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ठाकरे ने क्यों कहा बीजेपी से बात करने को तैयार हैं, जानिए पूरा मामला

महाराष्ट्र चुनाव के बीच शिवसेना (UBT) के सर्वेसर्वा उद्धव ठाकरे ने एक ऐसा बयान दिया, जिसके बाद राजनीति गरमा गई, क़यास लगाए जाने लगे हैं कि, ठाकरे आगे कुछ बड़ा कदम उठा सकते हैं समझिए क्या है पूरा मामला

ठाकरे ने क्यों कहा बीजेपी से बात करने को तैयार हैं, जानिए पूरा मामला
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच उद्धव ठाकरे का ये एक बयान तहलका मचाए हुए हैं, सवाल उठ रहें हैं कि, आख़िर क्यों उद्धव ने ऐसा बयान दिया।

उद्धव ठाकरे को अपनी किस गलती का एहसास हो गया है ? क्या उद्धव ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी छोड़ने का मन बनाया ? क्या उद्धव ठाकरे फिर से बीजेपी के साथ आना चाहते हैं ? क्या चुनावी नतीजों के बाद की राजनीति सेट कर रहे ठाकरे ?

इन तमाम सवालों के जवाब की तलाश की जा रही है, तो ऐसे में चलिए जानते हैं कि ठाकरे ने क्यों और कब इतनी बड़ी बात बोली, दरअसल चुनाव प्रचार के दौरान उद्धव ठाकरे ने बीजेपी कार्यकर्ताओं की तारीफ करते हुए अपने बयान में कहा "हमारे बीच मतभेद हैं, लेकिन अगर आपकी ओर से कोई मुझसे बात करना चाहता है, तो मैं भी तैयार हूं, हमें एकजुट होकर सिलोड की छवि सुधारनी चाहिए, यह मौका है अब्दुल सत्तार को हराने का"


उद्धव ठाकरे के बयान से तस्वीर साफ़ होती है कि, सिलोड की जनता को लुभाने के लिए वो ऐसा बयान दे रहें हैं, ताकि वो कह सकें कि बीजेपी राजनीति ने करें तो सिलोड का विकास किया जा सकता है, लेकिन राजनीति में इशारों ही इशारों में दिए गए बयान बहुत कहानी बयां कर जाते हैं, खैर सिलोड में ही ये बात ठाकरे ने क्यों कही, अब ये समझिए।

एकनाथ शिंदे गुट के अब्दुल सत्तार सिलोड से चुनाव लड़ रहें हैं, अब्दुल सत्तार मौजूदा वक़्त में मंत्री हैं, वो 2019 के विधानसभा चुनावों में शिवसेना में शामिल हुए थे, उस समय शिवसेना एकजुट थी और उद्धव ठाकरे के हाथों में पार्टी की कमान थी, लेकिन 5 साल में तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है, अब्दुल सत्तार अब शिंदे के साथ हैं, यही वजह है कि, अब्दुल सत्तार पर ठाकरे भड़क रहें हैं।
 
 "गद्दारों ने एकजुट होकर सत्ता का दुरुपयोग किया है, गरीबों को परेशान किया जा रहा है, ऐसे लोगों को जेल में डाल देना चाहिए, मैंने 2019 में उन्हें (अब्दुल सत्तार) को शामिल करके गलती की थी और इसके लिए मैं माफी मांगता हूं, मंत्री पद मिलने के बावजूद उनकी भूख शांत नहीं हुई है, वे अभी भी लालची बने हुए हैं"

अब आपको समझ आ गया होगा कि ठाकरे ने क्यों माफ़ी माँगी, क्यों बीजेपी से बात करने की बात कही, खैर वो इन सबके बीच अब्दुल सत्तार पर खूब भड़ास भी निकालते दिखे, वहीं बात करें सत्तार की तो उनके रिश्ते अपने सहयोगी बीजेपी से ठीक नहीं हैं, क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान जलना लोकसभा सीट हारने पर बीजेपी ने सत्तार को ज़िम्मेदार बताया था, दरअसल सत्तार ने दानवे का समर्थन नहीं किया था और कांग्रेस उम्मीदवार कल्याण काले की जीत का सार्वजनिक अभिनंदन किया था, तो कुछ इस तरह से महाराष्ट्र में राजनीति हो रही है।

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