'हमें कुर्सी नहीं, 6 सीटें चाहिए...', बिहार चुनाव से पहले ओवैसी के नेताओं ने तेजस्वी के आवास पर बजाए ढोल-नगाड़े, कहा- हमें गठबंधन में शामिल कर लो
पटना में एआईएमआईएम के बिहार अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ढोल-नगाड़े बजाते हुए तेजस्वी यादव के आवास पहुंचे और गठबंधन में शामिल करने की मांग की. ईमान ने कहा कि उनकी पार्टी मुख्यमंत्री या मंत्रालय नहीं, सिर्फ 6 सीटें चाहती है. उन्होंने 2005 की तर्ज पर 2025 के चुनाव में भी एआईएमआईएम की भूमिका निर्णायक बताई.
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बिहार विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ दो से तीन महीने का समय शेष है. इस चुनाव में सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी इंडिया महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है. बीजेपी के विरोध में राजनीति करने वाली कई पार्टियां महागठबंधन में शामिल होने की कोशिश कर रही हैं. पहले से छह दलों वाला यह गठबंधन अब झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और पशुपति पारस की पार्टी के जुड़ने से आठ दलों का हो चुका है. इसी बीच हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी महागठबंधन में शामिल होने के प्रयास में जुटी हुई है.
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने गुरुवार को पटना में अनोखा प्रदर्शन कर सबका ध्यान खींचा. एआईएमआईएम के बिहार अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल ईमान अपने समर्थकों के साथ ढोल-नगाड़े बजाते हुए तेजस्वी यादव के आवास पहुंचे और नारे लगाए 'लालू-तेजस्वी कान खोलो, गठबंधन का दरवाजा खोलो.' अख्तरुल ईमान ने कहा कि उनकी पार्टी ने कई बार आरजेडी को गठबंधन के लिए प्रस्ताव दिया लेकिन हर बार उसे अनसुना कर दिया गया. उन्होंने साफ किया कि एआईएमआईएम मुख्यमंत्री पद या मंत्री पद की मांग नहीं कर रही है. उनकी केवल छह सीटों की मांग है. ईमान का दावा है कि अगर गठबंधन बनता है तो विपक्ष और मजबूत होगा और सांप्रदायिक ताकतों को हराया जा सकेगा.
पहले जैसी न बन जाए स्थिति
मीडिया से बातचीत में ईमान ने कहा कि 2025 का चुनावी माहौल 2020 जैसा बन रहा है. उस समय रामविलास पासवान की पार्टी बिना सरकार के गठन के संभव नहीं थी. पासवान ने मुस्लिम चेहरे को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया था. अब, ईमान का मानना है कि वैसी ही स्थिति 2025 में भी बन रही है और एआईएमआईएम के समर्थन के बिना विपक्षी गठबंधन अधूरा रहेगा.
आरजेडी पर तीखा हमला
अख्तरुल ईमान ने लालू और तेजस्वी यादव को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने एआईएमआईएम को साथ नहीं लिया तो विपक्षी वोट बिखर जाएंगे और भाजपा जैसी पार्टियों को रोकना मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने कहा, 'हम गठबंधन की सरकार बनाना चाहते हैं और उसके नेता तेजस्वी होंगे. लेकिन आरजेडी मुसलमानों का वोट तो चाहती है, पर मुस्लिमों को नेतृत्व में आगे नहीं आने देना चाहती. यही वजह है कि हमारे प्रस्ताव को बार-बार दरकिनार किया गया. आज इसलिए हम तेजस्वी यादव के दरवाजे पर ढोल बजाकर लेटर देने पहुंचे हैं.' ईमान ने यह भी याद दिलाया कि पहले एआईएमआईएम के पांच में से चार विधायक टूटकर आरजेडी में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने कहा, “हमारे सीने पर खंजर घोंपा गया, लेकिन बिहार की जनता के हित के लिए हम आज भी गठबंधन का हाथ थामने को तैयार हैं. हमें व्यक्तिगत नुकसान हुआ है, लेकिन बिहार को नुकसान नहीं होने देंगे.”
सीमांचल पर AIMIM की पकड़
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की असली ताकत सीमांचल इलाकों में है. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था. खुद अख्तरुल ईमान अमौर विधानसभा सीट से विधायक बने. हालांकि, 2022 में पार्टी के चार विधायकों ने बगावत कर आरजेडी का दामन थाम लिया. इसके बावजूद सीमांचल में एआईएमआईएम का जनाधार अब भी मजबूत माना जाता है. यही वजह है कि ईमान लगातार दावा कर रहे हैं कि गठबंधन में शामिल होने से विपक्ष को निर्णायक बढ़त मिलेगी.
बता दें कि बिहार में एनडीए और इंडिया महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है. ऐसे में एआईएमआईएम की एंट्री विपक्ष के लिए समीकरण बदल सकती है. पर सवाल यह है कि क्या आरजेडी एआईएमआईएम की छह सीटों की मांग मान लेगी या फिर एक बार फिर इस प्रस्ताव को अनसुना कर देगी. ईमान के ढोल बजाने से माहौल जरूर गरमा गया है लेकिन असली तस्वीर अगले कुछ हफ्तों में साफ होगी.
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ऐसे में बिहार चुनाव 2025 केवल सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि विपक्षी एकता की भी बड़ी परीक्षा है. एआईएमआईएम की सीमांचल में पकड़ और अल्पसंख्यक समुदाय पर असर को नजरअंदाज करना आरजेडी के लिए आसान नहीं होगा. ढोल बजाकर दरवाजा खटखटाने वाली राजनीति ने यह संदेश दे दिया है कि अब एआईएमआईएम चुप बैठने वाली नहीं है. देखना दिलचस्प होगा कि क्या तेजस्वी यादव गठबंधन की गाड़ी में ओवैसी की पार्टी को भी सीट देंगे या फिर यह जंग और भी पेचीदा हो जाएगी.
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