74 साल के नीतीश की सोशल इंजीनियरिंग की काट नहीं खोज पा रही 55 और 35 साल के लड़कों की जोड़ी, सुशासन बाबू की जुबान नहीं काम बोलता है!
बिहार का राजनीतिक माहौल गर्म है. चुनावी तैयारियां चरम पर हैं. नीतीश कुमार भले शांत दिख रहे हों, लेकिन चुपचाप ऐसे कदम उठा रहे हैं जो गेमचेंजर साबित हो सकते हैं. हाल की घोषणाओं से साफ है कि उनका फोकस सोशल सेक्टर और वोट बैंक मैनेजमेंट पर है.
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बिहार का सियासी पारा तेजी से चढ़ रहा है. चुनावी रणभेरी बज चुकी है और सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है लेकिन इस बीच सबसे दिलचस्प पहेली बने हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. जिनको लेकर विपक्षी खेमे को लगता है कि नीतीश अब उतने एक्टिव नहीं हैं. मगर यही उनकी सबसे बड़ी भूल साबित हो सकती है क्योंकि नीतीश चुपचाप ऐसे दांव चल रहे हैं, जो चुनावी तस्वीर को पूरी तरह पलट सकते हैं और उनका यही हुनर उन्हें बिहार की राजनीति का असली 'गेम चेंजर' बनाता है.
दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वर्तमान में उम्र 74 साल है. इसको लेकर विपक्ष के इंडिया ब्लॉक के मुख्य नेताओं में से एक बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और लोकसभ में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भले तंज कसते हैं लेकिन आज भी नीतीश कुमार की इन सभी पर सोशल इंजीनियरिंग भारी पड़ती है. विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच नीतीश कुमार बड़ी ख़ामोशी से काम कर रहे है.
सोशल सेक्टर पर नीतीश का बड़ा दांव
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल के दिनों में ऐसी घोषणाएं की हैं, जो साफ़ तौर पर दिखाती हैं कि उनका सीधा फोकस सोशल सेक्टर और वोट बैंक मैनेजमेंट पर है. उन्होंने रणनीतिक तरीके से उन वर्गों को साधने की कोशिश की है, जिनके समर्थन के बिना बिहार की सत्ता का रास्ता तय नहीं हो सकता. आइए नज़र डालते हैं उन अहम घोषणाओं पर, जिनसे नीतीश ने चुपचाप चुनावी जंग के बड़े समीकरण बदलने की तैयारी की है.
विपक्ष को दिया बड़ा झटका
बिहार के राजनीतिक जानकारों की माने तो सीएम नीतीश कुमार ने बिहार की राजनीति में सियासी करंट दे दिया है. 125 यूनिट मुफ्त बिजली देकर सीएम नीतीश कुमार ने राज्य के 1 करोड़ 86 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को राहत दी है. जिनका मासिक बिल अब पूरी तरह माफ हो गया. गौर से देखा जाए तो बिहार की 90 फीसद आबादी को इसका सीधा फायदा मिल रहा है. राजनीतिक रूप से देखें तो ग्रामीण और निम्न-मध्यम वर्ग के वोटरों में इसकी सबसे ज्यादा चर्चा है. सर्वे में भी 63 फीसद लोगों ने माना कि यह योजना सत्ता की राह आसान बनाएगी.
संवेदनशील मुख्यमंत्री की पहचान
बीते दो महीनों के दौरान सीएम नीतीश ने सामाजिक सुरक्षा को लेकर बड़ी घोषणाएं की हैं. सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि 400 से बढ़ाकर 1100 रुपये कीं. इस घोषणा से उन्होंने सीधे तौर पर 1 करोड़ 12 लाख लोग लाभान्वित हुए. इन लाभार्थियों में बुजुर्ग, विधवा और दिव्यांगजन शामिल हैं. यानी वह वर्ग जो चुनाव में वोट डालने में सबसे ज्यादा सक्रिय और निर्णायक भूमिका निभाता है. उसके लिए यह घोषणा राजनीति रूप से अहम माना जा रहा है.
युवाओं के लिए किया बड़ा ऐलान
बताते चलें कि नीतीश कुमार अब तक 10 लाख सरकारी नौकरियां और 39 लाख रोजगार उपलब्ध करा चुके हैं. चुनावी माहौल को देखते हुए उन्होंने इस लक्ष्य को बढ़ा कर इसी साल 12 लाख नौकरी और 50 लाख रोजगार का तय कर दिया. जिस पर काम जारी है. इतना ही नहीं, सीएम नीतीश ने चुनावी दांव खेलते हुए अगले पांच में 1 करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देने का वादा भी कर डाला. नीतीश के इस दांव को काफी अहम माना जा रहा है. गौर करने वाली बात ये है कि सीएम नीतीश के इस मास्टर स्ट्रोक की चर्चा राजनीतिक गलियारे में भी है. इस वादे ने युवा वोट बैंक और उनके परिवारों को भी अपने साध लिया है. जानकारों का मानन है कि लंबे समय से नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं और उनके परिवार को नीतीश कुमार के विकास कार्यों और औद्योगिक क्षेत्र के विकास के ऐलान से उम्मीद जगी है.
फिर बढ़ी नीतीश की लोकप्रियता
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हाल में हुए सी-वोटर सर्वे में भी सीएम नीतीश बढ़त बनाए हुए हैं. इस सर्वे में बिहार की 65 फीसद जनता ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पहली पसंद बताया है. समझने वाली बात ये है कि नीतीश कुमार ने मुफ्त बिजली देकर ग्रामीण और गरीब वर्ग को साधने की कोशिश की. पेंशन में बढ़ोतरी से बुजुर्ग, महिलाओं और दिव्यांगों को अपने पाले में लाने का प्रयास किया, नौकरी और रोजगार के वादे से युवाओं को, मानदेय और पेंशन बढ़ोतरी से सरकारी कर्मी ओर समाजसेवी वर्ग प्रभावित करने वाला दांव खेल दिया है. इन फैसलों से एक साथ एक बड़ा वोट बैंक लाभंवित हुआ है. जिसका चुनावी फायदा मिलना तय माना जा रहा है. माना जा रहा है चुनाव से ठीक पहले किए गए ये फैसले सीएम नीतीश के लिए मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकते हैं.
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