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EPFO का बड़ा फैसला, डेथ रिलीफ फंड अब 15 लाख रुपये,जानिए किन्हें मिलेगा फायदा

EPFO का यह फैसला उन परिवारों के लिए बहुत बड़ी राहत है जो अचानक किसी प्रियजन को खोने की स्थिति में होते हैं. 15 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और हर साल 5% की वृद्धि ये दोनों पहल इस बात का संकेत हैं कि कर्मचारी कल्याण को अब और गंभीरता से लिया जा रहा है. इसके साथ ही अन्य प्रक्रियाओं को सरल बनाना भी इस दिशा में उठाया गया एक व्यावहारिक और सराहनीय कदम है.

Image Credit: EPFO

EPFO: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने कर्मचारियों के परिवारों के लिए एक बहुत ही राहतभरी घोषणा की है. EPFO के तहत अब अगर किसी केंद्रीय बोर्ड के कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को मिलने वाली सहायता राशि को 8.8 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया गया है. यह निर्णय 1 अप्रैल 2025 से लागू हो चुका है और इसका सीधा लाभ उन परिवारों को मिलेगा जो इस दुखद परिस्थिति से गुजरते हैं. यह राशि 'डेथ रिलीफ फंड' के तहत दी जाती है और इसे कर्मचारी कल्याण कोष से जारी किया जाएगा. इस पहल का मकसद परिवार को उस मुश्किल समय में वित्तीय सहारा देना है.

सरकारी आदेश में स्पष्ट निर्देश, अब मिलेगा ज्यादा समर्थन

EPFO ने 19 अगस्त को इस फैसले को लेकर एक आधिकारिक आदेश भी जारी किया है. आदेश में साफ लिखा गया है कि "केंद्रीय कर्मचारी कल्याण समिति द्वारा 'डेथ रिलीफ फंड' के तहत अनुग्रह राशि को बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने का अनुमोदन किया गया है." इस बढ़ी हुई राशि का लाभ नामित व्यक्ति या कानूनी उत्तराधिकारी को मिलेगा. इसका मतलब है कि कर्मचारी के निधन के बाद, उसके परिवार को ज्यादा आर्थिक सहायता मिल सकेगी ताकि वे अपने जीवन की जरूरी जरूरतों को पूरा कर सकें.

हर साल 5% की बढ़ोतरी, महंगाई से मिलेगी राहत

EPFO ने एक और बहुत महत्वपूर्ण फैसला लिया है अब 1 अप्रैल 2026 से इस अनुग्रह राशि में हर साल 5% की बढ़ोतरी भी की जाएगी. इसका उद्देश्य यह है कि जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती है, उसी हिसाब से सहायता राशि भी बढ़ती रहे ताकि परिवारों को भविष्य में भी पर्याप्त मदद मिलती रहे. यह फैसला लंबी अवधि की सोच के साथ लिया गया है और कर्मचारियों के परिवारों के हित में बहुत जरूरी कदम है.

2025 में EPFO के अन्य बड़े सुधार

EPFO ने सिर्फ डेथ रिलीफ फंड ही नहीं, बल्कि 2025 में कई और नीतिगत सुधारों की भी घोषणा की है. उदाहरण के तौर पर, अगर किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है और उसके छोटे (नाबालिग) बच्चे क्लेम कर रहे हैं, तो अब उन्हें संरक्षकता प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं होगी. इससे मृत्यु क्लेम की प्रक्रिया बहुत आसान हो जाएगी.
इसके अलावा, आधार और यूएएन (UAN) को लिंक करने की प्रक्रिया को भी आसान बना दिया गया है, जिससे कर्मचारियों को अब बार-बार दस्तावेजों की जाँच नहीं करानी पड़ेगी। साथ ही, EPF से होम लोन निकालने की प्रक्रिया को सरल किया गया है और कुछ मामलों में स्वतः दावे निपटाने की सीमा को भी बदला गया है ताकि लोग जल्दी और बिना परेशानी के अपना पैसा निकाल सकें.

केंद्रीय न्यासी बोर्ड की महत्वपूर्ण भूमिका

EPFO के इन सभी सुधारों के पीछे सबसे अहम भूमिका निभाता है उसका केंद्रीय न्यासी बोर्ड (Central Board of Trustees)। यह बोर्ड EPFO का सबसे बड़ा नीति निर्धारण करने वाला निकाय है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ-साथ कर्मचारियों और नियोक्ताओं के भी सदस्य होते हैं. यह बोर्ड ही तय करता है कि कर्मचारियों और उनके परिवारों की भलाई के लिए क्या कदम उठाए जाएं और उन पर कैसे काम किया जाए.

कर्मचारियों के लिए एक बड़ा और सराहनीय कदम

EPFO का यह फैसला उन परिवारों के लिए बहुत बड़ी राहत है जो अचानक किसी प्रियजन को खोने की स्थिति में होते हैं. 15 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और हर साल 5% की वृद्धि ये दोनों पहल इस बात का संकेत हैं कि कर्मचारी कल्याण को अब और गंभीरता से लिया जा रहा है. इसके साथ ही अन्य प्रक्रियाओं को सरल बनाना भी इस दिशा में उठाया गया एक व्यावहारिक और सराहनीय कदम है.

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