागज़ी प्रक्रिया पूरी करें, और अपने अधिकारों को जानें. एक मजबूत रेंट एग्रीमेंट और नियमों का पालन करने से आप भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद से बच सकते हैं.
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Tenant Claim: बहुत से लोग अपने फ्लैट या मकान को किराए पर देते समय कुछ ज़रूरी कानूनी बातें नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जिससे बाद में बड़ी परेशानी हो सकती है. अगर आप सावधानी नहीं बरतते, तो कभी-कभी किरायेदार आपके ही फ्लैट पर दावा कर सकता है. इस स्थिति से बचने के लिए आपको भारत के किरायेदारी कानून (Rent Laws) और किरायेदार के अधिकारों की पूरी जानकारी होनी चाहिए.
क्या किरायेदार आपके फ्लैट पर दावा कर सकता है?
सामान्य तौर पर, किरायेदार को सिर्फ आपके फ्लैट या घर में रहने का अस्थायी अधिकार होता है — मालिकाना हक नहीं. लेकिन अगर लंबे समय तक किरायेदार रहता है और कोई लिखित एग्रीमेंट नहीं होता, तो वह आपके फ्लैट पर कुछ कानूनी अधिकार प्राप्त कर सकता है, और विवाद की स्थिति में "अनधिकृत कब्जा" (illegal possession) का मामला बन सकता है.इसलिए सावधानी बरतना ज़रूरी है.
कौन-से नियम किरायेदार को शक्ति देते हैं?
1. Transfer of Property Act, 1882
यह कानून कहता है कि जब तक किरायेदार को मकान खाली करने के लिए उचित नोटिस नहीं दिया जाता, उसे जबरन नहीं निकाला जा सकता.
2. Rent Control Act (राज्य अनुसार अलग-अलग)
भारत के अलग-अलग राज्यों में किरायेदारी के अलग-अलग कानून हैं। कुछ पुराने कानून किरायेदारों को बहुत अधिक सुरक्षा देते हैं, खासकर जब:
1.किरायेदार 10+ साल से रह रहा हो
2.कोई रेंट एग्रीमेंट न हो या बहुत पुराना हो
3.किराया बहुत कम हो
4.इन स्थितियों में किरायेदार दावा कर सकता है कि वह "permanent tenant" (स्थायी किरायेदार) है और उसे निकालना आसान नहीं होगा.
कब बढ़ता है खतरा?
1.कोई लिखित रेंट एग्रीमेंट नहीं है
2.एग्रीमेंट रजिस्टर या नोटरी नहीं करवाया गया
3.किरायेदार कई वर्षों से बिना रोकटोक रह रहा है
4.आप किराया नकद लेते हैं और उसकी रसीद नहीं देते
5.आपने कभी भी किरायेदार को खाली करने का नोटिस नहीं भेजा
6.ऐसे मामलों में किरायेदार कोर्ट में जाकर दावा कर सकता है कि वह ज़मीन या फ्लैट पर स्थायी रूप से रह रहा है, और उसे निकाला नहीं जा सकता.
खुद को कैसे सुरक्षित रखें? (बचाव के तरीके)
1. हर बार लिखित रेंट एग्रीमेंट करें
किरायेदारी शुरू होने से पहले रेंट एग्रीमेंट (Lease Agreement) ज़रूर बनवाएं
11 महीने की अवधि रखें और हर साल रिन्यू करें
उसमें किराया, जमा राशि, मकान खाली करने की शर्तें साफ-साफ लिखें
2. एग्रीमेंट को रजिस्टर या नोटरी करवाएं
नोटरी एग्रीमेंट कोर्ट में साक्ष्य के रूप में मान्य होता है
12 महीने या उससे अधिक की अवधि के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होता है
3. बैंक ट्रांसफर से किराया लें
किराया हमेशा बैंक खाते में लें, जिससे रिकॉर्ड बना रहे
अगर नकद लें तो रसीद ज़रूर दें
4. फिक्स टाइम लिमिट रखें
रेंट एग्रीमेंट में यह लिखें कि कितने समय में किरायेदार को मकान खाली करना होगा
5. मकान की समय-समय पर जांच करें
किरायेदार को महसूस हो कि मालिक सजग है और कभी भी निरीक्षण कर सकता है
अगर किरायेदार दावा कर दे तो क्या करें?
कानूनी नोटिस भेजें
किराया न देने या अनुबंध का उल्लंघन होने पर वकील के माध्यम से नोटिस भेजें.
किरायेदारी समाप्त करने का केस करें
आप कोर्ट में किरायेदारी खत्म करने का केस दाखिल कर सकते हैं. Eviction Suit कहा जाता है.
पुलिस की मदद लें (अगर ज़रूरत हो)
अगर जबरन कब्जा कर लिया गया है या मारपीट की नौबत आ गई है, तो पुलिस में शिकायत दर्ज करें.
किरायेदार की पूरी पहचान रखें
किरायेदार का आधार कार्ड, पुलिस वेरिफिकेशन, और फ़ोटो अपने पास ज़रूर रखें.
सावधानी ही सुरक्षा है
किरायेदार को घर देना आम बात है, लेकिन लापरवाही भारी पड़ सकती है. इसलिए हर कदम पर कागज़ी प्रक्रिया पूरी करें, और अपने अधिकारों को जानें. एक मजबूत रेंट एग्रीमेंट और नियमों का पालन करने से आप भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद से बच सकते हैं.
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