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अब प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों  की रंग-बिरंगे स्टिकर से होगी पहचान, Pollution रोकने के लिए सरकार का बड़ा कदम

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, परिवहन विभाग ने एक नया नियम लागू किया है जिसके तहत गाड़ियों पर कलर कोडित स्टिकर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. यह स्टिकर गाड़ियों के फ्यूल टाइप के आधार पर अलग-अलग रंगों में होंगे, जिससे प्रदूषण नियंत्रण में मदद मिल सकेगी और जब ग्रैप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) लागू होगा, तब इन गाड़ियों की पहचान करना आसान होगा.

26 Apr, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
02:51 AM )
अब प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों  की रंग-बिरंगे स्टिकर से होगी पहचान, Pollution रोकने के लिए सरकार का बड़ा कदम
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Pollution Control: दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, परिवहन विभाग ने एक नया नियम लागू किया है जिसके तहत गाड़ियों पर कलर कोडित स्टिकर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. यह स्टिकर गाड़ियों के फ्यूल टाइप के आधार पर अलग-अलग रंगों में होंगे, जिससे प्रदूषण नियंत्रण में मदद मिल सकेगी और जब ग्रैप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) लागू होगा, तब इन गाड़ियों की पहचान करना आसान होगा. आइए जानते हैं इस नए नियम के बारे में विस्तार से.....

फ्यूल टाइप के हिसाब से कलर कोडित स्टिकर

नई व्यवस्था के तहत, प्रत्येक फ्यूल टाइप वाली गाड़ी को एक विशिष्ट रंग का स्टिकर दिया जाएगा. इससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रदूषण नियंत्रण और अन्य नियमों के तहत गाड़ियों की पहचान आसान हो.

डीजल गाड़ियों के लिए: ऑरेंज स्टिकर

पेट्रोल और सीएनजी गाड़ियों के लिए: नीला स्टिकर

अन्य फ्यूल वाली गाड़ियों के लिए: ग्रे स्टिकर

इस नियम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सड़क पर चलने वाली हर गाड़ी का प्रदूषण स्तर और फ्यूल टाइप आसानी से पहचाना जा सके. जब प्रदूषण की स्थिति बढ़ेगी, खासकर ग्रैप के दौरान, तब इस स्टिकर की मदद से गाड़ियों की त्वरित पहचान की जा सकेगी, और यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कौन सी गाड़ियां प्रदूषण में योगदान दे रही हैं.

एचएसआरपी नियमों का उल्लंघन और जुर्माना

1. 2020 में परिवहन विभाग ने एचएसआरपी (हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट) नियमों के उल्लंघन को लेकर एक विशेष अभियान शुरू किया था. इस अभियान में यह सुनिश्चित किया गया था कि हर गाड़ी में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट और फ्यूल-टाइप स्टिकर लगाना अनिवार्य हो.

2. अगर किसी वाहन में इन दोनों में से कोई भी चीज़ नहीं होती, तो उस वाहन पर ₹5,000 का जुर्माना लगाया जाता था। यह नियम गाड़ियों के पंजीकरण और उनके सही तरीके से पहचाने जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था.

कैसे प्राप्त करें कलर कोडित स्टिकर?

यह स्टिकर आपको अपनी पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान प्राप्त होगा. यदि आपके वाहन पर यह स्टिकर नहीं है, तो आपको इसे आरटीओ से प्राप्त करना होगा. इसके लिए आपको अपनी वाहन पंजीकरण संख्या और फ्यूल टाइप की जानकारी देनी होगी, ताकि सही रंग का स्टिकर दिया जा सके.

इसके अलावा, यदि आप हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट को पहले ही प्राप्त कर चुके हैं, तो आपको यह स्टिकर उसी के साथ मिलता है. यह स्टिकर वाहन के सामने और पीछे स्पष्ट रूप से दिखाई देना चाहिए, ताकि इसकी पहचान सड़क पर चलते हुए हो सके.

यह नियम क्यों जरूरी है?

यह नियम प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. दिल्ली जैसी बड़े शहरों में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करना एक चुनौती है, और ऐसे में गाड़ियों के फ्यूल टाइप की सही पहचान होना बहुत जरूरी है। जब ग्रैप लागू होगा, तो केवल डीजल गाड़ियों पर ही सख्ती से नियम लागू किए जाएंगे, जबकि पेट्रोल और सीएनजी गाड़ियों को कम प्रतिबंधों के साथ चलने की अनुमति होगी.इस तरह, कलर कोडित स्टिकर से परिवहन विभाग को गाड़ियों की जांच और उनके प्रदूषण स्तर को ट्रैक करना आसान हो जाएगा. यह कदम प्रदूषण को नियंत्रित करने और स्वस्थ वातावरण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है.

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दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने और वाहनों के फ्यूल टाइप की पहचान को सरल बनाने के लिए कलर कोडित स्टिकर का नियम लागू किया गया है। अब हर गाड़ी के फ्यूल टाइप के अनुसार उसे एक विशिष्ट रंग का स्टिकर मिलेगा, जिससे प्रदूषण नियंत्रण में मदद मिलेगी. इसके साथ ही एचएसआरपी नियमों के उल्लंघन पर ₹5,000 का जुर्माना भी लगाया जाएगा. यह कदम निश्चित रूप से दिल्ली की सड़क सुरक्षा और पर्यावरण को सुधारने में मदद करेगा.

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