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'हां-हां वो बड़ा वाला *@# है...' अमेरिकी प्रोफेसर ने ट्रंप को हिंदी में दी गाली, हंसी नहीं रोक पाया पाकिस्तानी पत्रकार, VIDEO वायरल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिस तरह भारत और अमेरिका के बीच पिछले 25 सालों में बने संबंधों पर पानी फेर रहे हैं उस पर यूएस में हाहाकार मचा है. ट्रंप की आलोचना तो हो ही रही है, इसी बीच एक अमेरिकी प्रोफेसर और दिग्गज विश्लेषक ने उन्हें हिंदी में गाली तक दे दी. हांलांकि उन्होंने इसे जिस अंदाज में कहा वो गाली तो नहीं लेकिन, ट्रंप को डंब और मूर्ख बताने के लिए काफी है. अब ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.

Created By: केशव झा
27 Aug, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
03:26 PM )
'हां-हां वो बड़ा वाला *@# है...' अमेरिकी प्रोफेसर ने ट्रंप को हिंदी में दी गाली, हंसी नहीं रोक पाया पाकिस्तानी पत्रकार, VIDEO वायरल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा छेड़ा गया ट्रेड वॉर अब बवंडर का रूप लेता जा रहा है. एक के बाद एक लोग अब खुलकर इसकी आलोचना करने लगे हैं. ट्रंप ऐसे फैसले ले रहे हैं कि पूरी दुनिया का दिमाग घूम गया है. अमेरिका के लोग ट्रंप से परेशान हैं और ट्रंप अपनी हो रही आलोचनाओं से चिढ़ गए हैं. तभी तो उन्होंने अपनी आलोचना करने वालों में शामिल पूर्व NSA जॉन बोल्टन के घर FBI का छापा तक मरवा दिया. इसके अलावा मशहूर अमेरिकी विश्लेषक और डिफेंस-अंतरराष्ट्रीय स्टडीज की प्रोफेसर क्रिस्टीन फेयर ने ट्रंप को गाली तक दे डाली और कुछ ऐसा कह दिया कि वह सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया, जमकर वायरल हो रहा है.

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दरअसल अमेरिकी राजनीतिक विश्लेषक क्रिस्टीन फेयर ने पाकिस्तानी पत्रकार मोईद पीरजादा के साथ एक ऑनलाइन इंटरव्यू में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर कुछ ऐसा कह दिया, जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. कुछ सालों से निर्वासन में जीवन व्यतीत कर रहे पाकिस्तान मूल के पत्रकार मोईद पीरजादा से बातचीत के दौरान उन्होंने 79 साल के ट्रंप को आवेश में आकर "चू***या" तक कह दिया, जिसका अर्थ होता है "मूर्ख" या "डंब". उनकी इस बात पर पीरजादा भी हंसी नहीं रोक पाए कि जिस स्लैंग का इस्तेमाल दक्षिण एशिया के लोग करते हैं, उसे एक अमेरिकी प्रोफेसर किस तरह सहजता से इस्तेमाल कर रही हैं.

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पीरजादा ने पूछा कि क्या आप सोचती हैं कि ट्रंप प्रशासन के कारण ब्यूरोक्रेसी 25 साल में जो कुछ भी हासिल हुआ, उससे आगे बढ़ रही है? क्या आप सोचती हैं कि अमेरिकी ब्यूरोक्रेसी इस सोच से आगे बढ़ चुकी है कि भारत चीन के काउंटर में एक शक्ति के तौर पर उभर सकता है?

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इसके जवाब में फेयर ने कहा कि नहीं, मैं नहीं सोचती कि ब्यूरोक्रेसी 25 साल के प्रयासों को ऐसे ही जाने देगी और भारत के साथ अपने संबंधों को लेकर अपनी सोच से आगे बढ़ जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि हालांकि मैं मौजूदा ट्रंप प्रशासन के हवाले से कुछ नहीं कह सकती, क्योंकि जिन 4000 लोगों को ट्रंप ने चुना है, उनमें वैसी सोच और अनुभव की कमी है और उनके पास अपने-अपने क्षेत्र की विशेषज्ञता भी नहीं है.

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उन्होंने आगे कहा, "मेरे अंदर की आशावादी सोच कहती है कि ब्यूरोक्रेसी सब संभाल लेगी. लेकिन मेरे अंदर का निराशावादी कहता है कि अभी तो छह महीने ही हुए हैं और हमें इस 'चू***या' के साथ चार साल और गुजारने हैं."

इस पर मोईद पीरजादा मुस्कुराते हुए बोले, "यह वही शब्द है जो मैं उर्दू में अक्सर कहता हूं, और मेरे कई दर्शक इस पर आपत्ति जताते हैं. लेकिन आपने इसे अंग्रेजी डिस्कशन में ही इस्तेमाल कर दिया."

पाकिस्तानी पत्रकार की हंसी और टोकने पर भी फेयर ने जरा भी संकोच नहीं किया. उन्होंने कहा, "हां, तो वो एक चू***या है."

मोईद ने हंसते हुए मजाक में कहा, "चू***या शब्द की इतनी ज्यादा अहमियत है कि कई बार किसी स्थिति को बिना इसका इस्तेमाल किए समझाना मुश्किल हो जाता है."

क्रिस्टीन फेयर ने यह भी बताया कि उनकी कार का नंबर प्लेट भी "चू***या" है. इस दौरान फेयर ने ट्रंप सरकार की कड़ी आलोचना की.

उन्होंने कहा, "मैं ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों की योग्यता की गारंटी नहीं दे सकती, क्योंकि उनमें से कई अपने क्षेत्र में बहुत माहिर नहीं हैं. इसलिए अक्सर लगता है कि उन्हें ही एकमात्र अहम ताकत मान लिया जाता है."

फेयर ने आगे समझाते हुए कहा कि हमें यह याद रखना होगा कि हमारे यहां एक जटिल अफसरशाही (ब्यूरोक्रेसी) है. यह ब्यूरोक्रेसी पिछले 25 सालों से इन रिश्तों पर काम कर रही है. अभी इसका बड़ा हिस्सा नया है. हमने हाल ही में विदेश मंत्रालय (स्टेट डिपार्टमेंट) के हजारों कर्मचारी खो दिए हैं. हमें यह भी पता नहीं कि उनके साथ कितना अनुभव और विशेषज्ञता भी चली गई.

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आपको बता दें कि क्रिस्टीन फेयर एक अमेरिकी विश्लेषक और जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. उनका खास विषय दक्षिण एशिया की राजनीति और सैन्य मामलों पर केंद्रित है. वे RAND कॉरपोरेशन, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र (UN) और अमेरिका के इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के साथ भी काम कर चुकी हैं. उनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें हिंदी, अंग्रेजी के साथ-साथ उर्दू पर भी गहरी पकड़ है. उन्होंने पाक आर्मी, ISI सहित अन्य विषयों पर कई किताबें लिखी हैं. क्रिस्टीन के CIA और ISI में भी अच्छे संबंध रहे हैं, जिससे उन्हें रिसर्च और व्यापक पुस्तकें लिखने में मदद मिलती रही है.

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