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बिहार के जिन 18 जिलों में पहले चरण में होंगे चुनाव वहां पिछली बार किसका पलड़ा था भारी, किसने मारी थी बाजी, जानें

Bihar Chunav: "Mother Of All Elections", बिहार की चुनावी रणभेरी बज चुकी है. दो चरणों में सभी 243 सीटों पर चुनाव करा लिए जाएंगे. पहले फेज में जिन 18 जिलों की 121 सीटों पर चुनाव होंगे वहां तगड़ा मुकाबला होने वाला है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि इन सभी सीटों पर पिछले विधानसभा चुनाव में किसका पलड़ा भारी रहा था और कौन मोमेंटम बनाने में कामयाब रहा था.

Created By: केशव झा
07 Oct, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
06:54 PM )
बिहार के जिन 18 जिलों में पहले चरण में होंगे चुनाव वहां पिछली बार किसका पलड़ा था भारी, किसने मारी थी बाजी, जानें

जिसे भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने मदर ऑफ ऑल इलेक्शन कहा उस बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज गया है. राज्य में दो चरणों में चुनाव होंगे. 6 नवंबर को 121 सीटों और 11 नवंबर को 122 सीटों पर वोटिंग होगी. वहीं 14 नवंबर को नतीजे आएंगे. चुनाव आयोग के इस ऐलान के साथ ही चुनावी पारा हाई हो गया है. सीट दर सीट आकलन और विश्लेषण हो रहे हैं. ऐसे में ये जान लेना जरूरी है कि पहले फेज में होने वाले 121 विधानसभा क्षेत्रों के मतदान में पिछली बार किसका पलड़ा भारी था और कहां कांटे की टक्कर देखने को मिली थी.

पहले चरण में 18 जिले, 121 सीटों पर होगी वोटिंग

बिहार विधानसभा की 121 सीटों पर पहले चरण में वोटिंग होगी. ये सभी क्षेत्र करीब 18 जिलों तक फैले हैं. पहला चरण ही सरकार बनाने, गिराने और मोमेेंटम सेट करने में अहम भूमिका निभाएगा. आपको बताएं कि 2020 के चुनाव मुकाबला कांटे का रहा था. यहां 6 जिलों में किसी भी गठबंधन को कोई भी बढ़त हासिल नहीं हुई थी.

चुनाव के ऐलान के साथ ही तमाम दलों की सक्रियता बढ़ गई है और सीट शेयरिंग को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है. पिछली बार की तरह इस बार भी मुख्य मुकाबला NDA और महागठबंधन के बीच है. बस परिस्थिति बस अलग है. पिछला चुनाव कोरोना और लॉकडाउन के बीच हुआ था. इस बार स्थिति ऐसी नहीं है. खुलकर प्रचार और संपर्क होगा. महागठबंधन ज्यादा हमलावर है, नीतीश की उम्र और सत्ता विरोधी लहर को भुनाने की कोशश करेगा. वहीं सत्ताधारी NDA नीतीश के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रहा है और इस बार ज्यादा एकजुट नजर आ रहा है. उसकी कोशिश है कि नीतीश के सुशासन बाबू की छवि और मोदी के ग्रैंड इमेज के सहारे इस बार भी सत्ता हासिल की जा सके.

महागठबंधन और NDA में कौन दल किसके साथ?

आपको बता दें कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन (राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया ब्लॉक) में राजद, कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी समेत कई वामपंथी दल शामिल हैं. वहीं सीएम नीतीश के नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतर रहे NDA में BJP, JDU, LNJPR, HAM, RLM सहित कई अन्य छोटे दल जुड़े हुए हैं. इस लिहाज से मुकाबला गठबंधन का है. जहां तक पिछले चुनावी नतीजों की बात है तो 2020 में एनडीए 125 सीटें जीतकर सत्ता में लौटा था वहीं महागठबंधन के खाते में 110 सीटें आई थीं और वह करीब 12 सीटों से सत्ता से बाहर रह गया.

18 जिलों की कौन रहा था भारी?

विधानसभा चुनाव 2025 में जिन 18 जिलों में चुनाव होने हैं वे हैं गोपालगंज, सीवान, बक्सर, सारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा, खगड़िया, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, नालंदा, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय और भोजपुर. इसी चरण में तेजस्वी यादव के अलावा उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा समेत कई हाई प्रोफाइल उम्मीदवारों की किस्मत EVM में बंद हो जाएगी.

साल 2020 के विधानसभा चुनाव में इस बार होने वाले पहले चरण में 121 सीटों के लिहाज से देखें तो महागठबंधन भारी रहा. उसने इन 121 में 61 सीटों पर जीत दर्ज की थी वहीं एनडीए को 59 सीटों से संतोष करना पड़ा था. एक सीट निर्दलीय ने जीती थीं.

राजधानी पटना में कौन था भारी?

पिछली बार हुए पहले चरण के चुनाव में पटना में सबसे ज्यादा (14) सीटें थी. यहां की 14 में से 9 सीटों पर महागठबंधन को जीत मिली थी, वहीं एनडीए को महज 5 सीटें ही मिली थीं. यानी कि जहां से सत्ता चलती है वहीं पर NDA पिछड़ गया था और विपक्ष ने बाजी मारी थी.

इसके बाद नंबर आता है मुजफ्फरपुर का. इस जिले में कुल 11 विधानसभा सीटें हैं. हालांकि यहां छोटी ही सही लेकिन NDA 6-5 के अंतर से महागठबंधन पर बढ़त बनाने में कामयाब रहा था.
 
