'दे दो केवल 15 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम...', जीतन राम मांझी का कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना, इशारों में दिया संदेश!
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए और महागठबंधन में खींचतान जारी है. HAM अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि उन्होंने अपनी मंशा बीजेपी को बता दी है और पार्टी को मान्यता दिलाने की कोशिश में हैं.
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Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद से राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. एनडीए और महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर पहले से ही खींचतान चल रही थी, लेकिन अब ये विवाद नए मोड़ पर पहुंच गया है. हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने सीटों की मांग को लेकर अपनी स्पष्ट स्थिति जाहिर की है और इसमें काव्यात्मक अंदाज भी दिखाई दिया है.
मांझी ने साफ किया रुख
जीतनराम मांझी ने एक नेशनल न्यूज चैनल से विशेष बातचीत में कहा कि चर्चा लगातार चल रही है और हमने अपनी मंशा बीजेपी को पहले ही बता दी है. उन्होंने स्पष्ट किया कि हमारी पार्टी को मान्यता प्राप्त नहीं है, और इसलिए चुनावी प्रक्रिया में हमें सही महत्व नहीं मिला. उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में शामिल न होने की वजह से हमें अपमानित महसूस हुआ.
HAM की 15 सीटों की मांग
मांझी ने जोर देकर कहा कि हमें इतनी सीटें चाहिए कि हमारी पार्टी को मान्यता प्राप्त पार्टी का दर्जा मिल सके. उन्होंने बताया कि 10 अक्टूबर को पटना में पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक बुलाई गई है, जिसमें पार्टी की रणनीति और सीटों के बंटवारे पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा. मांझी का कहना है कि इस बैठक के बाद सब कुछ साफ हो जाएगा और HAM अपने चुनावी एजेंडा को स्पष्ट रूप से सामने रखेगा.
काव्यात्मक अंदाज में रखी अपनी भावनाएं
मांझी ने अपनी भावनाओं को काव्यात्मक अंदाज में भी व्यक्त किया. उन्होंने ट्वीट किया, 'हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम, HAM वही खुशी से खाएंगे, परिजन पे असी ना उठाएंगे.' इस कविता में उन्होंने न्याय और सम्मान की मांग को खूबसूरती से पेश किया है.
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“हो न्याय अगर तो आधा दो,
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) October 8, 2025
यदि उसमें भी कोई बाधा हो,
तो दे दो केवल 15 ग्राम,
रखो अपनी धरती तमाम,
HAM वही ख़ुशी से खाएंगें,
परिजन पे असी ना उठाएँगे”
HAM हमेशा NDA का साथ देता रहा है
15 सीटों की मांग को लेकर मांझी ने कहा कि हम हर वक्त NDA का साथ देते हैं और यही NDA का फर्ज भी है कि हमारा अपमान न हो. उन्होंने बिना किसी का नाम लिए चिराग पासवान पर निशाना साधते हुए कहा कि छोटे दलों के नेताओं द्वारा अपनी भूमिका से बड़ा समझना गलत है. मांझी ने पिछले चुनाव का उदाहरण देते हुए बताया कि HAM को पिछली बार सात सीटें मिली थीं और चार सीटें जीतकर आए थे, जिससे उनका स्ट्राइक रेट लगभग 60% रहा. इसलिए इस बार HAM ने 15 सीटों की मांग की है.
NDA में सीट बंटवारे का पेच
जानकारी के अनुसार, NDA में बीजेपी और जेडीयू के बीच सीट बंटवारा लगभग तय माना जा रहा है. दोनों दलों को कुल 205 सीटों में लगभग बराबर हिस्सेदारी मिलने की संभावना है. लेकिन छोटे सहयोगियों जैसे HAM, LJP और RLSP की बढ़ती मांगों ने इस प्रक्रिया को जटिल बना दिया है.
मांझी की हालिया मुलाकातें
हाल ही में 5 अक्टूबर को बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, बिहार प्रभारी विनोद तावड़े और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने मांझी से मुलाकात की थी. इस मुलाकात में सीट बंटवारे पर चर्चा हुई और मांझी ने बताया था कि सब कुछ ठीक है और जल्द ही सीटें तय हो जाएंगी. लेकिन मांझी की 15 सीटों की मांग ने खेल को नया मोड़ दे दिया है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी हाल ही में मांझी और चिराग पासवान से फोन पर बात की थी. ये कदम सीट शेयरिंग विवाद को सुलझाने की कोशिश का हिस्सा था. अप्रैल 2025 में मांझी ने गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात कर सहयोगियों को सम्मानजनक सीटें देने का भरोसा दिलाया था.
छोटे दलों की मांग और चुनाव की रणनीति
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने LJP प्रमुख चिराग पासवान को 25 सीटें, HAM को 7 और उपेंद्र कुशवाहा की RLSP को 6 सीटें ऑफर की हैं. लेकिन मांझी 15 सीटों पर अड़े हुए हैं. अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो HAM ने 100 सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की चेतावनी भी दे दी है. जानकारी देते चलें कि HAM ने 2020 के विधानसभा चुनाव में सात सीट पर चुनाव लड़ा था और चार जीतकर आए थे. इस बार HAM अपनी ताकत और महत्व को बढ़ाने के लिए अधिक सीटों की मांग कर रहा है. चुनावी विशेषज्ञों का कहना है कि HAM की यह 15 सीटों की मांग NDA के भीतर संतुलन बनाने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है. जानकारों की माने तो HAM की यह मांग सिर्फ सीटों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छोटे दलों की बढ़ती महत्वाकांक्षा और राज्य की राजनीति में उनकी भूमिका को दिखाती है. जीतनराम मांझी की सक्रियता और स्पष्ट रुख यह संकेत दे रही है कि HAM इस चुनाव में केवल भागीदार नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार है.
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बताते चलें कि बिहार विधानसभा चुनाव में अब HAM और बीजेपी के बीच सीटों का यह महा खेल राजनीति के पटल पर नए मोड़ ला सकता है. आने वाले दिनों में पटना में बुलाई गई बैठक और सीटों के बंटवारे का अंतिम निर्णय ही बताएगा कि HAM की मांग स्वीकार होती है या फिर पार्टी स्वतंत्र रूप से चुनाव मैदान में उतरती है.
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