JDU में ‘छोटे सरकार’ को लेकर घमासान... क्या पार्टी में अनंत सिंह की एंट्री बिगाड़ देगी CM नीतीश की साख?
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बाहुबली नेता और मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह जदयू में शामिल हो सकते हैं. उन्होंने हाल ही में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के साथ रोड शो और मंत्री अशोक चौधरी व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात
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बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल चरम पर है. बड़े-बड़े नेताओं से लेकर स्थानीय स्तर के दिग्गज तक अपने-अपने पत्ते खोलने में जुट गए हैं. इसी बीच चर्चाओं का सबसे बड़ा केंद्र बने हैं मोकामा के पूर्व विधायक और बाहुबली नेता अनंत सिंह, जिन्हें लोग छोटे सरकार के नाम से भी जानते हैं. खबरें तेज हैं कि अनंत सिंह जल्द ही जनता दल यूनाइटेड (JDU) में शामिल हो सकते हैं. लेकिन उनके आने से पार्टी के भीतर ही मतभेद गहराते नजर आ रहे हैं.
अनंत सिंह को लेकर संशय
पिछले महीने मोकामा में अनंत सिंह ने केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के साथ रोड शो किया था. इसके बाद उन्होंने बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की. यही नहीं, अशोक चौधरी के जरिए उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी पटना में हो चुकी है. इन बैठकों और सक्रियता के बाद यह कयास और मजबूत हो गए हैं कि अनंत सिंह मोकामा से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं. इन सबके बीच गौर करने वाली बात यह है कि अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी इस समय राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से विधायक हैं. हालांकि, पिछले साल जनवरी में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान नीलम देवी ने विधानसभा के भीतर जदयू का समर्थन करके सबको चौंका दिया था. इस कदम ने कहीं न कहीं अनंत सिंह और जदयू के बीच बढ़ती नजदीकियों की झलक दी थी.
जेडीयू के भीतर मतभेद
जदयू में हर कोई अनंत सिंह के आने से खुश नहीं दिख रहा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता नीरज कुमार ने उनकी संभावित उम्मीदवारी पर कड़े सवाल उठाए हैं. नीरज कुमार ने कहा कि अनंत सिंह अभी पार्टी के सदस्य भी नहीं हैं, ऐसे में उनका टिकट पाना संभव कैसे है. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि नीतीश सरकार ने खुद कई बार अनंत सिंह को उनकी आपराधिक छवि के कारण जेल भेजा था. नीरज कुमार के मुताबिक, पार्टी को ऐसे व्यक्तियों को शामिल करने से बचना चाहिए जिनकी छवि सवालों के घेरे में हो. उनका कहना है कि अगर ऐसे लोगों को मौका दिया गया तो इससे पार्टी नेताओं की साख धूमिल हो सकती है. नीरज कुमार ने यहां तक आरोप लगाया कि अनंत सिंह वही शख्स हैं जिन्होंने नीतीश कुमार पर टिकट बेचने का गंभीर आरोप लगाया था, जबकि विपक्ष ने भी ऐसी बात कभी नहीं कही.
सीट को लेकर बढ़ी सियासी तकरार
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मोकामा सीट को लेकर सबसे ज्यादा टकराव दिख रहा है. बताया जा रहा है कि खुद नीरज कुमार भी इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में अनंत सिंह की संभावित उम्मीदवारी ने पार्टी के भीतर ही असंतोष की लकीर खींच दी है.
चुनावी समीकरण सेट करने में कई चुनौतियां
बिहार की राजनीति में बाहुबली नेताओं का प्रभाव हमेशा चर्चा में रहा है. अनंत सिंह का नाम भी इन्हीं में गिना जाता है. हालांकि, समय-समय पर उन पर लगे आपराधिक आरोपों और विवादों ने उनकी छवि को धूमिल भी किया है. जदयू जैसे दल के लिए, जो खुद को ' सुसाशन और स्वच्छ छवि की राजनीति का पक्षधर बताता है, ऐसे नेताओं का शामिल होना पार्टी की विचारधारा और छवि दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
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अब देखने वाली बात होगी कि नीतीश कुमार और जदयू नेतृत्व इस जटिल समीकरण को कैसे साधते हैं. क्या छोटे सरकार को पार्टी में जगह मिलेगी या आंतरिक मतभेद उनकी एंट्री की राह रोक देंगे. इतना तय है कि बिहार की सियासत आने वाले दिनों में और रोमांचक मोड़ लेने वाली है.
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