नरम पड़े पप्पू यादव के तेवर... तेजस्वी यादव को बताया जननायक, राहुल गांधी की तारीफों के भी बांधे पुल
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इंडिया ब्लॉक की वोटर अधिकार यात्रा पूर्णिया पहुंची. यहां सांसद पप्पू यादव ने राहुल गांधी की मौजूदगी में तेजस्वी यादव को बिहार का जननायक बताया. इससे पप्पू और तेजस्वी के बीच की पुरानी खटास खत्म होने के संकेत मिले.
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बिहार में विधानसभा चुनाव का माहौल धीरे-धीरे गरमाने लगा है. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही मोर्चा संभाल चुके हैं. एक ओर एनडीए अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत है तो दूसरी ओर इंडिया ब्लॉक भी किसी तरह की ढिलाई दिखाने को तैयार नहीं है. चुनावी मौसम में नेताओं के दौरे, बयानबाजी और रैलियों का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है. इस बीच पूर्णिया से एक ऐसी राजनीतिक तस्वीर सामने आई है जिसने बिहार की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है.
नरम पड़े पप्पू यादव के तेवर
दरअसल, पूर्णिया में इंडिया ब्लॉक की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान सांसद पप्पू यादव और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की नजदीकी ने सबका ध्यान खींच लिया. लंबे समय से दोनों नेताओं के बीच चली आ रही खटास इस रैली में मानो खत्म होती दिखाई दी. पूर्णिया की इस यात्रा में पप्पू यादव का भाषण बेहद चर्चा में रहा. राहुल गांधी की मौजूदगी में पप्पू यादव ने तेजस्वी यादव को बिहार का "जननायक" कहकर संबोधित किया. यह बयान अपने आप में बेहद अहम माना जा रहा है. क्योंकि बीते लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव और आरजेडी के बीच खासी दूरी देखने को मिली थी.
तेजस्वी के लिए पप्पू यादव ने क्या कहा?
पप्पू यादव ने सभा में कहा, “क्रांति के प्रतीक, नफरत और आतंक को मिटाने का नाम क्या है. इंसानियत का पैगाम कौन है. मोहब्बत का दूत कौन है. बिहार की उम्मीद कौन है. हमारे जननायक तेजस्वी यादव हैं जो लगातार बिहार के लिए संघर्ष कर रहे हैं.” उनके इस बयान से साफ है कि अब वह तेजस्वी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए तैयार दिख रहे हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने राहुल गांधी की भी खुलकर प्रशंसा की और कहा कि जब तक राहुल गांधी देश में हैं तब तक इंसानियत और लोकतंत्र सुरक्षित है.
देश के युगांतकारी महायोद्धा राहुल गांधी जी के
— Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) August 24, 2025
समक्ष अपने लोगों के बीच अपने दिल का उद्गार
आज भारत तथा इसके संविधान और आम
आवाम के हक तथा सम्मान की रक्षा सिर्फ़
राहुल गांधी जी ही कर सकते हैं! अपने नेता
और अपनी आवाम के लिए सबकुछ कुर्बान!
जनता का शोर, वोट चोर गद्दी छोड़ pic.twitter.com/Jon24syN3v
राहुल गांधी के सामने एकजुटता का संदेश
पूर्णिया की रैली में जिस तरह से पप्पू यादव ने तेजस्वी यादव और राहुल गांधी दोनों की तारीफ की, उसे विपक्षी एकजुटता की दिशा में बड़ा संकेत माना जा रहा है. उन्होंने कहा कि किसानों, युवाओं, छात्रों, आदिवासियों, गरीबों, पलायन और रोजगार की लड़ाई कौन लड़ रहा है. और इस लड़ाई की आवाज तेजस्वी यादव और राहुल गांधी हैं. पप्पू यादव ने साफ कहा कि 93 फीसदी ईबीसी, एससी-एसटी और अल्पसंख्यकों की आवाज राहुल गांधी हैं. उन्होंने दावा किया कि जब तक राहुल गांधी राजनीति में सक्रिय रहेंगे तब तक संविधान और लोकतंत्र पर कोई खतरा नहीं आएगा.
क्यों है यह मुलाकात अहम
इस पूरी घटना का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव को न तो आरजेडी से टिकट मिला और न ही कांग्रेस से. जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरकर जीत दर्ज की थी. इस दौरान उन्होंने राजद उम्मीदवार बीमा भारती को हराया था. यही वजह थी कि तेजस्वी और पप्पू के बीच तनाव बना हुआ था. लेकिन पूर्णिया में हुई वोटर अधिकार यात्रा के मंच पर दोनों नेताओं की एकजुटता ने यह संकेत दिया कि बिहार की राजनीति में समीकरण बदल सकते हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्ष का गठजोड़ और मजबूत हो सकता है.
एनडीए बनाम इंडिया ब्लॉक की जंग
बिहार में इस बार का चुनाव दिलचस्प होने वाला है. एक ओर एनडीए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में सत्ता बचाने की कोशिश में है तो दूसरी ओर इंडिया ब्लॉक तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के नेतृत्व में आक्रामक दिख रहा है. पप्पू यादव जैसे नेताओं का साथ मिलना विपक्ष के लिए अतिरिक्त ताकत साबित हो सकता है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पप्पू यादव का जनाधार खासकर सीमांचल क्षेत्र में मजबूत है. ऐसे में अगर वे तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के साथ पूरी तरह खड़े हो जाते हैं तो विपक्ष को बड़ा फायदा मिल सकता है.
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गौरतलब है कि बिहार की राजनीति हमेशा से बदलाव और उतार-चढ़ाव के लिए जानी जाती रही है. पूर्णिया की वोटर अधिकार यात्रा ने इस बार यह साबित कर दिया कि चुनाव से पहले सियासी समीकरण किसी भी वक्त बदल सकते हैं. पप्पू यादव और तेजस्वी यादव की नजदीकी जहां विपक्षी गठबंधन के लिए मजबूती का संदेश देती है वहीं एनडीए के लिए यह एक नई चुनौती भी है. ऐसे अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में यह नजदीकी कितनी मजबूत होती है और क्या सचमुच यह गठबंधन बिहार की राजनीति में सत्ता परिवर्तन का आधार बनेगा या फिर यह महज एक चुनावी रणनीति साबित होगी. लेकिन इतना तय है कि पूर्णिया की रैली ने इस चुनावी संग्राम में नया मोड़ जरूर ला दिया है.
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