बिहार चुनाव: राघोपुर में तेजस्वी यादव के सामने BJP और तेज प्रताप की चुनौती, राबड़ी को हराने वाले सतीश यादव ने चौतरफा घेरा!
लालू परिवार के चश्मो चिराग तेजस्वी यादव राघोपुर से अपना सबसे कठिन चुनाव लड़ रहे हैं. विपक्षी फैक्टर के अलावा उनके लिए इस बार चुनौती भीतरी, आंतरिक है. उनके खिलाफ बड़े भाई तेज प्रताप भी मैदान में प्रचार कर रहे हैं और जयचंद और असली समाजिक न्याय का नारा बुलंद कर रहे हैं. इसके अलावा उनके सामने सजातीय सतीश यादव भी मैदान में हैं, जो 2010 में राबड़ी देवी तक को हरा चुके हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि तेजस्वी के लिए मुकाबला आसान नहीं होने वाला है.
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बिहार चुनाव में इस बार हर एक सीट पर मुकाबला काफी जोरदार देखने को मिल रहा है. जन सुराज के मैदान में आने से जहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है, वहीं, लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप की वजह से तो कई सीटों पर टक्कर और जोरदार होने के आसार हैं. मसलन लालू परिवार की पारंपरिक सीट राघोपुर, जहां से तेजस्वी यादव चुनाव लड़ रहे हैं यहां पर उनके लिए ये चुनाव काफी कठिन होता दिख रहा है. इसके पीछे की कई वजह भी हैं.
जहां तक विधानसभा चुनाव की बात है ये स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाता है और लोग सीधे सरकार चुनने के लिए वोट देते हैं. तेजस्वी इस बार महागठबंधन की ओर से सीएम के चेहरे हैं. उनके ऊपर पूरे राज्य में बतौर गठबंधन के चेहरे, स्टार प्रचारक और सबसे बड़े नेता के तौर पर कैंपेन को लीड करने की जिम्मेदारी है. ऐसे में उनके लिए अपनी सीट राघोपुर में ज्यादा से ज्यादा समय देेना काफी मुश्किल होता जा रहा है. ऐसे में उनके लिए मुकाबला हर बीतते घंटे के साथ कठिन होता जा रहा है. यहां उनकी सीधी टक्कर सतीश यादव से है. वो न सिर्फ पूर्व विधायक है, सजातीय हैं बल्कि उन्हें राबड़ी देवी को भी हराने का ख्याति प्राप्त है.
आपको बता दें कि राघोपुर में मुकाबला हमेशा से हाई वोल्टेज रहा है. ये VIP सीट होने के साथ-साथ लालू परिवार की विरासत वाली सीट है. इसे महागठबंधन की सबसे मजबूत सीट कहा जा रहा है. तेजस्वी यादव इस सीट से दो बार के विधायक हैं. पिछली दो बार से वो इतनी मजबूती से जीतते रहे हैं कि हारने वाला कैंडिडेट या कोई भी दल उनके मतों के अंतर के करीब भी नहीं पहुंच पाया है, हालांकि इस बार मुकाबला आसान नहीं होने वाला है. यहां से बीजेपी के सतीश यादव के अलावा तेज प्रताप ने भी अपनी पार्टी का उम्मीदवार उतारा है.
राघोपुर में तेज प्रताप भी 'मैदान' में!
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पहला ऐसा चुनाव है जब लालू परिवार के ही दो सदस्य आमने-सामने हैं. यूं कहें तो ये चुनाव खुद आरजेडी सुप्रीमो के लिए भी विकट है क्योंकि उनकी आंख के सामने भाई-भाई एक दूसरे के खिलाफ आ गए हैं. लालू यादव के दोनों बेटों ने एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सोमवार को तेज प्रताप यादव ने तेजस्वी के गढ़ राघोपुर में चुनाव प्रचार किया. जहां तक तेज प्रताप फैक्टर की बात थी तो तेजस्वी ने कहा कि पार्टी से कोई बड़ा नहीं है. इसका पलटवार करते हुए तेज प्रताप ने कहा कि पार्टी से भी बड़ी प्रदेश की जनता है.
क्या है इस सीट का इतिहास?
वैशाली जिले की राघोपुर सीट बिहार की VIP सीटों में से एक है. यहां से लालू परिवार से कोई न कोई जीतता ही रहा है. लालू, राबड़ी के बाद अब तेजस्वी इस सीट से पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. अगर इतिहास की बात करें तो राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव दो बार, पूर्व सीएम राबड़ी देवी तीन बार, और तेजस्वी यादव दो बार से जीतते आ रहे हैं. पार्टी ने उन्हें 2015 में पहली बार यहां से उम्मीदवार बनाया था, फिर 2020 में. दोनों ही बार उन्होंने बड़े मार्जिन से जीत दर्ज की.
उनके निकट प्रतिद्वंदी की बात करें तो बीजेपी ने सतीश कुमार यादव को यहां से मैदान में उतारा है. वो भी एक हैवीवेट कैंडिडेट माने जाते हैं. पिछले चुनाव में भी इस सीट पर बीजेपी और राजद के बीच ही सीधी टक्कर थी. जहां तक चुनाव नतीजों की बात करें तो तेजस्वी यादव को 97404 वोट और सतीश कुमार यादव को 59230 वोट मिले थे.
