'चाहे लाख दे लो गाली लेकिन...', CM नीतीश के भाषण पर भड़कीं रोहिणी, बोलीं- ताली सिर्फ तेजस्वी के लिए बजेगी
आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्या ने लगभग दस दिन की नाराज़गी के बाद अपने भाई तेजस्वी यादव को राहत दी है. तेजस्वी की बिहार अधिकार यात्रा के दौरान बस की अगली सीट पर बैठे संजय यादव की फ़ोटो के बाद विवाद शुरू हुआ था. इसके बाद रोहिणी ने पार्टी और परिवार को एक्स पर अनफॉलो कर दिया था. लेकिन तेजस्वी द्वारा बहन की कुर्बानी को भावुक होकर याद करने के बाद रोहिणी ने कर साफ कहा कि 'चाहे लाख गाली दे दो, ताली तो तेजस्वी के लिए ही बजेगी.'
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बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो रही है. इसी बीच आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव के परिवार में चल रही आंतरिक कलह चर्चा में है. तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से बाहर किए जाने के बाद अब लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्या ने भी बीते दिनों पार्टी और परिवार के कुछ करीबियों पर निशाना साधा था. लेकिन शनिवार को हालात बदलते दिखे जब रोहिणी ने अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव के लिए खुलकर समर्थन जताया और सोशल मीडिया पर अपने गुस्से को अलग तरीके से व्यक्त किया.
नीतीश कुमार पर निशाना
रोहिणी ने शनिवार ने अपने सोशल मीडिया के एक्स पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाषण का एक वीडियो साझा किया, जिसमें नीतीश कुमार चारा घोटाले का जिक्र करते हुए लालू यादव और राबड़ी देवी का नाम लेते नजर आए. रोहिणी ने इस वीडियो के साथ लिखा कि बिहार की जनता गंदी बोली का हिसाब लेने को तैयार है और उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार सिर्फ और सिर्फ भाई तेजस्वी के लिए ही ताली बजेगी. दरअसल, रोहिणी आचार्य द्वारा बगावती सुर अपनाए जाने के दस दिन बाद तेजस्वी ने अपनी बहन को लेकर बयान दिया था. शुक्रवार उन्होंने रोहिणी को लेकर कहा था कि दीदी ने उन्हें पाला-पोसा है, बड़ा किया है और पापा को किडनी दी है. तेजस्वी के इस बयान के बाद रोहिणी के ट्वीट ने भाई-बहन के रिश्ते में फिर से सामंजस्य की उम्मीद जगाई है.
पहले तेज प्रताप के पक्ष में दिया था बयान
बड़े भाई तेज प्रताप यादव ने इस विवाद में रोहिणी का खुलकर समर्थन किया था और कहा कि बहन का अपमान करने वालों पर उनका सुदर्शन चक्र चलेगा. हालांकि तेज प्रताप अब परिवार और पार्टी से बाहर हैं, इसलिए फिलहाल उनसे सुलह की संभावना नहीं दिखाई दे रही. उन्होंने अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल का चुनाव चिह्न ब्लैकबोर्ड पर दिखा दिया है, जिसमें लालू यादव का नाम शामिल नहीं है. रोहिणी का समर्थन तेजस्वी के लिए एक राजनीतिक संदेश भी देता है. बिहार में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह परिवारिक खटपट और सुलह की घटनाएं पार्टी की स्थिति और मतदाताओं के बीच संदेश पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. लालू यादव के परिवार में यह हलचल और बहस चुनावी रणनीति और पार्टी की छवि पर भी असर डाल सकती है.
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बिहार की राजनीति में लालू परिवार की आंतरिक खटपट और भाई-बहन के रिश्तों में उठापटक ने इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है. रोहिणी आचार्या का तेजस्वी के लिए खुला समर्थन और सोशल मीडिया पर उनकी प्रतिक्रिया बताती है कि परिवार और राजनीति के बीच संतुलन बनाए रखना इस वक्त बेहद चुनौतीपूर्ण है. बिहार के मतदाता और राजनीतिक जानकार इस पर नजर बनाए हुए हैं कि आगामी दिनों में यह खटपट कैसे समाप्त होती है और चुनाव के परिणामों पर इसका क्या असर पड़ता है.
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