बिहार चुनाव के लिए नामांकन शुरू, फिर भी महागठबंधन में चल रही रार, अपनी जिद पर अड़ी कांग्रेस और आरजेडी
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में सीट शेयरिंग का फैसला अभी तक नहीं हुआ है. कांग्रेस 60 सीटों की मांग पर अड़ी है, जबकि राजद 55 से अधिक देने को तैयार नहीं है. कांग्रेस क्वालिटी जीतने योग्य सीटों की मांग कर रही है और राजद ने अब 55 सीटें देने का प्रस्ताव रखा है.
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बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और उम्मीदवार अब अपने चुनावी पर्चे दाखिल करने लगे हैं. सत्तारूढ़ एनडीए ने सीटों के बंटवारे के बाद अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा शुरू कर दी है. वहीं, विपक्षी महागठबंधन में अब तक सीट शेयरिंग पर कोई अंतिम फैसला नहीं हो पाया है. सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या राजद और कांग्रेस का साथ इस बार भी बरकरार रहेगा.
कांग्रेस अड़ी हुई है 60 सीटों पर
बिहार के राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस 60 सीटों से नीचे नहीं जाने को तैयार है, जबकि आरजेडी 55 सीटों से अधिक देने के पक्ष में नहीं है. पिछली बार कांग्रेस के चुनावी प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए राजद यह मान रही है कि अधिक सीट देने का औचित्य नहीं बनता. दूसरी ओर, कांग्रेस ने राहुल गांधी की यात्रा में उमड़ी भीड़ को आधार बनाकर अधिक सीटों की मांग पर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि महागठबंधन में नए दल शामिल हुए हैं तो सीटों की कुर्बानी सिर्फ कांग्रेस क्यों दे? उनका उद्देश्य क्वांटिटी नहीं, बल्कि क्वालिटी सीट लेना है. कांग्रेस अपनी जीत सुनिश्चित करने वाली सीटों की मांग कर रही है. राजद ने पहले 52 सीटों का ऑफर दिया था जिसे कांग्रेस ने ठुकरा दिया. इसके बाद राजद 55 सीट देने को तैयार है.
दिल्ली में हुई असफल कोशिशें
बिहार कांग्रेस के नेताओं के साथ कई दौर की बैठक के बावजूद कोई नतीजा नहीं निकल सका. तेजस्वी यादव दिल्ली में राहुल गांधी से मिलने पहुंचे, लेकिन समय नहीं मिलने के कारण बैठक नहीं हो पाई. इस बीच, कोर्ट ने तेजस्वी यादव को आईआरसीटीसी घोटाले में आरोपी बना दिया, जिससे कांग्रेस के रुख में और सख्ती आ गई. फोन पर हुई बातचीत में भी सीट बंटवारे को लेकर कोई समझौता नहीं हो पाया. कांग्रेस ने अब तक तेजस्वी यादव को महागठबंधन में मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं माना है. इसके बावजूद कांग्रेस ने अपने 76 उम्मीदवारों की स्क्रूटनी पूरी कर ली है और जल्द ही अपने टिकट बांटना शुरू करेगी.
तेजस्वी का रुख और लेफ्ट की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, पिछले पांच दिनों से तेजस्वी यादव बिहार में कांग्रेस के नेताओं से बातचीत नहीं कर रहे हैं. महागठबंधन में सीटों के बंटवारे के निर्णय के बिना ही लेफ्ट पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों को टिकट बांटना शुरू कर दिया है. सीपीआईएमएल के कई उम्मीदवार मंगलवार को अपने पर्चे दाखिल कर चुके हैं. दिल्ली में कांग्रेस की सीइसी की बैठक में कुछ उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगी, लेकिन महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर कोई ठोस चर्चा नहीं हुई. अब बिहार कांग्रेस के नेता फिर से पटना लौट रहे हैं और उनका उद्देश्य है कि वहां अंतिम रूप से सीटों का बंटवारा निपटाया जाए.
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बताते चलें कि बिहार की सियासत में महागठबंधन की सीट शेयरिंग अब भी सस्पेंस में है. राजद और कांग्रेस के बीच खींचतान जारी है और जनता की नजरें अब पटना में होने वाली बैठकों पर टिकी हैं. अगर राजद और कांग्रेस समझौता नहीं कर पाए, तो महागठबंधन की एकता पर बड़ा सवाल खड़ा हो सकता है. बिहार चुनाव में इस समीकरण का असर प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलेगा.
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