वहीं समस्तीपुर, सारण और दरभंगा जिले में विधानसभा की 10-10 सीटें हैं. आंकड़ों पर नज़र डालें तो समस्तीपुर में मुकाबला कांटे का रहा और अंत में नतीजा बराबरी पर यानी कि 5-5 का रहा. इसके अलावा अगर बात सारण की करें तो यहां बीजेपी का सांसद होने के बावजूद बढ़त लालू यादव की रही और महागठबंधन के खाते में 10 में से 7 सीटें आईं. वहीं 3 सीटें एनडीए के खाते में गईं. 

मिथिला प्रक्षेत्र के तहत आने वाले दरभंगा की बात करें तो यहां एनडीए ने एक तरह से महागठबंधन का सफाया ही कर दिया. उसके खाते में 10 में से 9 सीटें आईं, जबकि विपक्ष को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा. वहीं वैशाली जिले में दोनों गठबंधनों को 4-4 सीटें आईं. जबकि सीवान में 8 में से 6 सीटों पर महागठबंधन को जीत मिली.

बक्सर में खाता भी नहीं खोल पाया NDA!

इसी तरह सीएम नीतीश के प्रभाव वाले नालंदा में एनडीए को 7 में से 6 सीटें मिलीं और उसकी बढ़त बरकरार रही. वहीं बेगूसराय की 7 में से 4 सीटों पर महागठबंधन जीतने में कामयाब रहा. भोजपुर की 7 में से 5 सीटें महागठबंधन की झोली में गईं. यहां भी उसका प्रदर्शन उम्दा रहा. NDA को महज 2 सीटें मिलीं. इसके अलावा बक्सर जिले में तो एनडीए का खाता ही नहीं खुल सका. यहां की सभी चार की चार सीटें महागठबंधन के खाते में गईं. हालांकि इस चरण में पिछड़ रहे NDA को गोपालगंज को 6 में से 4 सीटें आईं, जिसने उसे सांस लेने का मौका दिया.

अगर क्रक्स में आपको नतीजा बताएं तो 18 जिलों में मुकाबला बराबरी का रहा. महागठबंध और NDA ने 6-6 जिलों में बढ़त बनाई थी. वहीं 6 जिलों में मुकाबला बराबरी का रहा था. वैसे स्ट्राइक रेट के लिहाज से देखें तो महागठबंधन का जोरदार प्रदर्शन रहा. उसने बड़े जिलों में बेहतर प्रदर्शन किया वहीं, छोटे जिलों में NDA ने अच्छी फाइट की और मुकाबले में बनी रही. 

आपको बता दें कि बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों के लिए दो चरण में मतदान होंगे. चुनाव आयोग ने बताया कि 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान होंगे. वहीं, चुनावी नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. चुनाव आयोग ने मतदान के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए कई बदलाव किए हैं. अब प्रत्येक मतदान केंद्र पर 1,500 की बजाय 1,200 मतदाता मतदान कर सकेंगे, और राज्य भर में मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाएगी. चुनाव आयोग द्वारा कुल 90 हजार से अधिक मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे. सुरक्षा और सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की अतिरिक्त तैनाती की आवश्यकता होगी.

छठ पूजा को ध्यान में रखकर हुआ तारीखों का ऐलान

चुनाव आयोग ने कई राजनीतिक दलों की मांग स्वीकार करते हुए बिहार विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम छठ पूजा के बाद तय किया. कई पार्टियों ने मसलन जेडीयू ने चुनाव एक ही चरण में कराने की मांग की थी वहीं बीजेपी ने इसे दो चरणों में करवाने की मांग की थी. वहीं अगर पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो तीन चरणों में चुनाव हुए थे.

तीन चरणों में हुआ था पिछला चुनाव

आपको बता दें कि पिछला बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में तीन चरणों में हुआ था. 28 अक्टूबर 2020 को पहला चरण, 3 नवंबर 2020 को दूसरा चरण और 7 नवंबर 2020 को तीसरे चरण का चुनाव संपन्न हुआ थ. मतगणना 10 नवंबर 2020 को हुई थी. तब यानी कि 2020 का चुनाव तीन चरणों में कराना इसलिए जरूरी माना गया था क्योंकि शुरुआत में राज्य के कुछ हिस्सों में नक्सली और सुरक्षा संबंधी परेशानियां थीं.

जहां तक पिछले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी का सवाल है तो वह लगभग 58.7% रही थी जो 2015 के मुकाबले में ज्यादा थी. बिहार विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है.

बिहार में कुल 7.43 करोड़ मतदाता

मुख्य चुनाव आयुक्त ने बिहार में चुनाव और मतदाताओं को लेकर बेहद अहम जानकारी शेयर की है. निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में कुल 7.43 करोड़ मतदाता हैं. इनमें करीब 3.92 करोड़ पुरुष, 3.50 करोड़ महिला और 1,725 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं. वहीं 7.2 लाख दिव्यांग मतदाता और 4.04 लाख 85 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक भी वोटर सूची में हैं.

इसके अलावा 14 हजार शतायु मतदाता यानी 100 वर्ष या उससे अधिक आयु के नागरिक भी मतदान के पात्र हैं. आंकड़ों के अनुसार 1.63 लाख सर्विस वोटर्स, 1.63 करोड़ युवा मतदाता (20-29 वर्ष) और करीब 14.01 लाख प्रथम बार वोट देने वाले (18-19 वर्ष) मतदाता शामिल हैं. ये सभी आंकड़े 30 सितंबर 2025 तक के हैं.

कैसा रहा था पिछला चुनाव?

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2020 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों में, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने 125 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया था, जबकि महागठबंधन ने 110 सीटें जीती थीं. राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. यह चुनाव कोविड-19 महामारी के बाद आयोजित पहला बड़ा चुनावी अभ्यास होने के कारण उल्लेखनीय था, जिसमें 56.93 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था.

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