महाराष्ट्र में कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, दिग्गज नेता जयश्री पाटिल ने थामा BJP का दामन, CM फडणवीस भी रहे मौजूद
महाराष्ट्र के सांगली में कांग्रेस को बहुत बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले इस क्षेत्र की वरिष्ठ महिला नेता जयश्री पाटिल ने अब भाजपा का दामन थाम लिया है. दरअसल, विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से जयश्री पाटिल ने कांग्रेस के खिलाफ बगावत कर दिया था.

महाराष्ट्र की राजनीति में वसंत दादा पाटिल परिवार का एक बड़ा समूह भाजपा में शामिल हो गया है. विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज हुई सांगली जिला केंद्रीय सहकारी बैंक की उपाध्यक्ष जयश्री पाटिल अब भाजपा का दामन थाम चुकी हैं. ऐसे में देखा जाए, तो सांगली की राजनीति में भाजपा को काफी ज्यादा मजबूती मिली है. बता दें कि यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है. कांग्रेस की वरिष्ठ नेता जय श्री पाटिल पूर्व मंत्री स्वर्गीय मदन पाटील की पत्नी हैं.
सीएम देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में भाजपा का थामा दामन
महाराष्ट्र के सांगली में अब भाजपा काफी ज्यादा मजबूत हो गई है. वरिष्ठ नेता जय श्री पाटिल के भाजपा में आने से कांग्रेस का यह गढ़ काफी कमजोर हुआ है. महाराष्ट्र के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने जयश्री पाटिल के भाजपा में आने से पहले उनके आवास पर मुलाकात की थी. उसके बाद बुधवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र बीजेपी प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले और अन्य नेताओं की उपस्थिति में जयश्री पाटिल ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की.
कई नेता जयश्री पाटिल के निवास पर पहुंचे थे
जयश्री पाटिल के भाजपा में आने से पहले महाराष्ट्र सरकार के पालक मंत्री चंद्रकांत पाटील चंद्रकांत पाटिल के साथ भाजपा विधायक सुधीर गाडगिल, जिला अध्यक्ष सम्राट महाडिक, जनसुराज्य के समित कदम, भाजपा के शेखर इनामदार, सीबी पाटिल व अन्य नेता जयश्री पाटिल के निवास पर पहुंचे थे. इस दौरान सभी ने स्थानीय निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस के मदन पाटील गुट को भाजपा के साथ लाने के लिए जयश्री पाटिल से संपर्क किया था.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से थीं नाराज
कांग्रेस के गढ़ सिंगली से आने वाली जयश्री पाटिल विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से काफी ज्यादा नाराज थी. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस का बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा था. जिसकी वजह से कांग्रेस ने उन्हें निलंबित कर दिया था. कांग्रेस द्वारा निलंबन का फैसला आने के बाद खुद अलग राजनीतिक राह अपनाने का फैसला किया. भाजपा में आने से पहले उन्होंने खुद अपने कार्यकर्ताओं से राय मांगी थी. उन्हें भाजपा के अलावा एनसीपी से भी ऑफर मिला था, लेकिन अंत में उन्होंने भाजपा में शामिल होने का बड़ा फैसला लिया.