'एक बार का दोस्त, हमेशा के लिए दोस्त...', बिहार चुनाव से पहले PM मोदी संग दोस्ती को याद कर रहे शत्रुघ्न सिन्हा, क्या 'घर वापसी' की है तैयारी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर उन्हें बधाई देने वालों में शत्रुघ्न सिन्हा का संदेश सबसे चर्चित रहा. सिन्हा ने सोशल मीडिया पर मोदी संग तस्वीर साझा कर लिखा, “एक बार का दोस्त, हमेशा के लिए दोस्त.” उनके इस बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं क्योंकि मोदी के चलते ही उन्होंने 2019 में बीजेपी से नाता तोड़ कांग्रेस का दामन थामा था और अब टीएमसी से सांसद हैं.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस मौके पर उन्हें देश के दुनियभर के तमाम बड़े नेता उन्हें बधाई दे रहे हैं. इन सबके बीच अभिनेता से नेता बने टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने भी अपने सोशल मीडिया एक्स एकाउंट पर प्रधानमंत्री संग अपनी तस्वीर को साझा करते हुए बधाई संदेश दिया है. उन्होंने में लिखा, 'एक बार का दोस्त, हमेशा के लिए दोस्त' इस संदेश ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है.
Wishing our friend & friend of the society hon'ble PM @narendramodi many many happy returns of the day. May God bless you in abundance with happiness, peace, joy, great well-being & a healthy long life ahead always.💐#BirthdayWishes pic.twitter.com/4qCIZj0WRr
— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) September 17, 2025
टीएमसी (TMC) सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अपने सोशल मीडिया एक्स पर दो पोस्ट किए. एक पोस्ट में पीएम मोदी और उनके परिवार की मुलाक़ात की तस्वीर थी. इसके कैप्शन में पीएम मोदी ने लिखा, 'हमारे मित्र और समाज के मित्र माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएँ. ईश्वर आपको सदैव सुख, शांति, आनंद, उत्तम स्वास्थ्य और स्वस्थ दीर्घायु प्रदान करें.' इसी तरह दूसरे पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'एक बार का दोस्त, हमेशा के लिए दोस्त'.
Once a friend always a friend indeed!!! pic.twitter.com/RyVIU44GpP
— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) September 17, 2025
क्या बीजेपी शत्रुता खत्म कर रहे हैं शत्रुघ्न?
शत्रुघ्न सिन्हा और नरेंद्र मोदी दोनों ने राजनीति की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से की थी. दोनों ही आडवाणी खेमे से जुड़े माने जाते थे. वाजपेयी सरकार में शत्रुघ्न सिन्हा केंद्रीय मंत्री भी रहे. लेकिन 2013 में जब बीजेपी ने मोदी को प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनाने की तैयारी शुरू की, तब शत्रुघ्न सिन्हा ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा था कि मोदी को आगे बढ़ने के लिए आडवाणी और वरिष्ठ नेताओं का आशीर्वाद लेना होगा. इसी बयान से दोनों नेताओं के बीच दूरी शुरू हो गई. 2014 में भले ही उन्होंने मोदी की तारीफ की और एनडीए की सरकार बनी, लेकिन उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिली. धीरे-धीरे पार्टी में उनकी भूमिका कम होती गई और 2019 में उन्होंने बीजेपी छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया और बाद टीएमसी से जुड़ गए.
शत्रु के बदलते तेवर के क्या है मायने?
शत्रुघ्न सिन्हा की सियासी यात्रा हमेशा विरोधाभासों से भरी रही है. कभी मोदी की जमकर तारीफ की तो कभी उन पर निशाना साधा. 2015 के बिहार चुनाव के बाद उन्होंने कहा था कि अगर जीत की तालियां कप्तान को मिलती हैं तो हार की जिम्मेदारी भी कप्तान की होती है. यही तेवर उन्हें लगातार बीजेपी नेतृत्व से दूर ले गए. कांग्रेस और फिर टीएमसी में भी उन्हें वैसी तवज्जो नहीं मिली जैसी बीजेपी में मिला करती थी. यही वजह है कि उनके हालिया बयान को लेकर कयास तेज हो गए हैं कि क्या वह फिर से बीजेपी का रुख करेंगे.
चुनाव से पहले बड़ा संकेत
बिहार चुनाव से ठीक पहले शत्रुघ्न सिन्हा का मोदी को दोस्त बताना कई संकेत छोड़ रहा है. सियासी विशेषज्ञ मानते हैं कि यह केवल शुभकामना भर नहीं है, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक संदेश भी छिपा हो सकता है. उनके सोशल मीडिया पोस्ट पर कई यूजर्स ने भी पूछा कि क्या अब ‘घर वापसी’ का समय आ गया है?
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बता दें कि सियासत में यह कहना मुश्किल है कि कब कौन-सा कदम नई दिशा ले ले. शत्रुघ्न सिन्हा ने मोदी संग दोस्ती को फिर से याद दिला दी है. सवाल यही है कि क्या यह केवल पुरानी यादों का जिक्र है या फिर बीजेपी में वापसी की तैयारी? ऐसे में आब आने वाले दिनों में यह साफ़ होगा कि ये संदेश सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित था या जो मायने लगाए जा रहे हैं वो सच साबित होंगे.
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