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BJP ने पहली लिस्ट में अपनाया RJD का सोशल फॉर्मूला, राहुल गांधी की खोज ली काट, जानें किन जातियों को दिया टिकट

बीजेपी ने बिहार चुनाव में अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. इसमें दलित ओबीसी, पिछड़े, महिलाओं और युवाओं की अच्छी खासी संख्या है. कहा जा रहा है कि बीजेपी ने राजद के सोशल इंजीनियरिंग को अपना लिया है. कहा जा रहा है कि पार्टी ने राहुल गांधी के संविधान वाले नैरेटिव की काट खोज ली है.

Created By: केशव झा
15 Oct, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
05:01 PM )
BJP ने पहली लिस्ट में अपनाया RJD का सोशल फॉर्मूला, राहुल गांधी की खोज ली काट, जानें किन जातियों को दिया टिकट

बिहार विधानसभा को लेकर बढ़ी सरगर्मी के बीच बीजेपी ने सबसे पहले अपने उम्मीदवारों की घोषणा की. NDA में सीट बटवारे के बाद पार्टी ने 71 उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी. जाति के इर्द-गिर्द घूमने वाली बिहार की राजनीति को देखते हुए बीजेपी ने इस सूची में जातिगत समीकरणों का बखूबी ख्याल रखा है और तमाम जातियों के उम्मीदवार उतारे हैं. 

बीजेपी ने अपने सर्वे और टाइम टेस्टेड सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले पर अमल करते हुए राहुल गांधी की OBC-दलित राजनीति की काट खोज निकालने की कोशिश की है. पहली लिस्ट को देखें तो सामूहिक तौर पर 60 प्रतिशत से ज़्यादा टिकट दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़े समुदायों और महिलाओं को दिए गए हैं. बीजेपी के नेताओं अनुसार "पार्टी ने सभी समुदायों, खासकर हाशिये पर रहने वाले और दलित, वंचित और पिछड़े कहे जाने वाले समुदायों को प्रतिनिधित्व दिया है."

कितनी सीटों पर कितने उम्मीदवारों को टिकट?

अगर पहली लिस्ट को देखें तो इसमें 71 नाम शामिल हैं, जिसमें 20 ओबीसी, 11 अत्यंत पिछड़े वर्ग और 9 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है. 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही भाजपा ने अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों से भी 6 उम्मीदवार उतारे हैं. इन 71 में से 11 भूमिहार, 7 ब्राह्मण, 15 राजपूत हैं, साथ ही कायस्थ और मारवाड़ी जैसे समुदायों को भी टिकट दिए गए हैं.

पार्टी के एक नेता ने कहा कि, "केंद्र में एनडीए के पिछले 11 सालों के शासन और राज्य में नीतीश कुमार के नेतृत्व में, हाशिए पर पड़े लोगों और गरीबों के लिए बनाई गई सामाजिक योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है. इन योजनाओं और कार्यक्रमों के साथ-साथ इन जातियों और समुदायों के प्रतिनिधियों को राजनीतिक स्थान देने का भी ठोस प्रयास किया गया है.

बुजुर्ग, अनुभवी और युवाओं के बीच संतुलन

 वहीं पार्टी ने बीजेपी ने अपनी इस लिस्ट में बुजुर्ग और युवाओं के बीच संतुलन भी बनाया है. पार्टी ने 20-30% मौजूदा विधायकों के टिकट काटने की अपनी परंपरा से थोड़ी दूरी बनाई है, ताकि बगावत को थामा जा सके. पार्टी ने वीनिंग फैक्टर को सर्वौच्च तवज्जो दी है.

पार्टी के पदाधिकारी ने कहा कि "यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस प्रयास किया गया है कि पार्टी के उम्मीदवारों की लिस्ट में अनुभवी और नए उम्मीदवारों का एक स्वस्थ मिश्रण हो...पहली सूची में कुछ नए चेहरे भी हैं."

नए चेहरों में कुम्हरार से अरुण सिन्हा की जगह संजय गुप्ता, सीतामढ़ी से मिथिलेश कुमार की जगह सुनील कुमार पिंटू, पटना साहिब से नंदकिशोर यादव की जगह रत्नेश कुशवाहा और राजनगर से राम रीत पासवान की जगह सुजीत पासवान शामिल हैं. हालांकि पार्टी ने तारापुर और तेघड़ा सीटों की अदला-बदली अपनी सहयोगी जनता दल यूनाइटेड से की है, लेकिन उसने उन सीटों को बरकरार रखा है जिनके लिए उम्मीदवारों की घोषणा की गई है. लिस्ट को देखेें तो बीजेपी ने उच्च जातियों और हाशिए पर पड़े समुदायों के बीच संतुलन बनाने के पार्टी के प्रयास किया है.

बीजेपी के बारे में ऐसी धारणा है कि सवर्ण भाजपा समर्थक हैं, लेकिन यही वे लोग हैं जो अगर कुछ कमी महसूस करते हैं तो सवाल भी पूछते हैं. इस बार प्रशांत किशोर की जन सुराज नामक एक नई पार्टी के आने से उच्च जाति के वोटों के लिए संघर्ष होगा, और RJD भी उन्हें ज़्यादा टिकट देकर लुभाने की कोशिश करेगी.

आपको बता दें कि सोशल इंजीनियरिंग राजद की USP हुआ करती थी, अब भाजपा ने इस फॉर्मूले को अपना ली है, जो लक्षित हस्तक्षेपों के ज़रिए हाशिए पर पड़ी जातियों, ओबीसी और ईबीसी का समर्थन हासिल करने में सफल रही है.

आपक बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में दिनांक परसो यानी कि 12 अक्टूबर को पार्टी की केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई थी. इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और केन्द्रीय चुनाव समिति के अन्य सदस्य उपस्थित थे. इसी समिति ने बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव 2025 के लिए इन नामों पर अपनी स्वीकृति प्रदान की थी.

आपको बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें उसे 74 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं अभी वर्तमान बिहार में बीजेपी के 80 विधायक हैं. जानकारी के मुताबिक बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने बीते कई महीनों के दौरान आंतरिक औ बाह्य स्तरों, मसलन सर्वे एजेंसियों से हर सीट के लिए सर्वे कराया, जिसमें हर सीट के सामाजिक, जातीय समीकरण, पिछले चुनावी नतीजों और संभावित उम्मीदवार की ताकत का गहन विश्लेषण किया गया, ताकि उम्मीदवारों का चयन पुख्ता हो और उसके ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवार जीत सकें. 

NDA में कौन-कितनी सीटों पर लड़ रहा?

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आपको बता दें कि NDA में सीट बंटवारे के तहत बीजेपी और जेडीयू दोनों को 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगीं. वहीं चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 सीटें दी गई हैं, जबकि उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक जनता पार्टी (RLM) और जीतन राम मांझी की हम (HAM) के खाते में 6-6 सीटें गई हैं.

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