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बिहार चुनाव से पहले NDA की बड़ी तैयारी... 55 विधानसभाओं में 18 सितंबर से शुरू होगा कार्यकर्ता सम्मलेन

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी सत्ताधारी एनडीए गठबंधन अब अपने कार्यकर्ताओं के जोश भरने के लिए पांचवें चरण के विधानसभावार कार्यकर्ता सम्मेलन का आगाज करने जा रही है. जो 18 सितंबर से शुरू होगी.

14 Sep, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
02:53 AM )
बिहार चुनाव से पहले NDA की बड़ी तैयारी...  55 विधानसभाओं में 18 सितंबर से शुरू होगा कार्यकर्ता सम्मलेन
DILIP JAISWAL (FILE PHOTO)

बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं. हर ओर राजनीति की हलचल है और सभी दल जनता को लुभाने के लिए मैदान में उतर चुके हैं. इसी कड़ी में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने अपने पांचवें चरण के कार्यकर्ता सम्मेलन का ऐलान किया है. यह सम्मेलन 18 सितंबर से शुरू होकर 23 सितंबर तक चलेगा. इस दौरान कुल 55 विधानसभाओं में कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगेगा.

पटना स्थित जदयू प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान एनडीए के घटक दलों के प्रदेश अध्यक्षों ने यह जानकारी साझा की. जदयू अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि बिहार की जनता का भरोसा एनडीए के साथ है और इस बार का माहौल ऐसा है कि गठबंधन सभी 243 सीटों पर जीत दर्ज कर सकता है. उनका दावा है कि एनडीए की नीतियों और कार्यशैली ने लोगों का विश्वास मजबूत किया है और यह चुनाव उसी भरोसे को और पुख्ता करने का समय है.

महिला सशक्तीकरण बनेगी एनडीए की ताकत

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने प्रेस वार्ता में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में महिला सशक्तीकरण की ऐसी मिसाल बनी है, जिसे देश भर में सराहा जा रहा है. उन्होंने बताया कि एनडीए के कार्यक्रमों में आधी से अधिक भागीदारी महिलाओं की होती है. यह इस बात का प्रमाण है कि योजनाओं का असर सीधा गांव-गांव तक पहुंचा है.
महिला आरक्षण, स्वावलंबन और शिक्षा के क्षेत्र में उठाए गए कदम अब एनडीए की राजनीतिक पूंजी बन चुके हैं. यही वजह है कि सम्मेलन में महिलाओं की उपस्थिति नेताओं को नई ऊर्जा देती है.

मिशन 2025 पर नजर

एनडीए इस चुनाव को केवल जीत की रणनीति से नहीं देख रहा है, बल्कि इसे "मिशन 2025" की दृष्टि से भी जोड़ रहा है. अब तक चार चरणों में गठबंधन ने 141 विधानसभा क्षेत्रों में सम्मेलन कर लिया है. चौथे चरण की समाप्ति तक यह संख्या 154 तक पहुंच जाएगी. नेताओं का कहना है कि इन सम्मेलनों का मुख्य उद्देश्य कार्यकर्ताओं को चुनावी जंग के लिए तैयार करना और जनता तक सरकार की उपलब्धियों को पहुंचाना है.
पार्टी का दावा है कि इन सम्मेलनों से कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ा है और गांव-गांव तक संगठन की पकड़ मजबूत हो रही है.

तेजस्वी यादव पर किया ज़ुबानी हमला

जदयू के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार ने इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर भी सीधा हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि राजद अपराध की राजनीति को बढ़ावा दे रहा है. सिवान जिले के सिसवन में हाल ही में लाली यादव की हत्या का हवाला देते हुए नीरज कुमार ने कहा कि यह घटना बताती है कि राजद के लोग अपराध से जुड़े हुए हैं.
उन्होंने कहा कि लाली यादव पर हत्या समेत कुल 38 मामले दर्ज थे और इसी के बावजूद तेजस्वी यादव उनके परिवार से मिलने पहुंचे. जदयू प्रवक्ता के अनुसार यह अपराधियों को संरक्षण देने की राजनीति है.

चुनावी समीकरण और जनता की नब्ज

बिहार का चुनाव हमेशा से खास माना जाता है क्योंकि यहां का राजनीतिक गणित अक्सर अप्रत्याशित परिणाम देता है. इस बार भी मुकाबला कड़ा होने वाला है. एनडीए जहां महिला सशक्तीकरण, सुशासन और विकास कार्यों को मुद्दा बना रहा है, वहीं विपक्ष बेरोजगारी, महंगाई और कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाकर जनता का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहा है.
विशेषज्ञों का मानना है कि 55 विधानसभाओं में होने वाले सम्मेलन एनडीए के लिए अहम साबित हो सकते हैं. यह केवल संगठन की मजबूती का संदेश नहीं देगा, बल्कि कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर सक्रिय करने का भी काम करेगा.

जनता का उत्साह और नेताओं की चुनौती

सम्मेलन की खबर जैसे ही सामने आई, कार्यकर्ताओं में उत्साह की लहर दौड़ गई. गांवों से लेकर कस्बों तक कार्यकर्ता इसमें शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं. एनडीए नेता मानते हैं कि जनता का यह समर्थन चुनावी नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाएगा.हालांकि चुनौतियां भी कम नहीं हैं. विपक्ष लगातार एनडीए की नीतियों पर सवाल खड़े कर रहा है और जनता के सामने अपनी तरफ से बेहतर विकल्प पेश करने का प्रयास कर रहा है. ऐसे में एनडीए को न केवल अपनी उपलब्धियों को गिनाना होगा बल्कि जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने का भरोसा भी दिलाना होगा.

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बताते चलें कि 18 सितंबर से शुरू हो रहे इस पांचवें चरण के कार्यकर्ता सम्मेलन को एनडीए बेहद गंभीरता से ले रहा है. यह सिर्फ चुनावी रणनीति का हिस्सा नहीं है, बल्कि आने वाले समय में बिहार की राजनीति की दिशा तय करने वाला कदम माना जा रहा है. महिला सशक्तीकरण, संगठन की मजबूती और विपक्ष पर तीखे हमले यही एनडीए की फिलहाल की रणनीति है. अब देखने वाली बात होगी कि क्या यह सम्मेलन सचमुच 2025 तक का रास्ता साफ करेगा या फिर विपक्ष अपनी रणनीति से जनता को अपनी ओर खींचने में कामयाब होगा. बिहार की सियासत में आने वाले कुछ दिन बेहद अहम साबित होने वाले हैं.

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