'दो-चार से काम नहीं चलेगा, हमें 20 सीटें चाहिए...', जीतनराम मांझी ने सीट को लेकर BJP के सामने रखीं मांग, कहा- कार्यकर्ताओं का सम्मान जरूरी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर हलचल तेज हो गई है. हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने भाजपा से कम से कम 20 सीटों की मांग की है. मांझी ने कहा कि दो-चार सीटों से काम नहीं चलेगा और इज्जत बचाने के लिए उनकी पार्टी को सम्मानजनक हिस्सेदारी मिलनी चाहिए.
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बिहार में विधानसभा चुनाव में अब केवल दो से तीन महीने का समय बचा है. ऐसे में सत्ताधारी एनडीए हो या विपक्षी इंडिया महागठबंधन, दोनों ही गठबंधन में शामिल दल पूरी ताकत के साथ चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं. इसी बीच सीट बंटवारे को लेकर गठबंधनों में दबाव की राजनीति भी शुरू होती नज़र आ रही है. ताज़ा मामला एनडीए से जुड़ा है, जहां केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने विधानसभा चुनाव के लिए सीटों को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सामने अपनी मांग रख दी है.
दरअसल, विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए गठबंधन में शामिल दलों ने चुनावी तैयारियां पूरी ताकत से शुरू कर दी हैं. लेकिन अब असली चुनौती सीट बंटवारे की है. इसी बीच एनडीए के अहम घटक और हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के संस्थापक जीतनराम मांझी ने भारतीय जनता पार्टी के सामने अपनी डिमांड रखकर हलचल मचा दी है. मांझी ने साफ कर दिया कि इस बार उनकी पार्टी सिर्फ दो-चार सीटों से संतुष्ट नहीं होगी. उन्होंने कहा कि हम को कम से कम 20 सीटें चाहिए और इसके पीछे ठोस कारण भी गिनाए.
कार्यकर्ताओं के बहाने मांझी ने रखी अपनी बात
बुधवार को मीडिया से बातचीत के दौरान जीतनराम मांझी ने कहा कि उनकी पार्टी लगातार जनता के बीच काम कर रही है. भागलपुर और दरभंगा समेत कई जिलों में हम की बैठकों में जनता और कार्यकर्ताओं ने साफ कहा है कि इस बार हम को सम्मानजनक सीटें मिलनी चाहिए. मांझी ने कहा कि हमारी इज्जत तभी बचेगी जब हमें 20 सीटें मिलेंगी. उन्होंने यहां तक कहा कि अगर एनडीए में उनके प्रति सहानुभूति और सम्मान है, तो भाजपा को यह मांग पूरी करनी ही होगी. मांझी ने भाजपा नेताओं के बयानों और हाल के कार्यक्रमों का उदाहरण भी दिया. उन्होंने कहा कि एनडीए की जिन-जिन विधानसभा में बैठकें हो रही हैं, वहां हम के कार्यकर्ता पूरी सक्रियता के साथ शामिल हो रहे हैं. गयाजी में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में भी बड़ी संख्या में हम के कार्यकर्ता मौजूद थे. मांझी ने दावा किया कि उस सभा में आधे से ज्यादा झंडे और टोपियां हिंदुस्तान आवाम मोर्चा की नज़र आ रही थीं.
20 सीटों की डिमांड के पीछे मांझी ने दिया तर्क
जीतनराम मांझी ने साफ किया कि उनकी पार्टी मुख्यमंत्री पद की दावेदार नहीं है. लेकिन अगर हम को 15-20 विधायक बनाने का मौका मिला, तो मुख्यमंत्री चाहे कोई भी हो, वे जनता से जुड़े फैसलों को लागू करवाने की ताकत रखेंगे. मांझी ने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने 35 अहम फैसले लिए थे, जिनमें से नीतीश कुमार ने 25-26 को लागू किया है, चाहे दूसरे नाम से ही सही. उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी को सम्मानजनक सीटें मिलेंगी, तो बाकी फैसलों को भी आगे बढ़ाया जा सकेगा.
मान्यता प्राप्त दल बनने का लक्ष्य: मांझी
मांझी ने एक और अहम कारण गिनाया. उन्होंने कहा कि फिलहाल हिंदुस्तान आवाम मोर्चा मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल नहीं है. इसके लिए 6 प्रतिशत वोट या कम से कम 7-8 विधायकों का विधानसभा में होना जरूरी है. मांझी ने कहा कि अगर हम को 20 सीटें मिलेंगी, तो अगले चुनाव में 10-15 विधायक बनकर आएंगे और उनकी पार्टी को मान्यता मिल जाएगी. यही उनकी सबसे बड़ी रणनीतिक वजह है.
एनडीए के भीतर बढ़ा दबाव
मांझी की इस मांग के बाद एनडीए के भीतर दबाव की राजनीति और तेज होती दिख रही है. एक ओर भाजपा को अपने प्रमुख सहयोगी दलों को साधना है, वहीं जेडीयू और लोजपा भी सीट बंटवारे में अपनी ताकत दिखाने में पीछे नहीं हैं. ऐसे में एनडीए के लिए यह चुनाव सीट बंटवारे की कसौटी भी साबित हो सकता है.
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बता दें कि बिहार की सियासत हमेशा से सीट बंटवारे और गठबंधन की राजनीति के इर्द-गिर्द घूमती रही है. इस बार भी हालात अलग नहीं हैं. जीतनराम मांझी की 20 सीटों की मांग ने भाजपा के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है. अब देखना होगा कि भाजपा उनकी डिमांड को मानकर एनडीए में तालमेल बनाए रखती है या फिर गठबंधन में खींचतान और बढ़ेगी. इतना तय है कि मांझी का यह बयान बिहार की चुनावी सियासत को और रोचक बना चुका है.
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