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पति नहीं मांग सकता पत्नी के फोन का पासवर्ड, शादी का मतलब ये नहीं कि... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि पति को अपनी पत्नी के फोन का पासवर्ड पूछने का अधिकार नहीं है क्योंकि यह निजता का उल्लंघन है. कोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दी. जाने क्या है पूरा मामला.

पति नहीं मांग सकता पत्नी के फोन का पासवर्ड, शादी का मतलब ये नहीं कि... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि पति अपनी पत्नी को उसकी निजी जानकारी, संचार माध्यमों, मोबाइल फोन या बैंक खातों के पासवर्ड साझा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता. न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडे की एकलपीठ ने इस फैसले में कहा कि ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा और परिस्थितियों के अनुसार यह घरेलू हिंसा की श्रेणी में भी आ सकता है.

क्या था मामला?

यह मामला एक पति द्वारा अपनी पत्नी पर चरित्रहीनता का आरोप लगाने और उसकी कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) मांगने से जुड़ा था. पति ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1)(i-a) के तहत पत्नी के खिलाफ ‘क्रूरता’ के आधार पर तलाक की अर्जी फैमिली कोर्ट में लगाई थी. सुनवाई के दौरान पति ने दुर्ग के एसएसपी के पास आवेदन देकर पत्नी की कॉल डिटेल्स मांगीं और यही मांग फैमिली कोर्ट में भी दोहराई गई. हालांकि, निचली अदालत ने इस मांग को खारिज कर दिया.

पति ने यह आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी का अपने बहनोई से अवैध संबंध है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि कॉल डिटेल्स से उसका आरोप कैसे सिद्ध होगा.

हाई कोर्ट ने क्या कहा?

हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि जब तलाक ‘क्रूरता’ के आधार पर मांगा गया है, न कि ‘व्यभिचार’ के आधार पर, तो पत्नी की कॉल डिटेल जैसी संवेदनशील और निजी जानकारी मांगना न्यायसंगत नहीं है. अदालत ने स्पष्ट किया कि निजता का अधिकार विवाह के बाद भी बना रहता है.

कोर्ट का टिप्पणी:"विवाह का अर्थ यह नहीं कि पति को पत्नी की हर निजी जानकारी पर स्वचालित रूप से अधिकार मिल जाए. निजता का उल्लंघन करना उसके मौलिक अधिकारों के खिलाफ है."

फैसले का महत्व

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यह फैसला भारत में वैवाहिक संबंधों में निजता के अधिकार को लेकर एक महत्वपूर्ण नज़ीर बन सकता है. डिजिटल युग में जब मोबाइल फोन, सोशल मीडिया और बैंक खातों की जानकारी अत्यंत व्यक्तिगत हो गई है, ऐसे में यह निर्णय बताता है कि वैवाहिक संबंधों में भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गोपनीयता को महत्व दिया जाना चाहिए.

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