भारत को मिलने जा रहा मेड इन इंडिया वेब ब्राउज़र! गूगल,सफारी,माइक्रोसॉफ्ट को देगा टक्कर! जाने क्यों पड़ी इसकी जरूरत
भारत सरकार ने स्वदेशी वेब ब्राउज़र के लिए हाल ही में "इंडियन वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज" नाम से एक प्रतियोगिता का आयोजन किया था। इसमें देश की सॉफ्टवेयर कंपनी जोहो ने पहला प्राइज जीता था। इसके लिए कंपनी को एक करोड़ रूपये का इनाम भी मिला था।
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भारत सरकार का इलेक्ट्रॉनिक सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गुरुवार 20 मार्च को भारत के पहले वेब ब्राउजर की घोषणा की है। सरकार ने इसका जिम्मा भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी जोहो को दिया है। यह इंटरनेट सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी है। जो सॉफ्टवेयर के टूल्स बनाती है। यह बाकी कंपनियों के लिए आसान और सस्ते सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन प्रोवाइड कराती है। इनमें ई-मेल,ऑफिस स्टोर कस्टमर मैनेजमेंट शामिल है। कंपनी का मुख्यालय चेन्नई में है।
सरकार ने इस ब्राउज़र को बनाने के लिए 3 करोड़ रूपये की फंडिंग का ऐलान किया है। इस सॉफ्टवेयर के डेवलप होने के बाद सिक्योरिटी सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इसके बाद इसे यूजर्स के लिए लॉन्च कर दिया जाएगा।
सरकार ने "इंडियन वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज" नाम की प्रतियोगिता का आयोजन किया भारत सरकार ने स्वदेशी वेब ब्राउज़र के लिए हाल ही में "इंडियन वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज" नाम से एक प्रतियोगिता का आयोजन किया था। इसमें देश की सॉफ्टवेयर कंपनी जोहो ने पहला प्राइज जीता था। इसके लिए कंपनी को एक करोड़ रूपये का इनाम भी मिला था। इस आयोजन में दूसरे नंबर पर पिंग टीम को 75 लाख और तीसरे पर अजना टीम को 50 लाख रूपये मिले। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सभी को चेक प्रदान किया।
क्या होगी इस भारतीय ब्राउजर की खासियत
यह ब्राउज़र डाटा सिक्योरिटी में काफी ज्यादा सिक्योर रहेगा। इससे देश का डाटा देश में ही रहेगा। यह ब्राउज़र सरकार की निगरानी में काम करेगा। यह डेटा प्राइवेसी एक्ट का पालन करेगा। इससे यूजर्स का भी डेटा काफी सुरक्षित रहेगा। यह ब्राउज़र सभी ऑपरेटिंग सिस्टम पर रन करेगा। इनमें IOS, विंडोज और एंड्रॉयड तीनों शामिल है।
इंटरनेट ब्राउजिंग की दुनिया में अमेरिकी कंपनियों का दबदबा
दुनिया भर में जितने भी ब्राउजर इस्तेमाल होते हैं। उनमें सबसे ज्यादा अमेरिकी कंपनियों के ब्राउजर है। एक तरीके से कहा जाए तो पूरी दुनिया में अमेरिकी कंपनियों के ब्राउजर का दबदबा है। भारत में करीब 85% गूगल क्रोम इस्तेमाल होता है। यह भारत में सभी यूजर्स का करीब 89 प्रतिशत है। बाकी अन्य में ओपेरा 3.28%, सफारी 2.82%, यूसी ब्राउजर 1.72%,एज 1.21% और फायरफॉक्स 0.96% इस्तेमाल होता है।
सरकार को इस स्वदेशी ब्राउजर की आखिरी क्यों पड़ी जरूरत ?
जानकारी के लिए बता दें कि मोज़िला, गूगल क्रोम,फायरफॉक्स जैसे वेब ब्राउजर भारतीय सर्टिफिकेशन एजेंसीयों को शामिल नहीं करते। रूट स्टोर को ट्रस्ट स्टोर कहा जाता है। इसमें ऑपरेटिंग सिस्टम और एप्लीकेशन की पूरी जानकारी होती है। इससे यह पता चलता है कि वह पूरी तरीके से सिक्योर है या फिर नहीं। ऐसे में इसके सर्टिफिकेशन में कोई भारतीय कंपनी शामिल नहीं है। जितने भी वेब ब्राउजर भारत में चल रहे हैं। उनके साथ भारत सरकार का सिक्योरिटी को लेकर कोई भी तालमेल नहीं है। यही वजह की भारत खुद का अपना वेब ब्राउजर डेवलप कर रहा है। इसमें ऑनलाइन सिक्योरिटी और प्राइवेसी अहम है।
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