कई किलोमीटर तक दौड़ाया, बॉडीगार्ड हुआ घायल... बिहार सरकार में मंत्री श्रवण कुमार पर जानलेवा हमला, जानें पूरा मामला
बिहार चुनावी माहौल के बीच नालंदा से बड़ी खबर आई है. हिलसा थाना क्षेत्र के मलावां गांव में ग्रामीणों ने जेडीयू नेता और मंत्री श्रवण कुमार के काफिले पर हमला कर दिया, जिसमें एक बॉडीगार्ड घायल हो गया. मंत्री सड़क हादसे में मारे गए 9 लोगों के परिजनों से मिलने पहुंचे थे. आक्रोशित ग्रामीणों ने करीब एक किलोमीटर तक काफिले का पीछा किया. फिलहाल गांव में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात है.
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बिहार में विधानसभा चुनाव का माहौल धीरे-धीरे गरमाने लगा है. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही मोर्चा संभाल चुके हैं. एक ओर एनडीए अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत है, तो दूसरी ओर इंडिया ब्लॉक भी किसी तरह की ढिलाई दिखाने को तैयार नहीं है. चुनावी मौसम में नेताओं के दौरे, बयानबाजी और रैलियों का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है. इस बीच नालंदा जिले से चौंकाने वाली खबर सामने आई है. जहां जिले में ग्रामीणों ने नीतीश कुमार सरकार में मंत्री और जेडीयू नेता श्रवण कुमार के काफिले पर हमला कर दिया, जिसमें बॉडीगार्ड घायल हो गए हैं.
मंत्री को लोगों ने क्यों घेरा?
यह मामला हिलसा थाना क्षेत्र के मलावां गांव का है. यहां ग्रामीण विकास मंत्री सड़क हादसे में जान गंवाने वाले 9 मृतकों के परिवार से मिलने पहुंचे थे. मुलाकात के दौरान अचानक स्थानीय लोगों ने मंत्री के काफिले पर हमला बोल दिया. भीड़ के आक्रोश का आलम यह था कि ग्रामीणों ने करीब एक किलोमीटर तक गाड़ियों का पीछा किया. फिलहाल, गांव में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. दो दिन पहले हुए सड़क हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई थी. इसी घटना के बाद मृतकों के परिजनों से संवेदना व्यक्त करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार और स्थानीय विधायक प्रेम मुखिया मलावां गांव पहुंचे थे. करीब आधे घंटे तक वहां रहने के बाद जब दोनों नेता लौट रहे थे, तभी नाराज ग्रामीणों ने अचानक काफिले पर धावा बोल दिया. घटना के बाद मंत्री और विधायक किसी तरह वहां से सुरक्षित निकल पाए. इस दौरान कई सुरक्षाकर्मी घायल हो गए. सूचना मिलते ही आसपास के कई थानों की पुलिस गांव में पहुंच गई और पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है.
शोक व्यक्त करते पहुंचे थे मंत्री
नालंदा की इस घटना पर ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि हादसे में जीविका समूह से जुड़ी महिलाओं की मौत हुई थी. उसी दुखद घटना के बाद मैं वहां पहुंचा था. सरकार की ओर से जो सहायता दी जानी है, उसकी व्यवस्था सुनिश्चित कर रहा था. मेरा मकसद केवल परिजनों के दुख में साझेदार बनना था. लेकिन अगर कुछ लोगों को नाराजगी थी तो इसकी जानकारी मुझे नहीं थी.
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फिलहाल इस घटना ने चुनावी सरगर्मी के बीच सियासी हलचल तेज कर दी है. एक ओर जहां विपक्ष इसे जनता के गुस्से की आवाज बता रहा है, वहीं सत्ता पक्ष इसे कुछ लोगों की नाराजगी का नतीजा मान रहा है. आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में इस घटना के असर पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी.
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