अमित शाह के दखल के बाद शांत हो गए चिराग… NDA में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान की स्थिति
बिहार चुनाव में BJP के प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े चिराग से संपर्क नहीं कर पा रहे थे. इस स्थिति में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप कर संदेश पहुंचाया, जिससे चिराग की प्रतिक्रिया शांत हुई.
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बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश की छवि को धुंधला कर दिया है. सीटें बंटवारे को लेकर इस बार भी चिराग कुछ ज्यादा ही एक्टिव रहे हैं. BJP के मौजूदा ऑफर को चिराग ने अपनाने से मना किया है. इसी के साथ उहोंने BJP नेताओं से दूरी भी बना ली है. चिराग का फोन ऑफ है और बाकी की सारी लाइनें व्यस्त. यानी चिराग फिलहाल आउट ऑफ रीच हैं.
बिहार चुनाव में BJP के प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े चिराग से संपर्क नहीं कर पा रहे थे. इस स्थिति में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप कर संदेश पहुंचाया, जिससे चिराग की प्रतिक्रिया शांत हुई. बावजूद इसके, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के साथ सीटों का बंटवारा NDA के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण रहेगा.
सूत्रों के अनुसार, अमित शाह की एंट्री के बाद चिराग पासवान और धर्मेंद्र प्रधान के बीच बातचीत हुई है. हालांकि, लोजपा के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता धीरेंद्र मुन्ना ने अमर उजाला को बताया कि अभी सीटों के बंटवारे पर कोई अंतिम चर्चा नहीं हुई है. चिराग का फोन न लगने के सवाल पर मुन्ना ने कहा, “फोन आउट ऑफ रीच हो सकता है, लेकिन मेरे नेता पूरी तरह संपर्क में हैं. वैसे भी, चिराग पहले ही कह चुके हैं कि उनकी पार्टी सम्मानजनक हिस्सेदारी लेगी.”
चिराग पासवान की मांग करीब 40 सीटों की है. वे विशेष रूप से गोविंदगंज, ब्रह्मपुर, अतरी, महुआ और सिमरी-बख्तियारपुर पर अड़े हुए हैं. इनमें से तीन सीटों पर जदयू भी दावा छोड़ने को तैयार नहीं है. इसी दबाव में लोजपा ने यह घोषणा की है कि वह 243 सीटों पर चुनावी तैयारी कर रही है.
चिराग को नजरअंदाज करना NDA के लिए मुश्किल
2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की लोजपा ने गठबंधन से अलग राह चुनकर नीतीश कुमार के लिए मुश्किलें बढ़ाई थीं. इसी वजह से अमित शाह ने दिल्ली में बिहार कोर कमेटी की बैठक में स्पष्ट किया कि 2020 जैसी गलती दोहराई नहीं जानी चाहिए. इस बार BJP नेतृत्व चिराग को मनाकर NDA की एकता बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि दलित-युवा वोट बैंक में उनकी पकड़ पार्टी नजरअंदाज नहीं कर सकती. हालांकि, चिराग की मांगें पार्टी को अतार्किक लग रही हैं, लेकिन BJP को भरोसा है कि परिस्थितियां दुरुस्त कर ली जाएंगी.
बड़ी चाहच ने बढ़ाई चुनौतियां
चिराग पासवान की राजनीति अब सिर्फ सीटों तक सीमित नहीं है. पटना की सड़कों पर उनके “अगला मुख्यमंत्री-चिराग पासवान” वाले पोस्टर लगाए जा चुके हैं. BJP के सामने चुनौती यह है कि जदयू भी बड़े भाई की भूमिका निभाने का दावा कर रहा है, लेकिन 101-102 सीटों पर दोनों दल बंटवारे के मूड में हैं.
वहीं, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा जैसी पार्टियों की मांगें भी बड़ी हैं. सबसे कठिन बंटवारा फिलहाल लोजपा (रामविलास) के साथ ही दिख रहा है. अमित शाह के संदेश के बाद माना जा रहा है कि चिराग मान सकते हैं, लेकिन उम्मीद और समाधान के बीच सफर अक्सर लंबा साबित होता है.
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