विधायकों की होगी अग्निपरीक्षा, नए चेहरों को मिलेगा मौका.... बिहार चुनाव से पहले टिकट बंटवारे को लेकर JDU का मास्टर प्लान तैयार
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू अपने विधायकों और संभावित उम्मीदवारों का मूल्यांकन कर रही है. पार्टी सर्वे और स्क्रीनिंग के जरिए विधायकों की जमीनी ताकत और पिछले कार्यों की जांच कर रही है. रिपोर्ट संतोषजनक नहीं होने पर कुछ विधायकों का पत्ता साफ हो सकता है. पार्टी नए चेहरों को अवसर देना चाहती है और पिछली बार 115 सीटों में से केवल 43 जीत हासिल हुई थी. वर्तमान में विधायकों की संख्या 45 है.
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बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अब गिनती के दिन रह गए है. ऐसे में अब चुनाव की तैयारियों में जुटे राज्य के सियासी दलों में टिकट बंटवारें को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. इस बेच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जेडीयू अपने मौजूदा विधायकों के कार्यों का मूल्यांकन करने वाली है. इससे यह बात तो साफ है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व रिपोर्ट कार्ड के आधार पर ही अपने विधायकों का टिकट दोहराएगी.
दरअसल, बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू ने अपने विधायकों और संभावित उम्मीदवारों की कड़ी जांच करने का प्लान बनाया है. पार्टी अपने विधायकों की जमीनी ताकत और पिछले कार्यों का मूल्यांकन करने पर विचार कर रही है. यही नहीं, जिन विधायकों की रिपोर्ट संतोषजनक नहीं होगी, उनके लिए आगे की राह कठिन हो सकती है और उनका पत्ता साफ भी हो सकता है. पार्टी के अंदर यह चर्चा भी है कि 2020 में टिकट वितरण में एक बड़े और प्रभावशाली नेता के हस्तक्षेप से नुकसान हुआ था, जिसे अब दोहराया नहीं जाना है.
संभावित उम्मीदवारों की होगी स्क्रीनिंग
जेडीयू पिछले चुनावों में उम्मीदवारों के साथ-साथ संभावित नए दावेदारों की भी गहन जांच कर रही है. पार्टी कई क्षेत्रों में नए चेहरों को मौका देना चाहती है, इसलिए पुराने उम्मीदवारों में से कई इस बार टिकट नहीं पा सकते हैं. प्रत्येक सीट पर संभावित उम्मीदवारों की भी स्क्रीनिंग की जा रही है, ताकि योग्य और मजबूत उम्मीदवार ही आगे बढ़ें.
पिछली हार से सीख लेगी पार्टी
पिछली बार जेडीयू ने 115 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से केवल 43 जीत पाए थे. बाद में बसपा के जमा खान और लोजपा के राजकुमार सिंह ने पार्टी की सदस्यता लेकर विधायकों की संख्या बढ़ाई और अब यह 45 हो गई है. पार्टी को 2015 की तुलना में 28 सीटों और डेढ़ फीसदी वोटों का नुकसान हुआ था. पार्टी मानती है कि पिछली बार टिकट बंटवारे में कुछ गड़बड़ हुई थी और कुछ गलत उम्मीदवार बिना स्क्रीनिंग के टिकट पा गए थे.
इस बार पार्टी का क्या है फोकस
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इस बार जदयू इस गलती को दोहराना नहीं चाहती. पुराने उम्मीदवारों की पूरी समीक्षा और नए दावेदारों की जांच के बाद ही टिकट वितरण होगा. पार्टी का फोकस स्पष्ट है, योग्य और मेहनती उम्मीदवारों को आगे लाना और चुनाव में मजबूती से जीत दर्ज करना. ऐसे में बिहार की राजनीति में जदयू का अगला कदम निर्णायक साबित होगा.
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