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GST के नए नियम से बढ़ेगा फूड डिलीवरी का खर्च! स्विगी-जोमैटो से खाना मंगवाना अब होगा महंगा, जानें कितना बढ़ेगा बिल

सरकार का यह कदम टैक्स कलेक्शन को बढ़ाने और सिस्टम को पारदर्शी बनाने के लिए उठाया गया है, लेकिन आम आदमी को इसका असर अपनी जेब में महसूस होगा.

Source: Swiggy

Swiggy and Zomato: अगर आप भी ज़ोमैटो, स्विगी जैसे फूड डिलीवरी ऐप्स से खाना मंगवाते हैं, तो अब आपकी जेब पर थोड़ी मार पड़ सकती है. सरकार ने जीएसटी (GST) यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के नियमों में कुछ बदलाव किए हैं, जिसकी वजह से खाना मंगवाने पर लगने वाला डिलीवरी चार्ज अब बढ़ सकता है. यानी जो ऑर्डर पहले 150 रुपए में आता था, अब उसमें कुछ रुपये का इज़ाफा हो सकता है.

सरकार ने जीएसटी का दायरा बढ़ाया

सरकार की तरफ से यह फैसला GST काउंसिल की बैठक में लिया गया है. इसके तहत लोकल ई-कॉमर्स डिलीवरी सर्विस को अब CGST एक्ट की धारा 9(5) में शामिल किया गया है. इस धारा के तहत सरकार उन सेवाओं पर सीधा टैक्स वसूलती है, जो ई-कॉमर्स ऑपरेटर यानी ऐप्स के ज़रिए दी जाती हैं. मतलब अब ज़ोमैटो और स्विगी जैसी कंपनियों को डिलीवरी फीस पर 18% GST देना होगा, जो पहले नहीं देना पड़ता था.

पहले डिलीवरी चार्ज पर टैक्स क्यों नहीं लगता था?

अब तक इन फूड डिलीवरी ऐप्स को डिलीवरी पर टैक्स नहीं देना होता था, क्योंकि इसे "पास-थ्रू" माना जाता था. इसका मतलब ये कि डिलीवरी बॉय को जो पैसा मिलता था, वो सीधा ग्राहक से उसके पास जाता था .ऐप उस पैसे को अपनी कमाई नहीं मानती थी. लेकिन अब सरकार ने कहा है कि चाहे कंपनी इसे कमाई माने या ना माने, अब उन्हें इस पर टैक्स देना ही होगा.

ग्राहकों को कितना देना होगा ज़्यादा पैसा?

अब सवाल आता है कि ग्राहक को कितना ज़्यादा देना होगा? इनवेस्टमेंट फर्म मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट बताती है कि अभी तक जोमैटो हर ऑर्डर पर ₹11-₹12 डिलीवरी चार्ज लेता है. अब इसमें करीब ₹2 का इज़ाफा हो सकता है. इसी तरह, स्विगी पर डिलीवरी चार्ज अभी ₹14.5 के आस-पास है, जो अब ₹2.6 तक बढ़ सकता है. भले ही यह रकम छोटी लग रही हो, लेकिन जो लोग रोजाना खाना ऑर्डर करते हैं, उनके लिए यह महंगा साबित हो सकता है.

क्विक डिलीवरी ऐप्स पर क्या असर पड़ेगा?

सिर्फ फूड डिलीवरी ऐप्स ही नहीं, बल्कि अब लोग जो इंस्टामार्ट, ब्लिंकिट या जेप्टो जैसे क्विक डिलीवरी ऐप्स से दूध, ब्रेड, सब्ज़ी जैसे सामान मंगवाते हैं, उन पर भी यह बदलाव असर डाल सकता है. हालांकि, ब्लिंकिट पहले से ही डिलीवरी फीस पर GST भरता है, इसलिए इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन बाकी ऐप्स, जो या तो फ्री डिलीवरी देते हैं या बहुत कम चार्ज लेते हैं, उन पर अब थोड़ा-बहुत टैक्स जुड़ सकता है  शायद ₹1 से भी कम.

कंपनी या ग्राहक, कौन उठाएगा ये बोझ?

अब सवाल ये है कि इस बढ़े हुए टैक्स का बोझ कौन उठाएगा? अगर कंपनी खुद ये GST देगी, तो उसका खर्चा बढ़ेगा और उसे नुकसान होगा। और अगर कंपनी ने ये पैसा ग्राहकों से लेना शुरू किया, तो लोग कम ऑर्डर करेंगे. दोनों ही हालात में फूड डिलीवरी कंपनियों के लिए यह मुश्किल भरा फैसला हो सकता है.
सरकार का यह कदम टैक्स कलेक्शन को बढ़ाने और सिस्टम को पारदर्शी बनाने के लिए उठाया गया है, लेकिन आम आदमी को इसका असर अपनी जेब में महसूस होगा. खाने के शौकीन लोग, जो अक्सर ऑनलाइन खाना मंगवाते हैं, उन्हें अब हर ऑर्डर पर कुछ रुपये ज़्यादा देने पड़ सकते हैं.

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