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अब सिर्फ 2 घंटे में मिलेगा मेडिकल क्लेम, बीमा कंपनियों ने बदले पुराने नियम

अगर आपने अभी तक हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लिया है तो अब यह सही समय है. नई शर्तों और लचीली पॉलिसियों के चलते अब यह न सिर्फ गंभीर बीमारियों के लिए, बल्कि छोटी सर्जरी और इलाज के लिए भी एक मजबूत सहारा बन चुका है. तकनीक और नीतियों के इस मेल ने भारतीय स्वास्थ्य बीमा प्रणाली को अधिक भरोसेमंद और आम आदमी के लिए उपयोगी बना दिया है.

Insurance Medical Claim: भागदौड़ भरी जिंदगी और बढ़ती बीमारियों के इस दौर में हेल्थ इंश्योरेंस लेना अब कोई विकल्प नहीं, बल्कि जरूरत बन चुका है. पहले हेल्थ इंश्योरेंस होने के बावजूद भी मरीजों को उस समय परेशानी का सामना करना पड़ता था जब उन्हें छोटी सर्जरी या इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़ता था. कारण था, बीमा कंपनियों का 24 घंटे की अनिवार्यता वाला नियम. यानी जब तक मरीज 24 घंटे अस्पताल में भर्ती न हो, तब तक बीमा क्लेम नहीं मिलता था. लेकिन अब यह पुरानी शर्त बदल चुकी है, और यह बदलाव मरीजों के लिए राहत भरा साबित हो रहा है.

अब 2 घंटे के इलाज पर भी मिलेगा बीमा क्लेम

नई नीति के अनुसार अब कुछ प्रमुख बीमा कंपनियां केवल 2 घंटे के अस्पताल में भर्ती रहने पर भी क्लेम स्वीकार कर रही हैं. इसका सीधा फायदा यह है कि अब डे-केयर प्रोसीजर्स जैसे मोतियाबिंद का ऑपरेशन, पथरी का इलाज, कीमोथेरेपी, डायलिसिस, एंजियोग्राफी जैसे कई मेडिकल ट्रीटमेंट महज कुछ घंटों में निपटाए जा सकते हैं और इसके लिए मरीज को पूरा दिन अस्पताल में बिताने की आवश्यकता नहीं है. ऐसे मामलों में भी अब बीमा कंपनियां क्लेम पास कर रही हैं, जिससे आम लोगों को त्वरित इलाज के साथ-साथ वित्तीय सहायता भी मिल रही है.

तकनीकी प्रगति के कारण संभव हुआ यह बदलाव

स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में हो रहे तेज तकनीकी विकास ने चिकित्सा प्रक्रियाओं को पहले से कहीं अधिक आसान, तेज और सटीक बना दिया है. पहले जहां किसी भी ऑपरेशन या उपचार के लिए मरीज को 3-4 दिन अस्पताल में रहना पड़ता था, वहीं अब आधुनिक तकनीक जैसे लेजर सर्जरी, रोबोटिक ऑपरेशन और डे-केयर ट्रीटमेंट की बदौलत कई प्रक्रियाएं कुछ घंटों में पूरी हो जाती हैं. बीमा कंपनियों ने भी इस बदलाव को स्वीकारते हुए अपनी पॉलिसियों में लचीलापन दिखाया है. अब कम समय के अस्पताल में भर्ती रहने के बावजूद मरीज इंश्योरेंस क्लेम का लाभ उठा सकते हैं.

कौन-कौन सी बीमा कंपनियों ने बदले हैं नियम

भारत की कई नामी बीमा कंपनियों ने इस नई जरूरत को समझते हुए अपने नियमों में बदलाव किया है. कुछ प्रमुख योजनाएं इस प्रकार हैं:

ICICI लोम्बार्ड Elevate Plan:

इस प्लान में 10 लाख रुपये तक का कवर मिलता है और 30 वर्षीय व्यक्ति के लिए इसका सालाना प्रीमियम 9,195 रुपये है। इसमें 24 घंटे की अनिवार्यता नहीं है.
Care Supreme Health Insurance:

इसमें 10 लाख रुपये तक का बीमा कवर दिया जाता है, और इसका प्रीमियम 12,790 रुपये सालाना है. यह प्लान डे-केयर ट्रीटमेंट्स के लिए भी क्लेम की अनुमति देता है.

Niva Bupa Health Insurance:

यह योजना 10 लाख रुपये के कवर के साथ आती है, जिसका वार्षिक प्रीमियम 14,199 रुपये है. यह भी नई शर्तों के अनुसार 2 घंटे की भर्ती पर क्लेम की सुविधा प्रदान करता है.इन योजनाओं के तहत अब मरीजों को क्लेम पाने के लिए 24 घंटे अस्पताल में रुकने की अनिवार्यता नहीं है, जिससे इलाज और वित्तीय सुरक्षा दोनों सरल हो गए हैं.

मरीजों को मिलेगा सीधा लाभ

इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा आम मरीजों को होगा. छोटी-बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए अब उन्हें अपनी जेब से मोटी रकम खर्च नहीं करनी पड़ेगी. बीमा से मिलने वाली यह त्वरित सहायता न केवल इलाज को किफायती बनाएगी बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच को भी आसान करेगी. इससे हेल्थ इंश्योरेंस की उपयोगिता में भी वृद्धि होगी और लोगों का भरोसा इस प्रणाली पर मजबूत होगा.

स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में एक सकारात्मक क्रांति

भारत में हेल्थ इंश्योरेंस अब पहले से कहीं ज्यादा लचीला, उपयोगी और व्यावहारिक बन चुका है. 24 घंटे की बाध्यता खत्म होने से न केवल इलाज की प्रक्रिया सरल हुई है, बल्कि यह कदम चिकित्सा क्षेत्र में एक सकारात्मक क्रांति की तरह देखा जा रहा है. इससे न केवल इलाज सस्ता हुआ है, बल्कि बीमा धारकों को मानसिक शांति और सुरक्षा का अनुभव भी हुआ है.

अगर आपने अभी तक हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लिया है तो अब यह सही समय है. नई शर्तों और लचीली पॉलिसियों के चलते अब यह न सिर्फ गंभीर बीमारियों के लिए, बल्कि छोटी सर्जरी और इलाज के लिए भी एक मजबूत सहारा बन चुका है. तकनीक और नीतियों के इस मेल ने भारतीय स्वास्थ्य बीमा प्रणाली को अधिक भरोसेमंद और आम आदमी के लिए उपयोगी बना दिया है.

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