तेजस्वी और सतीश यादव, दोनों ही सजातीय कैंडिडेट है. वहीं लोक जनशक्ति पार्टी भी एक फैक्टर के रूप में पिछले चुनाव में सामने आई थी. इसके अलावा तेज प्रताप यादव की पार्टी यहां क्या करती है उस पर भी विश्लेषकों की नजर होगी.
राघोपुर में 19 प्रत्याशी मैदान में
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक नामांकन वापसी की तारीख के बीत जाने के बाद अब कुल 19 प्रत्याशी मैदान में शेष रह गए हैं. राघोपुर में कुल 23 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दर्ज कराया था, जिसमें से 4 की उम्मीदवारी खारिज हो गई थी. राजद-बीजेपी, जनशक्ति जनता दल के अलावा अगर देखें तो जन सुराज ने चंचल कुमार को मैदान में उतारा है. दूसरी तरफ तेज प्रताप ने प्रेम कुमार को टिकट देकर मुकाबले को काफी दिलचस्प बना दिया है. अब देखने वाली बात होगी कि मैदान कौन मारेगा.
क्या है राघोपुर का कास्ट फैक्टर?
यादव बहुल क्षेत्र माने जाने वाले राघोपुर सीट पर मतदान पहले चरण में 6 नवंबर को होना है. यहां यादवों की संख्या करीब 35% है. ऐसे में ये समुदाय जिधर जाएगा, पलड़ा जाहिर है उसी का भारी होगा. हालांकि प्रत्याशी भी इसी जाति से हैं. लेकिन इस बार एक ट्विस्ट है.
राघोपुर में मुकाबला यादव बनाम यादव का है. इन 35% यादवों में से करीब 55 हजार कृष्णौत यादव हैं. बीजेपी इन्हें ही अपने तरफ करने की कोशिश में लगी है. हालांकि बीजेपी को इसमें कुछ हद तक सफलता उस वक्त मिली जब वैशाली में राकेश रौशन आज भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए.
दलित करीब 18%
यादव के बाद राघोपुर में दलित मतदाता करीब 18 फीसद हैं और करीब इतने ही राजपूत मतदाता भी संख्या है. राघोपुर में ब्राह्मण करीब 3 फीसद और करीब इतनी ही मुस्लिम आबादी भी है. 1998 के बाद से राघोपुर सीट पर लगभग राजद का एकछत्र दबदबा रहा है, सिवाय 2010 के विधानसभा चुनाव के, जब पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था.
मतदान से पहले मजबूत हुआ बीजेपी का यादव कुनबा!
राकेश रौशन ने राघोपुर से एनडीए प्रत्याशी सतीश कुमार यादव को चुनाव जिताने की अपील की. उन्होंने कहा कि राघोपुर में करीब 55 हजार कृष्णौत यादव हैं, लेकिन उन्हें राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में सम्मान नहीं मिला है. उन्होंने सतीश कुमार यादव को अपना चाचा बताते हुए कहा कि सीट उनके घर में है, क्योंकि सतीश कुमार यादव भी यादव कुल से हैं. उन्होंने आगे कहा कि राजद ने वैशाली से एक भी कृष्णौत को टिकट नहीं दिया. एक सुबोध राज जी को MLC का चुनाव लड़ाकर साजिश के तहत हरवा दिया गया, क्योंकि वो कृष्णौत यादव थे.
राघोपुर में कितना काम करेगा चिराग फैक्टर!
आपको बता दें कि यह क्षेत्र वैशाली जिले में आता है. वहीं लोकसभा सीट की बात करें तो वो हाजीपुर का हिस्सा है. वैसे तो लालू परिवार मूल रूप से सारण का रहने वाला है, लेकिन चुनावी सीट की बात करें तो राघोपुर उनकी पैतृक सीट है. राघोपुर 1951 से ही अस्तित्व में है, लेकिन इस राष्ट्रीय पहचान मिली 1995 में जब दो बार सोनपुर से जीत चुके लालू यादव ने यहां से चुनाव लड़ने का फैसला किया.
जिला वैशाली और हाजीपुर दोनों लोकसभा क्षेत्र हैं. दोनों वैशाली जिले के ही लोकसभा क्षेत्र हैं. दोनों ही सीटों पर NDA का कब्जा है. वैशाली से जहां वीणा देवी सांसद हैं, तो हाजीपुर से चिराग पासवान सांसद और मंत्री हैं. यहां तेजस्वी के लिए राह आसान नहीं होने वाली है क्यों हाजीपुल लोकसभा सीट के अंदर आने वाली राघोपुर विधानसभा मेेें चिराग का भी काफी जनाधार है.
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राघोपुर सीट पर यादवों के बाद SC (अनुसूचित जाति) मतदाताओं की अच्छी खासी उपस्थिति है. राजपूत वोटर भी यहां अच्छी-खासी संख्या में हैं. इन्हीं समीकरणों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने अपने पुराने, कद्दावर और स्थानी चेहरे सतीश कुमार यादव को तेजस्वी के सामने उतारा है. उन्होंने 2010 में जदयू उम्मीदवार के रूप में राबड़ी देवी जैसी मजबूत शख्सियत को हरा दिया था, लेकिन तेजस्वी पिछले दो बार से इस सीट पर जीतते आ रहे हैं. सतीश कुमार के जरिए एनडीए की कोशिश है कि राघोपुर में यादव वोटों को अपने पाले में किया जाए.
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