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1 अगस्त से UPI यूजर्स के लिए बड़ा बदलाव, बैलेंस चेक से लेकर OTP तक नए नियम लागू

भारत में हर महीने करीब 16 अरब से अधिक UPI ट्रांजैक्शन होते हैं. लेकिन कई बार सिस्टम पर अधिक लोड के चलते सर्वर में दिक्कतें आती हैं, जिससे ट्रांजैक्शन फेल होते हैं या देर से प्रोसेस होते हैं. इन समस्याओं को कम करने के लिए NPCI ने सात अहम बदलाव किए हैं.

26 Jul, 2025
( Updated: 26 Jul, 2025
01:42 PM )
1 अगस्त से UPI यूजर्स के लिए बड़ा बदलाव, बैलेंस चेक से लेकर OTP तक नए नियम लागू
Image Credit: UPI

UPI New Rules: अगर आप भी रोजाना डिजिटल पेमेंट्स के लिए फोनपे, गूगल पे या पेटीएम जैसे UPI ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने UPI सिस्टम को और अधिक तेज़, सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने के लिए 1 अगस्त 2025 से कुछ नए नियम लागू करने का फैसला किया है.  ये बदलाव भले ही टेक्निकल लगें, लेकिन इनका सीधा असर आपके रोजमर्रा के लेन-देन पर पड़ेगा.

भारत में हर महीने करीब 16 अरब से अधिक UPI ट्रांजैक्शन होते हैं. लेकिन कई बार सिस्टम पर अधिक लोड के चलते सर्वर में दिक्कतें आती हैं, जिससे ट्रांजैक्शन फेल होते हैं या देर से प्रोसेस होते हैं. इन समस्याओं को कम करने के लिए NPCI ने सात अहम बदलाव किए हैं. आइए जानते हैं इन बदलावों को विस्तार से......

1. बैलेंस चेक करने की लिमिट तय

पहला बड़ा बदलाव आपके अकाउंट बैलेंस चेक करने से जुड़ा है. अब आप एक दिन में अधिकतम 50 बार ही अपने UPI ऐप के जरिए अकाउंट बैलेंस चेक कर पाएंगे.
बहुत से यूजर्स दिनभर बार-बार बैलेंस चेक करते रहते हैं, जिससे सिस्टम पर अनावश्यक दबाव बढ़ता है. इससे न केवल सर्वर धीमा होता है, बल्कि बाकी यूजर्स के ट्रांजैक्शन भी प्रभावित होते हैं.

2. लिंक बैंक अकाउंट्स को बार-बार देखने पर भी रोक

अब आप एक दिन में केवल 25 बार ही अपने मोबाइल नंबर से लिंक किए गए बैंक अकाउंट्स की डिटेल्स चेक कर पाएंगे.
इस नियम से सिस्टम का लोड कम होगा और इससे फ्रॉड के मामले भी घटेंगे, क्योंकि बार-बार अकाउंट लिंक चेक करना फ्रॉड की एक सामान्य प्रक्रिया बन गई थी.

3. ऑटोपे ट्रांजैक्शन अब तय समय पर ही होंगे प्रोसेस

अगर आप नेटफ्लिक्स सब्सक्रिप्शन, म्यूचुअल फंड SIP या अन्य किसी तरह की ऑटोपे सर्विस का इस्तेमाल करते हैं, तो ध्यान दें.

अब ऑटोपे ट्रांजैक्शन सिर्फ तीन समय स्लॉट में ही प्रोसेस होंगे:

सुबह 10 बजे से पहले
दोपहर 1 बजे से 5 बजे तक
रात 9:30 बजे के बाद
इससे पीक ट्रांजैक्शन टाइम में सर्वर पर लोड नहीं बढ़ेगा और सामान्य पेमेंट्स बिना रुकावट के हो सकेंगे.

4. ट्रांजैक्शन स्टेटस बार-बार चेक नहीं कर पाएंगे

अब अगर कोई ट्रांजैक्शन फेल हो गया है, तो आप दिन में सिर्फ तीन बार ही उसका स्टेटस चेक कर सकेंगे.
इसके अलावा, हर दो चेक के बीच कम से कम 90 सेकंड का अंतर होना जरूरी है. बार-बार स्टेटस चेक करने से सिस्टम की परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है, जिसे अब नियंत्रित किया जाएगा.

5. पेमेंट से पहले दिखेगा रिसीवर का बैंक नाम

हालांकि ये नियम पहले से, यानी 30 जून 2025 से ही लागू हो चुका है, लेकिन इसकी जानकारी रखना जरूरी है. अब जब भी आप किसी को पैसे भेजेंगे, तो ट्रांजैक्शन कन्फर्म करने से पहले रिसीवर का बैंक नाम स्क्रीन पर दिखेगा. इससे गलत अकाउंट में पैसे भेजने की संभावनाएं कम होंगी और फ्रॉड की घटनाएं रोकी जा सकेंगी.

6. चार्जबैक (पेमेंट रिवर्सल) की लिमिट तय

अब आप एक महीने में अधिकतम 10 बार और किसी एक व्यक्ति या संस्था से 5 बार ही पेमेंट रिवर्सल (चार्जबैक) की मांग कर सकेंगे.

इससे सिस्टम पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ेगा और बेवजह के विवाद कम होंगे.

7. बैंकों और UPI ऐप्स के लिए सख्त निर्देश

NPCI ने सिर्फ यूजर्स के लिए ही नहीं, बल्कि बैंकों और ऐप्स के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

अब उन्हें अपने APIs का इस्तेमाल और ट्रैफिक लगातार मॉनिटर करना होगा ताकि सिस्टम में कोई तकनीकी गड़बड़ी न हो और सेवाएं सुचारु रूप से चलती रहें.

इन नियमों का मकसद: एक बेहतर UPI अनुभव

1.इन सभी बदलावों का उद्देश्य UPI को और मजबूत, तेज़ और भरोसेमंद बनाना है.

2. यूजर्स को अब आदत बदलनी होगी बार-बार बैलेंस चेक करना, बार-बार ट्रांजैक्शन स्टेटस रिफ्रेश करना या किसी भी समय ऑटोपे प्रोसेस करवाना अब संभव नहीं होगा.

3. लेकिन इससे आपकी सुविधा बढ़ेगी, क्योंकि सर्वर पर कम लोड होगा, ट्रांजैक्शन तेजी से और सुरक्षित तरीके से पूरे होंगे.

क्या करना चाहिए यूजर्स को?

बैलेंस चेक और स्टेटस रिफ्रेश की आदत पर कंट्रोल करें
ऑटोपे सेट करते वक्त टाइम स्लॉट का ध्यान रखें
पेमेंट से पहले रिसीवर का नाम और बैंक चेक करें
जरूरत पड़ने पर ही चार्जबैक की मांग करें

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